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Delhi: रेलवे को दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया आदेश, मस्जिदों को ढहाने के लिए जारी किए गए नोटिस का रिकॉर्ड करें पेश

दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को रेलवे को रेलवे ब्रिज और बाबर रोड रेलवे लाइन के पास स्थित मस्जिद तकिया बब्बर शाह और बंगाली मार्केट मस्जिद की दीवारों पर चिपकाए गए दो डिमोलिशन नोटिसों के संबंध में रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया।

10:45 AM Sep 13, 2023 IST | Prateek Mishra

दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को रेलवे को रेलवे ब्रिज और बाबर रोड रेलवे लाइन के पास स्थित मस्जिद तकिया बब्बर शाह और बंगाली मार्केट मस्जिद की दीवारों पर चिपकाए गए दो डिमोलिशन नोटिसों के संबंध में रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया।

दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को रेलवे को रेलवे ब्रिज और बाबर रोड रेलवे लाइन के पास स्थित मस्जिद तकिया बब्बर शाह और बंगाली मार्केट मस्जिद की दीवारों पर चिपकाए गए दो डिमोलिशन नोटिसों के संबंध में रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया।  बता दें न्यायमूर्ति प्रतीक जालान दिल्ली वक्फ बोर्ड द्वारा दो नोटिसों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहे थे और प्रशासन को अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया था। 
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सभी को पूरी जानकारी देने के बाद नोटिस चिपका दिया गया
आपको बता दें न्यायाधीश ने संबंधित रिकॉर्ड अदालत में लाने का निर्देश देते हुए कहा, ”मैं देखना चाहता हूं कि रेलवे प्रशासन संपत्ति, तारीख का उल्लेख किए बिना कैसे नोटिस जारी कर रहा है।केंद्र के वकील ने कहा कि नोटिस रेलवे अधिकारियों द्वारा जारी किए गए थे और यह संबंधित व्यक्तियों की पूरी जानकारी के बाद किया गया था। वकील ने जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा, “मुझे एक हलफनामा दाखिल करने दीजिए। मैंने रिकॉर्ड की जांच की। सभी को पूरी जानकारी देने के बाद नोटिस चिपका दिया गया।
अगली सुनवाई के लिए 30 जनवरी 2024 की तारीख तय की है
दरअसल, 26 जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश पारित किया था जिसमें रेलवे को दो मस्जिदों पर चिपकाए गए नोटिस के अनुसार कोई कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया गया था। उस समय पीठ ने कहा था कि उन्होंने यह देखते हुए कि नोटिस पर किसी अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं हैं। मस्जिदों पर कार्यवाही पर फिलहाल रोक रहेगी। पीठ ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 30 जनवरी 2024 की तारीख तय की ।
 रेलवे बिना किसी रोक-टोक के विध्वंस के साथ आगे बढ़ सकता
बोर्ड की याचिका में कहा गया है कि विवादित नोटिस सामान्य अहस्ताक्षरित और अदिनांकित होने के अलावा उन्हें सीधे नहीं भेजा गया था।नोटिस की सामग्री से ऐसा प्रतीत होता है कि प्रतिवादी (रेलवे) इस कार्रवाई को दुर्भावनापूर्ण, मनमाना और बिना किसी वैध कारण के मस्जिदों को ध्वस्त करने की योजना बना रहे हैं। याचिका में आगे तर्क दिया गया है कि चूंकि नोटिस में एक विशिष्ट तारीख और हस्ताक्षर का अभाव है और बोर्ड के कार्यालय में भेजे जाने के बजाय मस्जिदों पर चिपका दिया गया था, इसलिए ऐसी आशंका है कि रेलवे बिना किसी रोक-टोक के विध्वंस के साथ आगे बढ़ सकता है, जब तक कि इस अदालत द्वारा निर्देश न दिया जाए। 
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