For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

दिल्ली उच्च न्यायालय : जीवन साथी चुनने और जरूरत पड़ने पर पुलिस सुरक्षा

07:46 PM Oct 30, 2023 IST | Deepak Kumar
दिल्ली उच्च न्यायालय   जीवन साथी चुनने और जरूरत पड़ने पर पुलिस सुरक्षा

अदालत के आदेश में कहा गया है कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करता है, जिसमें व्यक्तिगत विकल्प चुनने का अधिकार भी शामिल है, खासकर विवाह के मामलों में। न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी ने हाल ही में 6 अक्टूबर को मुस्लिम रीति-रिवाजों और समारोहों के माध्यम से शादी करने वाले जोड़े को पुलिस सुरक्षा प्रदान करते हुए यह फैसला सुनाया। जोड़े ने युवती के परिवार के सदस्यों से मिल रहीं धमकियों के मद्देनजर सुरक्षा मांगी।

हस्तक्षेप करने के लिए किसी के पास कुछ नहीं

अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि जब दो वयस्क सहमति से स्वेच्छा से विवाह करने का निर्णय लेते हैं, तो कोई भी बाहरी हस्तक्षेप, चाहे वह माता-पिता, रिश्तेदारों, समाज या राज्य से हो, उनकी पसंद में बाधा नहीं बननी चाहिए। अदालत ने कहा कि ऐसे व्यक्तियों के जीवन में हस्तक्षेप करने के लिए किसी के पास कुछ भी नहीं बचा है। न्यायमूर्ति बनर्जी ने आदेश दिया कि जब भी जरूरी हो, दंपति संबंधित पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) या बीट कांस्टेबल से संपर्क करने के लिए स्वतंत्र हैं।

विवाह का अधिकार मानव स्वतंत्रता

फैसले में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि विवाह में शामिल दोनों व्यक्ति वयस्क हैं और उन्हें सामाजिक स्वीकृति की परवाह किए बिना एक-दूसरे से विवाह करने का कानूनी अधिकार है। इसके अलावा, अदालत ने कहा कि विवाह का अधिकार मानव स्वतंत्रता का एक मूलभूत पहलू है, जो न केवल मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा में निहित है, बल्कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत भी संरक्षित है, जो जीवन के अधिकार की गारंटी देता है। अदालत ने एसएचओ और बीट कांस्टेबल को कानून के अनुसार जोड़े को पर्याप्त सहायता और सुरक्षा प्रदान करने के लिए सभी जरूरी उपाय करने का निर्देश दिया।

 

देश और दुनिया की तमाम खबरों के लिए हमारा YouTube Channel ‘PUNJAB KESARI’ को अभी subscribe करें। आप हमें FACEBOOK, INSTAGRAM और TWITTER पर भी फॉलो कर सकते हैं।

Advertisement
Advertisement
Author Image

Deepak Kumar

View all posts

राजनीतिक पत्रकारिता के साथ मनोरंजन और क्रिकेट में भी रूचि रखता हूँ। पत्रकारिता में परास्नातक के साथ एक वर्ष का रिपोर्टिंग और एंकरिंग में डिप्लोमा है। सड़क से लेकर स्टूडियो तक का सफर आसान ना था जिसमे मुझे विशेष शो लाने के लिए भी कहा गया। लेकिन अब तो मानो कैमरे और माइक मेरे दोस्त हो गए हो...और हा में लिखता भी हूँ

Advertisement
×