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तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने अमीर और गरीब के बीच खाई में कमी लाने की अपील की

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने अमीर और गरीब के बीच खाई में कमी लाने की बुधवार को अपील की। साथ ही, उन्होंने कहा कि यह महसूस करना जरूरी है कि दुनिया का ध्यान रखना असल में खुद का ध्यान रखना है।

11:54 PM Sep 09, 2020 IST | Shera Rajput

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने अमीर और गरीब के बीच खाई में कमी लाने की बुधवार को अपील की। साथ ही, उन्होंने कहा कि यह महसूस करना जरूरी है कि दुनिया का ध्यान रखना असल में खुद का ध्यान रखना है।

तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने अमीर और गरीब के बीच खाई में कमी लाने की अपील की
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने अमीर और गरीब के बीच खाई में कमी लाने की बुधवार को अपील की। साथ ही, उन्होंने कहा कि यह महसूस करना जरूरी है कि दुनिया का ध्यान रखना असल में खुद का ध्यान रखना है। 
उन्होंने यहां ‘लारिएट्स एंड लिडर्स फार चिल्ड्रेन’ के एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘भविष्य हमारे हाथों में हैं और बच्चे दुनिया के भविष्य हैं , वे ही दुनिया का ध्यान रखेंगे। दुनिया का ध्यान रखना असल में खुद का ध्यान रखना है। ’’ 
‘लारिएट्स एंड लिडर्स फार चिल्ड्रेन’ बाल अधिकारों की रक्षा के लिए गठित संस्था है जिसका नेतृत्व नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी करते हैं । 
दलाई लामा ने कहा, ‘‘बच्चे हमारे भविष्य हैं। हमें मानवता और गरीबों के बारे में सोचना होगा जिन्हें मदद की जरूरत है और हमें इस बारे में प्रयास करने होंगे कि गरीब और अमीर के बीच खाई कैसे कम होगी। ’’ 
दलाई के अलावा कार्यक्रम में स्वीडीश प्रधानमंत्री स्टीफन लोफवेन, यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरीएत्ता फोर, विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस एडहैनम घेब्रेयसस सहित अन्य भी शामिल हुए। 
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी ने बच्चों को दुनिया भर में एवं समाज के सभी तबकों में और अधिक जोखिमग्रस्त स्थिति में डाल दिया है। 
उन्होंने कहा, ‘‘बच्चे शारीरिक, मानसिक और यौन शोषण के बढ़ते खतरे का सामना कर रहे हैं। ’’ 
हेनरीएत्ता ने कोविड-19 को बच्चों के अधिकारों के लिये एक संकट करार दिया। 
वहीं, डब्ल्यूएचओ महानिदेशक टेड्रोस ने कहा कि बच्चे सहित किशोर महामारी से सवार्धिक प्रभावित होने वाले समूह में शामिल हैं। 
उन्होंने कहा कि कई देशों में (बच्चों का) टीकाकरण कार्यक्रम आंशिक या पूर्ण रूप से स्थगित हो गया है। इसे बाल मृत्यु दर का खतरा बढ़ा गया । साथ ही, विश्व भर में बच्चों की खाद्य सुरक्षा और पोषण भी जोखिम में पड़ गया है। 
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Shera Rajput

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