बेटियों बच के रहो...
समझ ही नहीं आ रहा कि हमारे समाज को क्या हो रहा है। रोज नई घटनाएं सामने आती हैं। कहीं बेटी को मार दिया, कहीं रेप हो गया। जहां बेटियां आगे बढ़ रही हैं वहीं बेटियों के साथ अन्याय या दुर्घटनाएं भी बढ़ रही हैं।
अभी मैंने अपने बच्चों के साथ बैठकर नेटफ्लिक्स पर डिप्लोमेट पिक्चर देखी। क्या पिक्चर है, मेरे रोंगटे खड़े हो गए कि यही सोचकर ऐसे ही भारतीय लड़कियां कैसे फंसती हैं और उनका क्या नतीजा होता है। यह पिक्चर सच्ची घटना पर आधारित है। इसमें सुषमा जी के विदेश मंत्री होने के नाते उनकी एफर्ट और कन्सर्न बहुत ही अच्छे ढंग से दिखाया गया है। इसलिए अभी तक लोग उन्हें याद करते हैं और भारतीय एम्बेसडर का भी बहुत ही अच्छा रोल और मेहनत दिखाई गई है। अगर यह एम्बेसडर हैं तो मैं तो इनको मिलना चाहूंगी। ऐसी पिक्चर देखकर मेरे दिल-दिमाग में इतना असर हुआ कि मैं सो नहीं पाई कि ऐसे न जाने कितनी लड़कियां ऐसे लोगों के जाल में फंसती होंगी। एक तो अपनी सूझबूझ और भारत सरकार (सुुषमा जी और एम्बेसडर) की मेहनत से बच गई। न जाने कितनीं बच ही नहीं पाती होंगी।
अभी इस फिल्म से ही नहीं उभर पा रही थी कि मैंने अखबार में एक यूपी के बाबा के बारे में पढ़ा, टीवी में भी देखा कि कैसे एक बाबा एक अवैध धर्मांतरण रैकेट चलाने के आरोप में गिरफ्तार िकया गया है। वह गरीब और भोली-भाली लड़कियों को बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन कराने का काम कर रहा था। वो एक संगठित गिरोह चला रहा था जो गरीब और दलित वर्ग की लड़कियों को निशाना बनाता था। वह उन्हें आर्थिक लालच और विदेश भेजने का सपना दिखाकर धर्म परिवर्तन कराता था। उसे कई इस्लामिक देशों से भारी फंडिंग मिल रही थी। इस फंडिंग का उपयोग वह अपने धर्मांतरण रैकेट को चलाने और लड़कियों को बहला-फुसलाने के लिए करता था। यही नहीं उसने अपने युवाओं की एक कमांडो फोर्स भी तैयार कर रखी थी जो उसके इशारे पर वारदातों को अंजाम देते थे।
धन्यवाद और शुक्र है यूपी एटीएस जिसने इसे गिरफ्तार िकया। जांच में कई बातें सामने निकल कर आ रही हैं। एक साधारण व्यापार से शुरूआत करने वाले व्यक्ति ने एक धार्मिक गिरोह का निर्माण किया, जिसमें महिलाओं को धर्म परिवर्तन के नाम पर आर्थिक, मानसिक और सामाजिक रूप से प्रभावित किया गया। बहुत सी महिलाओं और लड़कियों ने दुपट्टा बांधे यानि मुंह ढककर आपबीती सुनाई।
मेरा दिल यह सच देख-सुनकर इतना दुखी है कि समझने की कोिशश भी कर रही हूं तो यही समझ आ रहा है कि गरीबी, बेरोजगारी और कुछ उम्र ऐसी जो लड़कियां प्यार में बह जाती हैं। प्यार, शादी कोई गुनाह नहीं परन्तु गलत उम्र में गलत लड़कों के हाथ में फंसना बहुत ही गलत है। मां-बाप अगर सख्त होते हैं तो उनकी गलती नहीं। हर माता-पिता अपने बच्चों को प्यार करते हैं उनका भला चाहते हैं, उनकी सुरक्षित शादी चाहते हैं। मुझे लगता है मां-बाप को अपने बच्चों के साथ ऐसे रिश्ते कायम रखने चाहिए ताकि वो अपनी हर बात उनसे शेयर करें। अगर उन्हें किसी दूसरे धर्म का लड़का या लड़की भी पसंद है तो वह माता-पिता से डरें नहीं उन्हें बताएं। माता-पिता हैं जांच-पड़ताल तो कर लेंगे कि सही है कि नहीं।
इसके िलए माता-पिता को बेटी के साथ विश्वास और मित्रता वाला रिश्ता रखना होगा ताकि वो खुलकर बात कर सकें। अपने बच्चों की खासकर बेटियों की दिनचर्या, दोस्ती, सोशल मीडिया में किसके साथ जुड़े हैं, सहज तरीके से जानकारी रखें परन्तु संदेह की नजर से नहीं समझदारी से अपने बच्चों को धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों की समझ दें। इसमें जबरदस्ती पूजा-पाठ करवाना नहीं, बल्कि धार्मिक गरिमा और आत्मसम्मान को समझाना जरूरी है। उन्हें प्रेम और प्रेम जाल का फर्क समझाना पड़ेगा, उनको समझाना होगा कि अगर कोई कहे घरवालों से मत बताना, ‘‘तुम्हारे लिए धर्म बदल लूंगा/तुम धर्म बदल लो तो वह एक तरह का इशारा है कि वह व्यक्ति सच्चा नहीं। प्रेम में भी सेल्फ-रिस्पेक्ट जरूरी है, जो तुमसे तुम्हारी पहचान छीन लें वह प्रेम नहीं धर्म और संस्कृति आत्म-गौरव है जो इसे बदलवाना चाहता है। वह आपका भला नहीं चाहता, इसिलए धर्म कोई वस्तु नहीं जो प्रेम के लिए बदल दिया जाए, इसलिए बेटियों अपने आप को बचाकर रखो। आप अपने लिए अपने माता-पिता के लिए गर्व हो। अपने आप को ‘प्रतिभा’ में बांधों आैर हैवानों से बचो।