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Day 3 of Navratri 2025: मां चंद्रघंटा को समर्पित है नवरात्रि का तीसरा दिन, ऐसे करें पूजा

02:32 PM Sep 23, 2025 IST | Khushi Srivastava
chandraghanta mata

Day 3 of Navratri 2025: आश्विन मास की शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि पर बुधवार को नवरात्रि का तीसरा दिन है। यह पावन अवसर मां चंद्रघंटा को समर्पित है, जो भक्तों के हृदय में ममता और शक्ति का संचार करती हैं। इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है।

द्रिक पंचांग के अनुसार, बुधवार को सूर्य कन्या राशि में गोचर करेंगे, जबकि चंद्रमा तुला राशि में विराजमान रहेंगे। अभिजीत मुहूर्त नहीं है और राहुकाल का समय दोपहर के 12 बजकर 13 मिनट से शुरू होकर 1 बजकर 43 मिनट पर खत्म होगा।

Navratri 2025: मां चंद्रघंटा की पूजा से जीवन में मिलती है सफलता

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देवी भागवत पुराण में वर्णित है, मां चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत भव्य और अलौकिक है। उनके मस्तक पर अर्द्धचंद्र सुशोभित है। यही कारण है कि उन्हें 'चंद्रघंटा' (Goddess Chandraghanta) नाम से जाना जाता है। मां चंद्रघंटा की पूजा से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। इसके साथ ही, मानसिक शांति भी मिलती है और नई ऊर्जा का संचार होता है।

नकारात्मक शक्तियां होती हैं दूर

पुराणों के अनुसार, मां चंद्रघंटा की आराधना से पारिवारिक सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है, (Day 3 of Navratri 2025) साथ ही नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं। इनकी पूजा विशेष रूप से सूर्योदय से पहले कर लेनी चाहिए, क्योंकि इस समय मां की विशेष कृपा बरसती है। वहीं, पूजा में लाल और पीले गेंदे के फूल चढ़ाने का महत्व है, क्योंकि यह फूल मां की ममता और शक्ति का प्रतीक हैं।

पूजा की विधि (Day 3 of Navratri 2025)

goddess chandraghanta

पूजा की सरल विधि अपनाकर भक्त घर में ही मां की कृपा पा सकते हैं। इस दिन विधि-विधान से पूजा शुरू करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें, कोशिश करें कि लाल रंग के वस्त्र हों, क्योंकि लाल रंग मां दुर्गा को अत्यंत प्रिय है। फिर, मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें। एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर माता की प्रतिमा स्थापित करें, साथ ही कलश की भी स्थापना करें। अब देवी मां को श्रृंगार का सामान चढ़ाएं, जिसमें लाल चुनरी, सिंदूर, अक्षत, लाल पुष्प (विशेषकर गुड़हल), चंदन, रोली आदि अर्पित करें।

इसके बाद उन्हें फल, मिठाई, या अन्य सात्विक भोग लगाएं (जैसे खीर या हलवा)। मां दुर्गा के सामने घी का दीपक और धूपबत्ती जलाएं। आप चाहें तो दुर्गा सप्तशती का पाठ कर सकते हैं। अंत में मां दुर्गा की आरती करें।

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