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डीडीए लैंड पूलिंग योजना में करोड़ों की धोखाधड़ी, 13 मामलों की जांच को एसआईटी बनी

दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की लैंड पूलिंग योजना में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर धांधली का मामला सामने आया है। इस काले-कारोबार में कई विदेशी धोखेबाज भी पुलिस के रडार पर हैं।

01:45 PM Jan 04, 2020 IST | Shera Rajput

दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की लैंड पूलिंग योजना में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर धांधली का मामला सामने आया है। इस काले-कारोबार में कई विदेशी धोखेबाज भी पुलिस के रडार पर हैं।

डीडीए लैंड पूलिंग योजना में करोड़ों की धोखाधड़ी  13 मामलों की जांच को एसआईटी बनी
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दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की लैंड पूलिंग योजना में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर धांधली का मामला सामने आया है। इस काले-कारोबार में कई विदेशी धोखेबाज भी पुलिस के रडार पर हैं। मामले की गंभीतरता को देखते हुए जांच दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) के हवाले कर दी गई है। ईओडब्ल्यू ने एक ही दिन में 13 एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इस मामले में राष्ट्रीय राजधानी के कई बिल्डरों के फंसने की आशंका है।
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दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा के संयुक्त आयुक्त डॉ. ओ.पी. मिश्रा ने आईएएनएस से शनिवार को बताया, ‘इन 13 मामलों में उन बिल्डरों की तलाश की जा रही है, जिन्होंने डीडीए लैंड पूलिंग स्कीम का झांसा देकर लोगों से करोड़ों रुपये ठग लिए। पीड़ितों ने जब मकान-जमीन मांगे तो बिल्डरों के पास कुछ नहीं मिला। इतना ही नहीं लोगों ने अपनी जीवन भर की गाढ़ी कमाई जब लौटाने को कहा तो ठग बिल्डर उन्हें ही धमकाने लगे।’
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मिश्रा ने कहा, ‘मामले में एक के बाद एक शिकायतें दिल्ली विकास प्राधिकरण और दिल्ली पुलिस के पास पहुंचने लगीं, तो दोनों एजेंसियों का शक पुख्ता हो गया। डीडीए और दिल्ली पुलिस द्वारा की गई प्राथमिक जांच में शिकायतें सही पाई गईं। लिहाजा शुक्रवार को दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध निरोधक शाखा में 13 मामलों की अलग-अलग एफआईआर दर्ज कर दी गई।’
संयुक्त आयुक्त के मुताबिक, ‘करोड़ों की ठगी में शामिल बिल्डरों के विज्ञापन और उनके आलीशान दफ्तर तथा कर्मचारियों की लंबी फौज देखकर किसी भी पीड़ित को शक नहीं होता था। शक तब हुआ जब जिंदगी भर की गाढ़ी कमाई काफी समय पहले इन बिल्डरों के हवाले किए जाने के बाद भी सस्ते मकानों का दूर-दूर तक पता-ठिकाना नहीं मिला।’
दर्ज मामलों के मुताबिक, ‘ये ठग बिल्डर लोगों को सस्ते मकान देने का वायदा मोबाइल एसएमएस और मोबाइल कॉल के जरिए कर के जाल में फंसाते थे। साथ ही लोगों को इन पर शक न हो, इसके लिए समझाते-बहकाते थे कि यह सब दिल्ली विकास प्राधिकरण की सरकारी स्कीम के तहत है।’
संयुक्त आयुक्त मिश्रा ने आगे बताया, ‘इन ठग बिल्डरों, सोसायटियों और प्रमोटर्स के सोशल मीडिया अकाउंट्स भी हमारी टीमों ने खंगालने शुरू कर दिए हैं, ताकि अदालत में कहीं केस किसी भी कानूनी रूप से कमजोर साबित न हो।’
उन्होंने कहा, ‘इस बड़े घोटाले के तार विदेशों से भी जुड़ने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। अभी तक हुई शुरुआती जांच में यह तथ्य सामने आया है कि इस काले कारोबार में कुछ नाइजीरियाई मूल के गैंग भी शामिल हैं। इन लोगों ने भी अनगिनत लोगों से इस स्कीम में धोखे से मोटी रकम जमा कराई। इसके लिए बाकायदा एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित कर दिया गया है।’
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Shera Rajput

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