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Delhi High Court '...मंदिर गिराने से भगवान शिव अधिक प्रसन्न होंगे', आखिर अदालत ने ऐसा क्यों कहा?

06:17 AM May 30, 2024 IST | Shivam Kumar Jha
delhi high court     मंदिर गिराने से भगवान शिव अधिक प्रसन्न होंगे   आखिर अदालत ने ऐसा क्यों कहा

Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए, DDA) की कार्रवाई के विरुद्ध दायर याचिका को ख़ारिज कर दिया गया है। दरसल, दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए DDA) ने यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र में मौजूद एक अवैध शिव मंदिर को गिराने का आदेश दिया था, इस आदेश के विरूद्ध कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसे दिल्ली हाईकोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दी कि भगवान शिव को हमारी सुरक्षा की आवश्यकता नहीं है। बल्कि, हम और लोग उनसे सुरक्षा और आशीष चाहते हैं।

भगवान् होंगे खुश
न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा की पीठ ने कहा कि यदि यमुना नदी के तलहटी क्षेत्र और बाढ़ वाले इलाकों को सभी अतिक्रमणों और अनधिकृत निर्माण से मुक्त कर दिया जाता है तो भगवान शिव अधिक प्रसन्न होंगे। अदालत ने बाढ़ क्षेत्र के निकट गीता कॉलोनी में स्थित प्राचीन शिव मंदिर को ध्वस्त करने संबंधी आदेश को रद्द करने से इनकार करते हुए ये टिप्पणियां कीं।

मंदिर को लेकर क्या था दावा
दायर याचिका में याचिकाकर्ता ने दावा किया कि मंदिर आध्यात्मिक गतिविधियों का केंद्र है, जहां नियमित रूप से 300 से 400 श्रद्धालु आते हैं। याचिका में दावा किया गया कि याचिकाकर्ता सोसायटी को मंदिर की संपत्ति की पारदर्शिता, जवाबदेही और जिम्मेदार प्रबंधन को बनाये रखने के उद्देश्य से 2018 में पंजीकृत किया गया था। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता सोसायटी भूमि पर अपने स्वामित्व, अधिकार या हित के संबंध में कोई दस्तावेज दिखाने में पूरी तरह विफल रही है और इस बात का कोई सबूत नहीं है कि मंदिर का कोई ऐतिहासिक महत्व है।

ख़ारिज हुई याचिका
याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि विचाराधीन मंदिर यमुना बाढ़ क्षेत्र में मौजदू था और इसे एनजीटी के निर्देशों के अनुसार, डीडीए द्वारा विकसित किया गया था। जस्टिस धर्मेश शर्मा ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता के वकील द्वारा आधे-अधूरे मन से दी गई यह दलील कि मंदिर के देवता होने के नाते भगवान शिव को भी इस मामले में पक्षकार बनाया जाना चाहिए। उसके सदस्यों के निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए पूरे विवाद को एक अलग रंग देने का एक हताशाजनक प्रयास है.’’ हालाँकि अदालत ने माना कि मंदिर में हर दिन प्रार्थना की जाती है और कुछ पर्व के अवसरों पर विशेष आयोजन होते हैं। हालांकि, इससे मंदिर को सार्वजनिक महत्व के स्थान में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है।

दिल्ली हाई कोर्ट का याचिकाकर्ता और प्रशासन को निर्देश
अदालत ने याचिकाकर्ता को मंदिर में मूर्तियों और अन्य धार्मिक वस्तुओं को हटाने और उसे किसी अन्य मंदिर में रखने के लिए 15 दिन का समय दिया। साथ ही अदालत ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता ऐसा करने में विफल रहते हैं तो डीडीए को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है कि मूर्तियों को किसी अन्य मंदिर में रखा जाए। साथ ही डीडीए को अनधिकृत निर्माण को ध्वस्त करने की स्वतंत्रता भी दे दी।

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Shivam Kumar Jha

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