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चीन ने दी हमले की धमकी , भारत ने डोकला इलाके में बढ़ाई सैनिकों की संख्या

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02:38 PM Jul 05, 2017 IST | Desk Team

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चीन ने दी हमले की धमकी   भारत ने डोकला इलाके में बढ़ाई सैनिकों की संख्या
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भारत चीन सीमा पर तनातनी बनी हुई है सिक्किम में भारत और चीन की सेना के बीच विवाद जारी है जिसको लेकर चीन एक बार फिर ने भारत को हमले की धमकी दी है और कहा है कि भारत चुंबी घाटी के डोकला इलाके में चीन की गतिविधियों पर इसरो सैटेलाइट की मदद से नजर रख रहा है ।

वही चीन ने सिक्किम सेक्टर में भारत के साथ सैन्य गतिरोध को लेकर समझौते की गुंजाइश से इनकार कर दिया है। भारत ने भी चुंबी घाटी के डोकला इलाके में सैनिकों की संख्या बढ़ा दी हैं।

सीमा विवाद के कारण दोनों देश 1962 में युद्ध के मैदान में भी आमने-सामने खड़े हो चुके हैं। लेकिन अभी भी सीमा पर मौजूद कुछ इलाकों को लेकर विवाद है जो कभी-कभी तनाव की वजह बनता है। पिछले माह शुरू हुए तनाव के बीच भारत और चीन ने सीमा पर अपनी सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी और एक-दूसरे से उनकी सेना को वापस बुलाने के लिए कहा।

क्या है पूरा मामला

> दोनों देशों के बीच 3,500 किमोलीटर (2,174 मील) लंबी सीमा है।

> भारत और चीन चुंबी घाटी के इलाके में आमने-सामने है, जहां भारत-भूटान और चीन तीन देशों की सीमाएं मिलती हैं। डोकलाम पठार चुंबी घाटी का ही हिस्सा है जहां भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच तनाव हुआ है।

> इस पूरे विवाद से भारत की चिंता इस बात को लेकर है इस इलाके से चीन की तोपें चिकेन्स नेक कहे जाने वाली इस संकरी पट्टी के बेहद करीब तक आ सकती हैं। जो उत्तर पूर्व को पूरे भारत से जोड़ती है।

> डोकाला पठार से सिर्फ 10-12 किमी पर ही चीन का शहर याडोंग है। जो हर मौसम में चालू रहने वाली सड़क से जुड़ा है डोकाला पठार नाथूला से सिर्फ 15 किमी की दूरी पर है।

> भूटान सरकार भी डोकाला इलाके में चीन की मौजूदगी का विरोध कर चुकी है, जो कि जोम्पलरी रिज में मौजूद भूटान सेना के बेस से बेहद करीब है।

> जून की शुरुआत में चीनी वर्करों ने याडोंग से इस इलाके में सड़क को आगे बढ़ाने की कोशिश की, जिसकी वजह से ठीक इसी इलाके में भारतीय जवानों ने उन्हें ऐसा करने से रोका।

अरुण जेटली का चीन को जवाब

सिक्किम और भूटान से सटे इलाके में चीन के साथ उपजे विवाद के बीच रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने चीन की चेतावनी को खारिज कर दिया है। चीन ने कहा था कि भारत को 1962 का सबक याद रखना चाहिए। चीनी विदेश मंत्री की इस चेतावनी पर प्रतिक्रिया देते हुए रक्षामंत्री अरुण जेटली ने कहा कि 2017 का भारत,1962 के भारत से अलग है। जेटली ने कहा कि भूटान ने बयान दिया है कि जहां चीन सड़क का निर्माण कर रहा है। वह ज़मीन भूटान की है और भूटान और भारत के बीच सुरक्षा संबंध हैं। इसलिए हमारी सेना वहां पर है। चीन की ओर से 1962 की याद दिलाने पर रक्षामंत्री जेटली ने कहा कि 1962 के हालात अलग थे और आज के हालात अलग हैं। हमें इस बात को समझना होगा।

जानिए दोनों देशो के पास कितनी पावर है

यदि दोनों देशो की मिसाइल पावर को देखा जाये तो भारत के पास अग्नि 5 मिसाइल है। जिसकी रेंज 8 हजार किलोमीटर तक है। हालांकि इसके मुकाबले चीन के पास DF31A मिसाइल है। जिसकी रेंज 12 हजार किलोमीटर तक है।

ग्लोबल फायर पावर डॉट कॉम के अनुसार चीन की एयर फाॅर्स के पास कुल 2,955 एयरक्राफ्ट हैं। इसमें से 1,271 फाइटर एयरक्राफ्ट, 1,385 अटैक एयरक्राफ्ट, 782 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, 352 ट्रेनर एयर क्राफ्ट, 206 अटैक हेलिकॉप्टर समेत कुल 912 हेलिकॉप्टर हैं। जबकि भारत की बात कर तो भारत के पास 676 फाइटर एयरक्राफ्ट, 809 अटैक एयरक्राफ्ट, 857 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, 323 ट्रेनर एयरक्राफ्ट, 16 अटैक हेलिकॉप्टर समेत कुल 666 हेलिकॉप्टर हैं।

अगर दोनों देशो की थल सेना की बात करें तो चीन के पास विश्व की सबसे बड़ी सेना है। चीन के पास 22 लाख 85 हजार सशस्त्र सैनिक हैं। तो 5 लाख 10 हजार रिजर्व सैनिक भी हैं। और अर्धसैनिक बलों के रूप में चीन के पास 6 लाख 60 हजार सैनिक हैं।

भारत के पास 6,457 युद्धक टैंक, 4,788 बख्तरबंद लड़ाकू वाहन, 1,710 स्वचालित वाहन और 1,770 रॉकेट प्रोजेक्टर हैं।

चीन की People’s Liberation Army Navy (PLAN) के पास 1 Aircraft carrier, 51 युद्धपोत, 36 विध्वंसक, 35 जंगी जहाज, 68 पनडुब्बी, 220 Petrol craft, 31 माइन वारफेयर पोत हैं। चीन ने बुधवार को ही अपने सबसे बड़े विध्वंसक टाइप-055 को लॉन्च किया था।

इसके मुकाबले भारत के पास 3 Aircraft carrier,, 14 युद्धपोत, 11 विध्वंसक, 23 जंगी जहाज, 15 पनडुब्बी, 139 Petrol craft और 6 माइन वारफेयर पोत हैं। भारत चीन से Aircraft carrier के मामले में आगे है।

वही इस मामले में भूटान का क्या कहना है जानिए

भारत के लिए भूटान के दूत वेत्सोप नामग्याल का कहना है कि चीन की सड़क परियोजना दोनों देशों के बीच हुए समझौते का उल्लंघन है । भूटान और चीन में औपचारिक रिश्ते नहीं हैं। लेकिन दिल्ली स्थित अपने मिशन के जरिये दोनों देश एक-दूसरे के साथ रिश्ते जारी रखते हैं।

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