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World Cup 2011 : कैसे 28 साल बाद भारत बना था विश्वविजेता, धोनी का छक्का क्यों हुआ अमर

10:31 AM Apr 02, 2024 IST
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2 अप्रैल 2011, इस तारीख को भारतीय क्रिकेट इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाता हैं लेकिन क्या आप जानते हैं क्यों आज की युवा पीढ़ी इस बात को नहीं जानती होगी लेकिन आज 20 साल से ऊपर उम्र का हर सख्स इस तारीख की महत्वता को अवश्य जानता होगा। दरअसल आज ही के दिन भारत ने दूसरी बार वर्ल्ड कप अपने नाम किया था और World Cup 2011 का खिताब जीता था, तो आइये एक बार फिर से जीते हैं उन सुनहरी यादों को..

HIGHLIGHTS

वर्ल्ड कप जीतने वाला पहला मेजबान देश

World Cup 2011 आईसीसी द्वारा आयोजित किया गया दसवां क्रिकेट वर्ल्ड कप था। ये भारत, श्रीलंका और पहली बार बांग्लादेश में खेला गया था। भारत ने मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में फाइनल में श्रीलंका को 6 विकेट से हराकर टूर्नामेंट जीता था। इस जीत के साथ ही भारत घरेलू धरती पर क्रिकेट वर्ल्ड कप जीतने वाला पहला देश बन गया।

पाकिस्तान से छीनी वर्ल्ड कप की सह मेजबानी

इस टूर्नामेंट का आय़ोजन भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश में किया गया। पाकिस्तान को भी सह-मेज़बान बनना था, लेकिन 2009 में लाहौर में श्रीलंका की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम पर हुए आतंकवादी हमले के बाद, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने इसे रद्द कर दिया। पाकिस्तान को एक सेमीफाइनल सहित 14 मैच आयोजित करने थे लेकिन ऐसा ना हो सका। भारत ने आठ स्थानों पर 29 मैचों की मेजबानी की, जिनमें फाइनल और एक सेमीफाइनल शामिल है। श्रीलंका ने तीन स्थानों पर 12 मैचों की मेजबानी की, जिसमें एक सेमीफाइनल भी शामिल है और बांग्लादेश ने दो मैदानों पर 8 मैचों की मेजबानी की, साथ ही 17 फरवरी 2011 को उद्घाटन समारोह भी आयोजित किया।

भारत और पाकिस्तान अलग-अलग ग्रुप में

टूर्नामेंट के पहले दौर में दो ग्रुप बनाए गए और दोनों ग्रुप्स में 7-7 टीमों को शामिल किया गया। इन टीमों को अपने-अपने ग्रुप की हर टीम से एक मैच खेलना था और प्रत्येक ग्रुप से टॉप चार टीमें क्वार्टर फाइनल के लिए क्वालिफाई किया। इससे ये सुनिश्चित हो गया कि हर टीम कम से कम छह मैच खेलेगी। आईसीसी ने 2011 के आयोजन में भाग लेने वाली चार एसोसिएट टीमों को निर्धारित करने के लिए दक्षिण अफ्रीका में एक क्वालीफाइंग टूर्नामेंट भी आयोजित किया। आयरलैंड, जो पिछले वर्ल्ड कप के बाद से सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला एसोसिएट देश रहा था, ने फाइनल में कनाडा को हराकर टूर्नामेंट जीता। नीदरलैंड और केन्या ने भी क्रमशः तीसरे और चौथे स्थान पर रहने के आधार पर योग्यता प्राप्त की।
इस टूर्नामेंट में चौदह राष्ट्रीय क्रिकेट टीमों ने भाग लिया, जिनमें 10 पूर्ण सदस्य थे और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के चार सहयोगी सदस्य शामिल थे।
ग्रुप ए में ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान, न्यूज़ीलैंड, श्रीलंका, जिम्बाब्वे, कनाडा और केन्या की टीमें थी जबकि ग्रुप बी में भारत, साउथ अफ्रीका, इंग्लैंड, वेस्टइंडीज, बांग्लादेश, आयरलैंड और नीदरलैंड्स की टीमें शामिल थी।

उदघाटन मैच में लिया बांग्लादेश से बदला

इस टूर्नामेंट का उद्घाटन समारोह 17 फरवरी 2011 को बंगबंधु नेशनल स्टेडियम, ढाका में आयोजित किया गया था जबकि टूर्नामेंट 19 फरवरी से 2 अप्रैल के बीच खेला गया था। पहला मैच भारत और बांग्लादेश के बीच मीरपुर, ढाका के शेर-ए-बांग्ला नेशनल स्टेडियम में खेला गया था। भारत ने पहले ही मैच बांग्लादेश को 87 रन से हराते हुए टूर्नामेंट की धमाकेदार शुरुआत की थी। इस मैच में सलामी बल्लेबाज़ वीरेंदर सहवाग ने 175 रन की धमाकेदार पारी खेली थी। वहीं विराट कोहली ने भी शतक ठोका था। भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 370 रन बनाए थे जिसके जवाब में बांग्लादेश की पूरी टीम 283 रन पर सिमट गई थी। इसी के साथ वर्ल्ड कप का आगाज़ हुआ और प्रत्येक मैच के साथ टूर्नामेंट आगे बढ़ता रहा। इस टूर्नामेंट में कुछ बड़े उलटफेर भी देखने को मिले। जहां इंग्लैंड और भारत का मैच टाई हुए तो आयरलैंड ने इंग्लैंड को एक हारे हुए मैच में चमत्कारी ढंग से मात दी। वहीं बांग्लादेश ने भी इंग्लैंड को हरा दिया था लेकिन इसके बावजूद इंग्लैंड जैसे तैसे क्वार्टर फाइनल तक पहुंचने में सफल हुआ। करीब 42 मैच के ग्रुप स्टेज के बाद क्वार्टर फाइनल राउंड की शुरुआत हुई।

क्वार्टर फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को किया बाहर

ग्रुप ए से पाकिस्तान, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड ने क्वार्टर फाइनल के लिए क्वालिफाई किया। जबकि ग्रुप बी से साउथ अफ्रीका, भारत, इंग्लैंड और वेस्टइंडीज की टीमों ने क्वार्टर फाइनल के लिए क्वालिफाई किया। पहले क्वार्टर फाइनल में वेस्टइंडीज और पाकिस्तान की टक्कर हुई जिसमें पाकिस्तान ने 10 विकेट से जीत दर्ज करके सेमीफाइनल में प्रवेश किया। दूसरे क्वार्टर फाइनल में ऑस्ट्रेलिया और भारत आमने-सामने थे लेकिन इस बार भारत ने 5 विकेट से जीत दर्ज करके ऑस्ट्रेलिया को टूर्नामेंट से बाहर का रास्ता दिखा दिया। तीसरा क्वार्टर फाइनल न्यूज़ीलैंड और साउथ अफ्रीका के बीच खेला गया जिसमें कीवी टीम ने 49 रनों से जीत हासिल की और सेमीफाइनल में प्रवेश किया। वहीं, आखिरी क्वार्टर फाइनल में इंग्लैंड और श्रीलंका की टीमें आमने-सामने थी लेकिन श्रीलंका ने 10 विकेट से मैच जीतकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया और इंग्लैंड को बाहर का रास्ता दिखाया।

सेमीफाइनल्स में भारत बनाम पाकिस्तान

पहले सेमीफाइनल में भारत और पाकिस्तान की टीमें आमने-सामने थी। मोहाली के मैदान पर खेले गए इस महामुकाबले में भारत ने पाकिस्तान को 29 रन से हराकर फाइनल में प्रवेश किया। इस मैच में पहले बैटिंग करते हुए भारत ने 9 विकेट के नुकसान पर 260 रन बनाए थे जबकि पाकिस्तान की टीम 231 रन बनाकर ऑलआउट हो गई। वहीं, दूसरे सेमीफाइनल में श्रीलंका ने न्यूज़ीलैंड को 5 विकेट से हराकर फाइनल में प्रवेश किया।

फाइनल (भारत बनाम श्रीलंका)

वर्ल्ड कप 2011 का फाइनल 2 अप्रैल को भारत और श्रीलंका के बीच मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेला गया। इस मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए श्रीलंका ने निर्धारित 50 ओवरों में 274 रन बनाए और भारत के लिए 275 रनों का लक्ष्य रखा। जवाब में भारत ने अपने दोनों ओपनर्स को सस्ते में गंवा दिया था लेकिन गौतम गंभीर और एमएस धोनी की शानदार पारियों के चलते भारत ने 10 गेंदें शेष रहते छह विकेट से जीत हासिल कर ली और 28 साल बाद दोबारा हम वर्ल्ड चैंपियन बन गए। भारत के कप्तान एमएस धोनी को 79 गेंदों पर 91 रनों की नाबाद, मैच विजेता पारी के लिए मैन ऑफ द मैच चुना गया। वहीं, गौतम गंभीर ने भी 97 रनों की अहम पारी खेली। मैच के बाद भारतीय खिलाड़ियों ने अपना आखिरी वर्ल्ड कप खेल रहे सचिन तेंदुलकर को भी कंधे पर बिठाकर विदाई दी। इस फ़ाइनल को दुनिया भर में लगभग 558 मिलियन लोगों ने देखा।

मैन ऑफ़ द टूर्नामेंट में भारत के तीन दावेदार

भारत के लिए इस टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा 482 रन सचिन तेंदुलकर ने बनाए थे जबकि तेज़ गेंदबाज़ ज़हीर खान ने 21 विकेट झटककर सबसे ज्यादा विकेट झटके थे। लेकिन पूरे टूर्नामेंट में युवराज सिंह के शानदार प्रदर्शन के कारण उन्हें मैन ऑफ़ द टूर्नामेंट बने थे। युवराज सिंह ने 9 मैच में 362 रन बनाने के अलावा 15 विकेट भी झटके थे और टूर्नामेंट के बाद पता चला था की उस समय वह कैंसर जैसी भयानक बिमारी से जूझ रहे थे इसके बावजूद उन्होंने हार ना मानते हुए पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया और भारत को वर्ल्ड कप जीता कर ही दम लिया। सलाम है उन खिलाड़ियों को जिन्होंने खुद से पहले देश के मान और सम्मान को आगे रखा।

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