टेलीकॉम कंपनियों का संकट बढ़ा, मध्य रात्रि तक सरकार को देने होंगे 1.47 लाख करोड़ राशि
उच्चतम न्यायालय से मिली फटकार के बाद दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने भारती एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज जैसी सभी कंपनियों को शुक्रवार मध्य रात्रि तक समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) का बकाया जमा करने को कहा है।
03:17 PM Feb 14, 2020 IST | Shera Rajput
टेलीकॉम कंपनियों के लिए आज यानी शुक्रवार की रात बेहद अहम है। दरअसल, डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन ने रात 12 बजे से पहले एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू भुगतान करने का आदेश दिया है। इसका मतलब यह है कि रात 12 बजे तक टेलीकॉम कंपनियों ने एजीआर भुगतान नहीं किया तो उन पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है। यहां बता दें कि टेलीकॉम कंपनियों को 1.47 लाख करोड़ से अधिक का बकाया चुकाना है।
उच्चतम न्यायालय से मिली फटकार के बाद दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने भारती एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज जैसी सभी कंपनियों को शुक्रवार मध्य रात्रि तक समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) का बकाया जमा करने को कहा है।
दूरसंचार विभाग ने इन कम्पनियों को बकाया राशि जमा करने के लिए नया नोटिस जारी किया है। इस मद में इन कंपनियों और कुछ सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों पर करीब एक लाख 46 हजार करोड़ रुपये बकाया हैं।
उच्चतम न्यायालय ने एजीआर के मामले में भारती एयरटेल, वोडाफोन- आइडिया, रिलायंस कंम्युनिकेशन, टाटा टेलीसर्विसेज और अन्य दूरसंचार कंपनियों के प्रबंध निदेशकों (एमडी) को 17 मार्च को व्यक्तिगत तौर पर तलब किया है।
न्यायालय ने इन कंपनियों के प्रबंध निदेशकों को शुक्रवार को अवमानना का नोटिस जारी करते हुए सभी प्रबंध निदेशकों को व्यक्तिगत तौर पर 17 मार्च को पेश होकर ये बताने को कहा कि उनकी कंपनियों ने अब तक रुपये क्यों नहीं जमा कराए हैं।
उच्चतम न्यायालय ने सरकार से भी पूछा कि दूरसंचार विभाग ने यह अधिसूचना कैसे जारी की कि अभी भुगतान ना करने पर कंपनियों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं करेंगे। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश को कैसे ‘रोका’ गया।
उन्होंने कहा, ‘‘किस अधिकारी ने इतनी जुर्रत की कि हमारे आदेश पर रोक लगा दी गई। यदि एक घंटे के भीतर आदेश वापस नहीं लिया गया, तो उस अधिकारी को आज ही जेल भेज दिया जायेगा।’’
गौरतलब है कि एजीआर के तहत क्या-क्या शामिल होगा, इसकी परिभाषा को लेकर टेलीकॉम कंपनी और सरकार के बीच विवाद चल रहा था। टेलीकॉम कंपनियां सरकार के साथ लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज शेयरिंग करती है। सुप्रीम कोर्ट की परिभाषा के अनुसार, किराया, संपत्ति की बिक्री पर मुनाफा, ट्रेजरी इनकम, डिविडेंड सभी एजीआर में शामिल होगा। वहीं, डूबे हुए कर्ज, करंसी में फ्लकचुएशन, कैपिटल रिसिप्ट डिस्ट्रीब्यूशन मार्जन एजीआर में शामिल नहीं करने का आदेश दिया गया है।
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