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दिल्ली के उप राज्यपाल ने केजरीवाल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, कर चोरी करने का लगाया आरोप

दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव से उस शिकायत पर ‘‘आवश्यक कार्रवाई’’ करने को कहा है, जिसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर हरियाणा में बेची गई उनकी तीन संपत्ति का ‘‘कम मूल्य’’ बताने के जरिये

03:34 AM Sep 08, 2022 IST | Desk Team

दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव से उस शिकायत पर ‘‘आवश्यक कार्रवाई’’ करने को कहा है, जिसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर हरियाणा में बेची गई उनकी तीन संपत्ति का ‘‘कम मूल्य’’ बताने के जरिये

दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव से उस शिकायत पर ‘‘आवश्यक कार्रवाई’’ करने को कहा है, जिसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर हरियाणा में बेची गई उनकी तीन संपत्ति का ‘‘कम मूल्य’’ बताने के जरिये ‘‘कर चोरी’’ करने का आरोप लगाया गया है। उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
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दिल्ली सरकार की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं 
आरोप पर दिल्ली सरकार की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है।
हालांकि, आम आदमी पार्टी (आप) के सूत्रों ने कहा कि ‘‘पैतृक संपत्ति’’ को ‘‘कलेक्टर रेट’’ के अनुसार बेचा गया था। आप सूत्रों ने कहा, ‘‘कलेक्टर रेट के अनुसार स्टाम्प शुल्क की पूरी राशि का भुगतान कर दिया गया है। किसी भी गलत कार्य का सवाल नहीं उठता है? हालांकि, अगर उपराज्यपाल चाहें तो वह केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) या किसी अन्य से जांच करा सकते हैं।’’
शिकायतकर्ता ने लगाए आरोप 
सूत्रों ने कहा कि दिल्ली लोकायुक्त को संबोधित शिकायत की एक प्रति इस साल 28 अगस्त को उपराज्यपाल कार्यालय को भी मिली थी। शिकायतकर्ता के नाम का खुलासा किए बिना सूत्रों ने कहा, ‘‘उपराज्यपाल ने आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए मुख्य सचिव को शिकायत भेजी है।’’ शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि तीन संपत्ति, दो केजरीवाल की और एक उनके पिता की, उनकी पत्नी के जरिए बेची गई। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि भिवानी में तीन शहरी वाणिज्यिक भूखंडों को 15 फरवरी, 2021 को 4.54 करोड़ रुपये के बाजार मूल्य पर बेचा गया था, लेकिन कागज पर इसका बहुत कम मूल्य अंकित किया गया और 72.72 लाख रुपये बताया गया।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि लेनदेन में स्टाम्प शुल्क में 25.93 लाख रुपये और पूंजीगत लाभ कर के रूप में 76.4 लाख रुपये की ‘‘चोरी’’ शामिल है। दिल्ली आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की सिफारिश के बाद आप सरकार और उपराज्यपाल एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते रहे हैं।
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