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दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा-उम्मीद है केंद्र बिना बिजली के रह रहे हिंदू शरणार्थियों की दशा पर विचार करेगा

दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस बात की उम्मीद जताई है कि केंद्र सरकार शहर में झुग्गियों में बिना बिजली के रह रहे पाकिस्तान के गरीब हिंदू प्रवासियों की दुर्दशा पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी।

04:11 PM Sep 14, 2022 IST | Desk Team

दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस बात की उम्मीद जताई है कि केंद्र सरकार शहर में झुग्गियों में बिना बिजली के रह रहे पाकिस्तान के गरीब हिंदू प्रवासियों की दुर्दशा पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस बात की उम्मीद जताई है कि केंद्र सरकार शहर में झुग्गियों में बिना बिजली के रह रहे पाकिस्तान के गरीब हिंदू प्रवासियों की दुर्दशा पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र से कहा कि वह उस याचिका पर दो हफ्ते के अंदर अपना जवाब दायर करे, जिसमें करीब 800 ऐसे प्रवासियों को बिजली की आपूर्ति नहीं देने पर चिंता जताई गई है। अदालत ने यह भी पूछा कि बिजली वितरण के लिए उन्हें पिछले पांच-छह साल से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) क्यों जारी नहीं किए गए हैं।
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पीठ ने इस महीने की शुरुआत में पारित आदेश में कहा कि जिस भूमि पर झुग्गी बसी है, वह भारत सरकार/रक्षा विभाग/डीएमआरसी (दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन) की है तथा जमीन का मालिकाना हक रखने वाली एजेंसी की ओर से एनओसी नहीं दिए जाने की वजह से बिजली वितरण कंपनी बिजली के कनेक्शन उपलब्ध कराने की स्थिति में नहीं है। इस पीठ में न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम भी शामिल हैं। पीठ ने कहा, इस अदालत को उम्मीद और विश्वास है कि भारत सरकार प्रवासियों की दुर्दशा पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी और दो सप्ताह में हलफनामा दाखिल करेगी। क्षेत्र में बिजली आपूर्ति का काम करने वाली ‘टाटा पावर दिल्ली ड्रिस्ट्रीब्यूशन लिमिटिड’ ने अदालत से कहा कि बिजली उपलब्ध कराने के लिए जमीन पर खंभे लगाने होंगे, इसलिए एनओसी की जरूरत है।
याचिकाकर्ता हरिओम का दावा है कि वह सामाजिक कार्यकर्ता हैं और पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए वहां के अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए काम करते हैं। उन्होंने पिछले साल अदालत का रुख कर कहा था कि पाकिस्तान, खासकर सिंध प्रांत के प्रवासी उत्तर दिल्ली के आदर्श नगर इलाके में पिछले कई साल से बिना बिजली के रह रहे हैं। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि प्रवासी लंबी अवधि के वीजा पर भारत आए थे, वे गरीब लोग हैं, जिनके पास कोई स्थायी आश्रय नहीं है और उनके पास आधार कार्ड है। उसने कहा, “यह भी बताया गया है कि क्षेत्र में छोटे बच्चे व महिलाएं हैं और बिजली के अभाव में इन परिवारों का गुजारा करना बहुत मुश्किल हो गया है और वे बेहद मुश्किल परिस्थितियों में रह रहे हैं। याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को बताया कि पाकिस्तान से आए अन्य प्रवासी, जो मजनू-का-टीला में रहते हैं, उन्हें प्रीपेड मीटर/बिजली कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। अधिवक्ता समीक्षा मित्तल, आकाश वाजपेयी और आयुष सक्सेना के माध्यम से दायर जनहित याचिका में कहा गया है, “धार्मिक उत्पीड़न के कारण पाकिस्तान से भारत आए प्रवासियों का मानना था कि भारत आने से उनके बच्चों को उज्ज्वल और सुरक्षित भविष्य मिलेगा। मामले की अगली सुनवाई छह अक्टूबर को होगी।
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