बिहार में साइबर अपराध में हुई वृद्धि, पिछले तीन साल में 3 गुना बढ़े केस
बिहार में पिछले तीन वर्षों में साइबर अपराध की घटनाओं में तीन गुना से अधिक वृद्धि दर्ज की गई है। इस बीच, साइबर अपराध के दर्ज मामलों एवं उससे संबंधित तकनीकी प्रदर्शनों की जांच के लिए राष्ट्रीय महत्व के संस्थान एनएफएसयू, गांधीनगर के साथ अपराध अनुसंधान विभाग ने एक समझौता किया है। बिहार अपराध अनुसंधान विभाग के अपर पुलिस महानिदेशक पारसनाथ ने बताया कि इस समझौते के तहत एनएफएसयू की टीम बिहार राज्य में दो साइबर फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं की स्थापना में सहायता प्रदान करेगी, जिससे साइबर अपराधों से संबंधित प्रदर्शनों की जांच में न केवल तेजी आएगी बल्कि प्रशिक्षित मानव बल से जांच ज्यादा गुणवत्तापूर्ण होगी।
सोशल मीडिया द्वारा लोगों को बनाते है निशाना
बताया गया कि अपराधी प्रायः फोन कॉल, ईमेल, सोशल मीडिया या फर्जी वेबसाइट आदि के माध्यम से लोगों को झांसा देकर उनके बैंक खाते, पासवर्ड या ओटीपी की जानकारी हासिल करते हैं और पैसों की हेराफेरी करते हैं। आंकड़ों के मुताबिक बिहार में वर्ष 2022 में साइबर अपराध के 1,606 मामले दर्ज किए गए थे। यह संख्या वर्ष 2023 में 200 प्रतिशत बढ़कर 4,801 हो गई। वर्ष 2024 में बिहार राज्य में साइबर अपराध के 5,712 मामले दर्ज किए गए तथा वर्ष 2025 में मई माह के अंत तक 3,258 मामले दर्ज किए गए हैं।
बिहार में साइबर क्राइम हुआ विस्फोटक
बिहार अपराध अनुसंधान विभाग के मुताबिक, इन मामलों की जांच के लिए तकनीक आवश्यक बताई जाती है। ऐसे में विधि-विज्ञान प्रयोगशाला की क्षमता में बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया गया। विधि विज्ञान प्रयोगशाला, पटना तथा क्षेत्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला, राजगीर में साइबर फॉरेंसिक प्रयोगशाला की एक-एक इकाई स्थापित करने के लिए राज्य सरकार ने स्वीकृति प्रदान की है। इसमें राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय, गांधीनगर को परामर्शी के रूप में नामित किया गया है। इस समझौते से अपराधों से संबंधित प्रदर्शनों की जांच में न केवल तेजी आएगी बल्कि प्रशिक्षित मानव बल से जांच ज्यादा गुणवत्तापूर्ण होगी। इससे साइबर अपराध से संबंधित मामलों का अनुसंधान त्वरित गति से निष्पादित किया जा सकेगा, जिससे अपराधियों के मन में कानून का भय उत्पन्न होगा तथा अपराध नियंत्रण में भी प्रभावी भूमिका निभाई जा सकेगी।