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पिता का सपना पूरा करने के लिए उठाए हाथ में रैकेट....अब कहा टेनिस को अलविदा, जानिये रोहन बोपन्ना की कहानी

01:50 PM Jul 30, 2024 IST | Ravi Kumar
पिता का सपना पूरा करने के लिए उठाए हाथ में रैकेट    अब कहा टेनिस को अलविदा  जानिये रोहन बोपन्ना की कहानी

Rohan Bopanna Retirement : इस समय पूरा विश्व जगत ओलंपिक के रंगारंग कार्यक्रमों में डूबा हुआ है। शायद ही दुनिया में कोई ऐसा एथलीट होगा जिसका सपना ओलंपिक खेलने का ना हो। ओलंपिक के विभिन्न खेलों में एक खेल आता है टेनिस.... इस खेल की जब भी बात आती है तो इस खेल में दिलचस्पी रखने वाले लोग सीधे राफेल नडाल, रोजर फ़ेडरर, नोवाक जोकोविच, जैसे खिलाड़ियों को याद करने लगते हैं। वहीं भारत में यह खेल सानिया मिर्जा की वजह से जाना जाता है। लेकिन इस खेल में रोहन बोपन्ना ने भी काफी कुछ किया है। आपने कभी ना कभी तो रोहन बोपन्ना का नाम सुना ही होगा। चाहे लिएंडर पेस के साथ उनकी जोड़ी हो, या फिर सानिया मिर्जा के साथ। दर्शकों ने हमेशा इन्हे शायद साइड हीरो का दर्जा दिया लेकिन रोहन अपने आप में ही एक महान टेनिस खिलाड़ी रहे हैं। कल ओलंपिक में इनकी और एन श्री राम बालाजी की जोड़ी को हार का सामना करना पड़ा और इसी वजह से यह ओलंपिक में एक आखिरी बार भी मेडल जीतने से चूक गए। रोहन ने इसके तुरंत बाद संन्यास की घोषणा कर दी। जिसके साथ ही टेनिस में एक दौर का अंत हुआ। लेकिन आखिर रोहन बोपन्ना है कौन, कैसे बने वह एक टेनिस प्लेयर, क्या वह वाकई टेनिस प्लेयर ही बनना चाहते थे, आज हम आपको बताएंगे रोहन बोपन्ना की कहानी......

     HIGHLIGHTS

  • रोहन बोपन्ना ने लिया टेनिस से संन्यास 
  • रोहन का टेनिस डेब्यू 2002 में हुआ था
  • 22 साल के करियर का हुआ समापन

तो चलिए फिर शुरू करते हैं, रोहन का जन्म कर्नाटक के कुर्ग जिले में 4 मार्च 1980 को हुआ था। उनके पिता एक कॉफी प्लांटर थे और मां घर संभालती थीं. घर का माहौल बेहद साधारण था, लेकिन एक लड़के की आंखों में सपना जगमगा रहा था, वह कुछ बड़ा करना चाहता था। मात्र 11 साल की उम्र में ही पिता ने टेनिस खेलने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करना शुरू कर दिया। पिता को पूरा विश्वास था कि बेटा एक दिन परिवार का नाम रोशन करेगा। बचपन से ही टेनिस के प्रति उनकी गहरी रुचि थी। अपने खेल को निखारने के लिए वे संयुक्त राज्य अमेरिका गए, जहां उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई की और टेनिस की दुनिया में अपनी पहचान बनाई। पिता के सपने को पूरा करने के लिए रोहन ने पूरी जी जान लगा दी।



अगर रोहन के करियर की बात करें तो उनका डेब्यू 2002 में हुआ था। वह ज्यादातर युगल टेनिस में अपने शानदार प्रदर्शन के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने कई ग्रैंड स्लैम खिताब जीते हैं, जिनमें से 2017 में फ्रेंच ओपन में गैब्रिएला डाब्रोवस्की के साथ मिश्रित युगल का खिताब जीतना शामिल है। उन्हें अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया। वह वर्ष 2002 में भारतीय डेविस कप टीम का अहम सदस्य रहे हैं। इसके अलावा रोहन ने सानिया मिर्जा के साथ मिलकर 2006 में एशियन होपमैन कप जीता था, जो 2007 होपमैन कप के लिए क्वालीफाइंग टूर्नामेंट भी था। इसके बाद रोहन की ज़िन्दगी में एक ऐतिहासिक लम्हा आया जब बोपन्ना ने अपना ओलंपिक डेब्यू लंदन 2012 में किया, जहां वह पुरुष युगल के लिए महेश भूपति के साथ जोड़ी बनाकर दूसरे दौर में पहुंचे थे। रियो 2016 में, बोपन्ना और सानिया मिर्जा मिश्रित युगल में कांस्य मैच हारने के बाद ऐतिहासिक पदक से चूक गए। बोपन्ना और टेनिस में भारत के एकमात्र ओलंपिक पदक विजेता लिएंडर पेस ने पुरुष युगल के लिए जोड़ी बनाई लेकिन शुरुआती दौर में लड़खड़ा गए। बोपन्ना टोक्यो 2020 ओलंपिक में जगह नहीं बना सके। इस साल की शुरुआत में, बोपन्ना, 43 साल और नौ महीने की उम्र में अपने साथी मैथ्यू एब्डेन के साथ ऑस्ट्रेलियन ओपन की जीत के बाद टेनिस के ओपन युग में ग्रैंड स्लैम खिताब जीतने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति बन गए।
ग्रैंड स्लैम विजेता होने के साथ ही रोहन बोपन्ना देश में टेनिस को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं. वह युवा प्रतिभाओं को निखारने में जुटे हुए हैं. उन्होंने एक टेनिस अकैडमी की स्थापना भी की. जहां युवा खिलाड़ियों को टेनिस में बेहरतीन प्लेयर बनने के लिए ट्रेन किया जाता है. ओलिंपिक 2024 में पहले दौर से बाहर होने के साथ ही रोहन ने संन्यास का ऐलान कर दिया है। बोपन्ना ने खुद को 2026 एशियाई खेलों से बाहर करते हुए कहा, "यह निश्चित रूप से देश के लिए मेरा आखिरी टूर्नामेंट था। मैं पूरी तरह से समझता हूं कि मैं किस स्थिति में हूं। उन्होंने चेहरे पर मुस्कान के साथ कहा, "मैं जहां हूं वह मेरे लिए पहले ही किसी बड़े बोनस की तरह है। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं दो दशकों तक भारत का प्रतिनिधित्व करूंगा। मैंने 2002 में करियर की शुरुआत की थी और 22 साल बाद भी भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिल रहा है। मुझे इस पर बेहद गर्व है।"
रोहन के संन्यास के साथ ही जरूर एक युग की समाप्ति हो चुकी है। हमेशा ही रोहन के प्रदर्शन को याद रखेगा और उनके उज्जवल भविष्य की कामना भी करेगा। रोहन बोपन्ना के संन्यास पर आप लोगों का क्या कहना है हमे कमेंट सेक्शन में जरूर बताए।

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Ravi Kumar

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