Delhi High Court ने भ्रष्टाचार मामले पर ACB से मांगा जवाब
गिरफ्तारी से राहत नहीं, हाई कोर्ट का सख्त रुख
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) को राउज एवेन्यू न्यायालय के एक अहलमद (रिकॉर्ड कीपर) के खिलाफ रिश्वत के आरोपों की चल रही जांच के संबंध में स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अमित शर्मा ने आरोपी कुमार को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण देने से इनकार कर दिया, जिसकी अग्रिम जमानत याचिका उच्च न्यायालय के समक्ष सूचीबद्ध थी। जब कुमार के वकील ने गिरफ्तारी से संरक्षण मांगा तो उच्च न्यायालय ने कहा, “आरोप बेहद गंभीर हैं। रिकॉर्ड पर ठोस सबूत हैं। इसमें हमारे अपने स्टाफ का एक सदस्य शामिल है, जो मामले को और भी गंभीर बनाता है।”
याचिका पर 29 मई को सुनवाई होनी तय की गई है, उसी दिन कुमार की एफआईआर को रद्द करने की याचिका भी थी। अंतरिम राहत आदेश जारी करने से इनकार करते हुए न्यायाधीश ने टिप्पणी की, “हम इसका निपटारा करेंगे।” इस बीच हाईकोर्ट को सौंपी गई एक ऑडियो रिकॉर्डिंग में कथित तौर पर एसीबी के एक वरिष्ठ अधिकारी को न्यायिक आदेशों के जवाब में एक न्यायाधीश को फंसाने के प्रयासों पर चर्चा करते हुए दिखाया गया है, जो एजेंसी के आचरण की आलोचना करते हैं।
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इन खुलासों ने एसीबी के भीतर सत्ता के कथित दुरुपयोग को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। आरोप लगाया गया है कि विशेष न्यायाधीश से संबंधित मामलों को संभालने वाले कोर्ट स्टाफ के खिलाफ एफआईआर एसीबी अधिकारियों के खिलाफ प्रतिकूल फैसलों के प्रतिशोध में दर्ज की गई थी। विवादों के बीच दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में 2023 में दर्ज जीएसटी से संबंधित एक मामले में आरोपी व्यक्तियों को जमानत देने के बदले में रिश्वत मांगने के आरोपों पर राउज एवेन्यू कोर्ट से एक विशेष न्यायाधीश के तबादले का आदेश दिया है। कोर्ट स्टाफ (रिकॉर्ड कीपर) के खिलाफ भ्रष्टाचार से संबंधित प्रावधानों के तहत 16 मई, 2025 को एफआईआर दर्ज की गई थी।
हाईकोर्ट ने 20 मई को संबंधित विशेष न्यायाधीश के तबादले का आदेश जारी किया। इसके बाद आरोपी कोर्ट स्टाफ ने एफआईआर को रद्द करने की मांग की, लेकिन हाईकोर्ट ने तत्काल राहत नहीं दी, हालांकि उसने राज्य को नोटिस जारी किया। 20 मई को न्यायमूर्ति अमित महाजन के समक्ष कार्यवाही के दौरान, राज्य के अतिरिक्त वकील ने अदालत को सूचित किया कि जनवरी 2025 में संबंधित सामग्री एनसीटी दिल्ली सरकार के कानून के प्रमुख सचिव को भेज दी गई थी। यह जानकारी बाद में रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से उच्च न्यायालय की प्रशासनिक समिति को सौंपी गई। राज्य ने तर्क दिया कि एफआईआर में आरोपों को सही ठहराने के लिए पर्याप्त सामग्री मौजूद है, जिससे आगे की जांच आवश्यक है।