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Dahi Handi Timings 2025: कब होगी दही हांडी? जानें श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व का महत्व

04:00 PM Aug 15, 2025 IST | Himanshu Negi
Dahi Handi Timings 2025

Dahi Handi Timings 2025: कल देशभर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूम-धाम से मनाया जाएगा। मंदिरों और कई क्षेत्रों में कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, इसी के साथ ही दही हांडी का आयोजन भी धूम-धाम से किया जात है। बता दें कि इस बार 16 अगस्त 2025 को श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा साथ ही दही हांडी का कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाएगा। आईए विस्तार से जानते है कि इस पर्व का महत्व।

Dahi Handi Timings 2025

भगवान कृष्ण के जन्म के दिन ही जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। बता दें कि कृष्ण भगवान दूध और मक्खन से इतना लगाव था कि वह चुराकर मक्खन खाते थे। इसी दौरान माता यशोदा ने परेशान होकर मक्खन की हांडी का ऊंचाई पर लटाकाना शुरू किया लेकिन कृष्ण जी ने फिर भी अपनी टोली के साथ, ग्वाल-बालों के साथ मिलकर ऊंचाई पर लटकी मटकी को फोड़ने के लिए पिरामिड आकार बनाया और मटकी को फोड़कर मक्खन चुराया। तभी से दही हांडी की पर्व मनाया जाता है और यह परंपरा आज भी जारी है।

Krishna Janmashtami Ka Mahatva

प्राचीन समय से ही जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। बता दें कि मथुरा में कंसा का अत्याचार अधिक हो गया था और अधर्म की राह पर चल रहे थे। तभी विष्णु जी ने आठवें अवतार के रूप में श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया और अधर्म को रोकने के लिए कई लीला भी रची है और अत्याचार को रोकने के लिए कंस का वध भी किया था।

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Dahi Handi Timings 2025

Krishna Janm Katha

मथुरा में उस समय क्रूर राजा कंस का शासन था। कंस को भविष्यवाणी मिली थी कि उसकी बहन देवकी का आठवां पुत्र उसका वध करेगा। इस डर से कंस ने अपनी बहन देवकी और उनके पति वासुदेव को कारागार में डाल दिया। कंस ने देवकी के पहले सात बच्चों को मार डाला। जब आठवां पुत्र, श्रीकृष्ण, का जन्म होने वाला था, उस रात चमत्कार हुआ। मध्यरात्रि में कारागार के ताले अपने आप खुल गए, पहरेदार गहरी नींद में सो गए, और वासुदेव को एक दैवीय आदेश मिला कि वह नवजात कृष्ण को गोकुल में नंद और यशोदा के पास ले जाएं। उस समय भयंकर बारिश हो रही थी, लेकिन शेषनाग ने अपने फनों से वासुदेव और बालकृष्ण की रक्षा की। यमुना नदी ने भी रास्ता दे दिया।

वासुदेव ने कृष्ण को गोकुल में यशोदा के पास छोड़ दिया और उनकी नवजात कन्या को मथुरा वापस ले आए। कंस ने उस कन्या को मारने की कोशिश की, लेकिन वह दैवीय शक्ति (योगमाया) बनकर आकाश में उड़ गई और कंस को चेतावनी दी कि उसका काल (कृष्ण) जीवित है।

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