Top NewsindiaWorldViral News
Other States | Delhi NCRHaryanaUttar PradeshBiharRajasthanPunjabjammu & KashmirMadhya Pradeshuttarakhand
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariBusinessHealth & LifestyleVastu TipsViral News
Advertisement

भगदड़ में मौतें, जिम्मेदार कौन?

बैंगलुरु में आईपीएल 2025 चैम्पियन रॉयल चैलेंज बैंगलुरु की जीत का जश्न क्षण भर…

04:55 AM Jun 06, 2025 IST | Aditya Chopra

बैंगलुरु में आईपीएल 2025 चैम्पियन रॉयल चैलेंज बैंगलुरु की जीत का जश्न क्षण भर…

बैंगलुरु में आईपीएल 2025 चैम्पियन रॉयल चैलेंज बैंगलुरु की जीत का जश्न क्षण भर में त्रासदी में बदल गया जब चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर टीम के स्वागत में उमड़े हूजूम में भगदड़ मच गई। जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई और 33 लोग घायल हो गए। पहले आरसीबी टीम की महानगर की सड़कों पर विक्ट्री परेड का कार्यक्रम था जिसे पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से रद्द कर दिया था। स्टेडियम के बाहर 3 लाख के करीब भीड़ जमा हो गई थी। भगदड़ में जो गिरा वह उठ नहीं पाया। भीड़ के चलते एम्बुलैंस भी देर से पहुंची। तब तक 5 महिलाएं और 6 युवक दम तोड़ चुके थे। हैरानी की बात तो यह है कि स्टेडियम के बाहर लाशें ​िगर रही थीं लेकिन स्टेडियम के भीतर जश्न चलता रहा। राज्य के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार आैर अन्य वीआईपी आरसीबी टीम के खिलाड़ियों के साथ तस्वीरें खिंचवाने में व्यस्त थे। किसी को भी यह जानने की फुर्सत कहां थी कि बाहर क्या हो रहा है।

भारत में भगदड़ के हादसों में मौतों का सिल​िसला कोई नया नहीं है। कुम्भ मेले और उत्तर प्रदेश के एक धार्मिक समागम में अनेक लोगों की मौतें हो चुकी हैं। विदेशों की बात करें तो पिछले 10 दिन में खेल जगत का यह तीसरा हादसा है जब जीत का जश्न मातम में बदल गया हो। हाल ही में इंग्लैंड में फुटबाल टीम लिवरपूल ने ईपीएल जीतने का जश्न मनाया, जिस दौरान एक शख्स ने जश्न मना रहे प्रशंसकों पर कार चढ़ा दी। भगदड़ में 109 लोग घायल हो गए। एक जून को फ्रांस में पीएसजी फुटबाल टीम के चैम्पियन लीग जीतने पर विक्ट्री परेड हुई जिसमें 2 की मौत हो गई और 190 लोग घायल हुए। बैंगलुरु हादसे की जिम्मेदारी से न तो सिद्धारमैया सरकार भाग सकती है आैर न ही पुलिस और प्रशासन। चिन्नास्वामी स्टेडियम के आसपास की सड़कों पर पूरी तरह अव्यवस्था का आलम था और जिन्दगी ठहर सी गई थी। जब विधानसभा सौंध में आरसीबी खिलाड़ियों को राज्यपाल, मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों ने सम्मानित किया तब तक बाहर लाखों लोग इकट्ठा हो चुके थे। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोई तैयारी नहीं की गई थी। स्टेडियम की क्षमता 35 हजार की है लेकिन जब तीन लाख लोग पहुंच जाएं तो स्थिति काबू से बाहर होनी ही थी। जब भगदड़ मचती है तो लोग गिरते हैं आैर भागते लोगों के पांव तले कुचले जाते हैं।

भगदड़ के दौरान कई लोग गिर सकते हैं और कुचले जा सकते हैं, लेकिन मौत का सबसे आम कारण कंप्रेसिव एस्फिक्सिया है, जो एक खतरनाक स्थिति है जो तब होती है जब शरीर पर बाहरी दबाव के कारण सांस लेना बंद हो जाता है। इंसान अपने फेफड़ों से हवा को अंदर और बाहर सांस की नली के जरिए ऑक्सीजन लेते हैं। जबकि हमारा ब्लड हमारे शरीर में कोशिकाओं तक ऑक्सीजन पहुंचाता है, कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकलता है। भगदड़ के दौरान, भीड़ में फंसे लोग एक-दूसरे से टकराते हैं। इसका मतलब है कि हिलने-डुलने की कोई जगह नहीं रहती है। इसके कारण मांसपेशी, डायाफ्राम को सिकुड़ने (कसने) और सपाट होने (आराम करने) से रोकता है, जिसका अर्थ है कि हवा फेफड़ों में प्रवेश नहीं कर सकती या बाहर नहीं निकल सकती। जब ऐसा होता है तो यह जल्दी से कार्बन डाइऑक्साइड के निर्माण और ऑक्सीजन की कमी के साथ संपीड़ित और सांस लेने में दिक्कत होती है। इंसान का शरीर लंबे समय तक ऑक्सीजन के बिना काम नहीं कर सकता क्योंकि यह जल्दी से अंग विफलता और मस्तिष्क की मृत्यु का कारण बन सकता है।

दक्षिण भारतीय लोगों का फिल्म स्टारों के प्रति जितना जुनून है उतना क्रिकेट खिलाड़ियों के प्रति भी है। दक्षिण भारतीय लोग क्रिकेट खेलते हैं, देखते हैं और इस पर चर्चा करते हैं। वे एक तरह से क्रिकेट को जीते हैं। वैसे तो क्रिकेट पूरे देश में लोकप्रिय है, लेकिन तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में जुनून कुछ ज्यादा ही है। दक्षिण भारत ने भारतीय क्रिकेट टीम को बेहतरीन खिलाड़ी दिये हैं, जैसे कि राहुल द्रविड़, वी.वी.एस. लक्ष्मण, अनिल कुम्बले, रविचन्द्रन अश्विन आदि। 90 के दशक के आरम्भ में कर्नाटक ने इतने महान खिलाड़ी पैदा किए कि 11 में से 6 अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ी कर्नाटक से थे। अन्तर्राष्ट्रीय और घरेलू टूर्नामैंटों सहित प्रमुख आयोजन दक्षिण भारत में लोगों को अधिक आक​र्षिक करते हैं। आखिर लोग क्रिकेट के प्र​ित इतने दीवाने क्यों हैं। क्या यह मार्किटिंग का नतीजा तो नहीं? जैसे-जैसे भारत की अर्थव्यवस्था का विकास होता गया आैर संचार माध्यमों का विकास हुआ वैसे-वैसे क्रिकेट का क्लब संस्करण सामने आया। क्रिकेट के क्लब संस्करण ने मनोरंजन का ऐसा तिलिस्म पैदा कर दिया कि लोगों को रात के समय फ्लड लाइट्स में रंग-बिरंगे कपड़े पहने खिलाड़ियों को खेलते देख आनंद आने लगा। ऐसे वातावरण में क्रिकेट के प्रति समर्पित प्रशंसकों का समूह बढ़ता गया।

दुखद बात यह है कि भारत ने अभी तक भीड़ प्रबंधन करना नहीं सीखा। उत्सव मनाने गए लोग भगदड़ का शिकार हो जाते हैं। यह भी तथ्य है कि कुछ देश बड़े-बड़े आयोजन करते हैं, इसके बावजूद हादसे नहीं होते और लोग सुरक्षित घरों को लौट जाते हैं लेकिन जहां हादसे होते हैं वहां भीड़ प्रबंधन की कला का अभाव साफ दिखाई देता है। भारत में तो भीड़ में अफवाहों के चलते भी भगदड़ मच जाती है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बाेर्ड को जीत के आयोजन के ​िलए नियम तय करने होंगे। पुलिस बल आैर अन्य बलों और प्रशासन को भीड़ के आंकलन आैर प्रबंधन कला का प्रशिक्षण भी ​िदया जाना चाहिए, तभी ऐसे हादसे रुक सकते हैं।

Advertisement
Advertisement
Next Article