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जम्मू-कश्मीर में डीडीसी चुनाव !

अनुच्छेद 370 हटाए जाने के साथ केन्द्र शासित जम्मू-कश्मीर में पहली बार शनिवार को जिला विकास परिषद चुनाव के पहले चरण की 43 सीटों पर मतदान होगा। चुनावों के दौरान हिंसा की वारदातें करने के लिए पाकिस्तान की साजिश सुरक्षा बलों ने नाकाम कर दी है

12:58 AM Nov 28, 2020 IST | Aditya Chopra

अनुच्छेद 370 हटाए जाने के साथ केन्द्र शासित जम्मू-कश्मीर में पहली बार शनिवार को जिला विकास परिषद चुनाव के पहले चरण की 43 सीटों पर मतदान होगा। चुनावों के दौरान हिंसा की वारदातें करने के लिए पाकिस्तान की साजिश सुरक्षा बलों ने नाकाम कर दी है

अनुच्छेद 370 हटाए जाने के साथ केन्द्र शासित जम्मू-कश्मीर में पहली बार शनिवार को जिला विकास परिषद चुनाव के पहले चरण की 43 सीटों पर मतदान होगा। चुनावों के दौरान हिंसा की वारदातें करने के लिए पाकिस्तान की साजिश सुरक्षा बलों ने नाकाम कर दी है लेकिन जवानों ने शहादतें भी दी हैं। सुरक्षा बलों ने नगरोटा में पाकिस्तानी आतंकवादियों की घुसपैठ के प्रयास को विफल बनाते हुए तीन आतंकवादी मार गिराए थे लेकिन पारम्पोरा में आतंकियों के हमले में दो जवान शहीद हो गए। आतंकी हमलों की आशंका को देखते हुए जम्मू-कश्मीर, पुलिस, आर्म्ड पुलिस, सीआरपीएफ के अलावा देश के विभिन्न हिस्सों से पुलिस बल की 165 अतिरिक्त कम्पनियों की तैनाती की गई हैं। 
जिन 43 सीटों पर मतदान होना है, इन सीटों में 17 सीटें जम्मू सम्भाग व 26 सीटें कश्मीर सम्भाग में हैं। पहले डीडीसी चुनाव जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने आक्रामक नीति अपनाई है। भाजपा ने वहां केन्द्रीय मंत्रियों की फौज को उतारा हुआ था। राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी वहां कैम्प कर रहे थे। दूसरी तरफ गुपकार गठबंधन भाजपा के मिशन पर ब्रेक लगाने के लिए सक्रिय है। गुपकार संगठन को कश्मीर घाटी और जम्मू सम्भाग में कई जगह भाजपा से कड़ी चुनौती मिल रही है। डीडीसी चुनाव भाजपा और गुपकार गठबंधन के लिए बहुत अहम हैं। चुनावों से ठीक पहले रोशनी एक्ट की आड़ में 25 हजार करोड़ का भूमि घोटाला सामने आया जिसे भारतीय जनता पार्टी ने जमकर भुनाया। भाजपा ने जनता को यह बताने की भरपूर कोशिश की कि अनुच्छेद 370 के रहते जम्मू-कश्मीर के रहनुमाओं ने घोटाले ही किये, बेशकीमती जमीनें कौड़ियों के दाम खरीद कर अपनी सम्पत्ति में इजाफा ही किया जबकि अवाम के हितों के लिए कुछ नहीं किया गया। भाजपा ने रोशनी घोटाले को जमकर उछाला और कश्मीरी अवाम को इस बात का अहसास दिलाया कि 370 के रहते इस तरह घोटाले आम बात थे। इससे आम लोगों का भला नहीं होने वाला था, बल्कि प्रभावशाली लोग ही इसकी आड़ में लाभ उठाते रहे हैं।
दूसरी ओर गुपकार गठबंधन में शामिल नेकां नेता फारूक अब्दुल्ला, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती और अन्य लाभार्थी आरोप लगा रहे हैं कि रोशनी कानून तो एक सरकारी स्कीम थी लेकिन अब भाजपा इसे एक स्कैम के रूप में पेश कर रही है। गुपकार गठबंधन में शामिल नेकां और पीडीपी शुरू से ही अनुच्छेद 370 को हटाने और उसके बाद के बदलाव को संविधान विरोधी और जनता के हक में डकैती बता रहे हैं। 
गुपकार गठबंधन ने डीडीसी चुनावों को अपनी बात साबित करने का मौका बताया और अवाम से अपील की कि वह इन चुनावों के माध्यम से यह संदेश दे कि कश्मीर कभी इन बदलावों को स्वीकार नहीं करेगा। भारतीय जनता पार्टी इन चुनावों में भगवा का परचम लहराना चाहती है ताकि यह सा​बित किया जा सके कि कश्मीर का अवाम भी उसके साथ है। डीडीसी चुनावों के बाद पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। भाजपा की जीत साबित करेगी कि कश्मीर के लोगों ने बदलावों को स्वीकार कर लिया है। वह यह संदेश पश्चिम बंगाल तक पहुंचाना चाहती है। 
इसमें कोई संदेह नहीं कि कश्मीर की मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियां नग्न हो चुकी हैं। हुर्रियत के नागों को काफी हद तक पिटारे में बंद किया जा चुका है। उनकी असलियत सामने आ चुकी है। पाकिस्तान की खुफिया एजैंसी आईएसआई और अन्य मुस्लिम देशों से आ रही फंडिंग से अलगाववादी नेताओं ने कश्मीरी युवाओं के हाथों में पत्थर पकड़वा दिए और उन्हें दिहाड़ीदार पत्थरबाज बना दिया। अपने बच्चों को पढ़ने के लिए तो विदेश भेजा लेकिन घाटी के स्कूलों को जलवा डाला या बंद करा दिया। मनी लांड्रिंग से करोड़ों के धन का हेरफेर किया और विदेशों में भी सम्पत्ति बनाई। कुछ ने तो दिल्ली में होटल तक बनवा लिए। कश्मीर को नए नेतृत्व की जरूरत है। जो राष्ट्र की मुख्यधारा से जुड़कर जम्मू-कश्मीर के विकास के मूलमंत्र पर आगे बढ़े। डीडीसी चुनावों में कई नए चेहरे सामने आएंगे और विधानसभा चुनावों के ​लिए नई फसल तैयार होगी। 
निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को केन्द्र शासित प्रदेश के प्रशासन के तहत कामकाज करने का अनुभव प्राप्त होगा। भाजपा ने डीडीसी चुनावों के लिए जारी घोषणापत्र में स्थानीय लोगों को शतप्रतिशत आरक्षण के साथ 70 हजार नौकरियों, निजी क्षेत्र में रोजगार सुनिश्चित करने, उद्योगों के अनुकूल नीतियां लाने तथा जम्मू-कश्मीर में स्वच्छ, पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन का वादा किया है। जम्मू-कश्मीर में चुनाव नई बात नहीं, कश्मीरी अवाम आतंकवादियों की धमकियों की परवाह न करते हुए मतदान में भाग लेता रहा है, जिससे स्पष्ट है कि भारतीय लोकतंत्र में उनकी आस्था है। जबकि गुपकार गठबंधन के पास अनुच्छेद 370 के बेसुरे राग अलापने के अलावा कुछ नहीं। उम्मीद है ​कि कश्मीरी जनता अपना और अपने बच्चों का भविष्य संवारने के लिए मतदान करेगी और सही फैसला करेगी। भाजपा जम्मू-कश्मीर में नई जमीन तैयार कर रही है जबकि गुपकार गठबंधन अपना अस्तित्व बचाने के लिए चुनाव लड़ रहा है।
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