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दिल्ली के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने धर्मांतरण कार्यक्रम को लेकर हुए विवाद के बाद दिया इस्तीफा

दिल्ली के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने धर्मांतरण कार्यक्रम में उपस्थिति को लेकर हुए विवाद के बीच रविवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। कार्यक्रम में कथित तौर पर हिंदू देवताओं की निंदा की गई थी।

10:58 PM Oct 09, 2022 IST | Shera Rajput

दिल्ली के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने धर्मांतरण कार्यक्रम में उपस्थिति को लेकर हुए विवाद के बीच रविवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। कार्यक्रम में कथित तौर पर हिंदू देवताओं की निंदा की गई थी।

दिल्ली के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने धर्मांतरण कार्यक्रम में उपस्थिति को लेकर हुए विवाद के बीच रविवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। कार्यक्रम में कथित तौर पर हिंदू देवताओं की निंदा की गई थी।
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भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरान आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल पर हमला करने के लिए इस मुद्दे का इस्तेमाल किया है और उन पर ‘हिंदू विरोधी’ होने का आरोप लगाया है।
गौतम ने ट्विटर पर साझा किए गए पत्र में कहा है कि वह व्यक्तिगत रूप से पांच अक्टूबर को हुए कार्यक्रम में शामिल हुए थे और इससे उनकी पार्टी से या उनके मंत्री होने का कोई लेना देना नहीं था।
उन्होंने केजरीवाल व आप को निशाने पर लेने के लिए भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए आरोप लगाया कि भाजपा इस मुद्दे पर ‘गंदी राजनीति’ कर रही है।
गौतम ने कहा कि वह मंत्री पद से इस्तीफा दे रहे हैं ताकि उनकी वजह से उनके नेता केजरीवाल व आप पर कोई आंच नहीं आए।
पिछले हफ्ते एक वीडियो वायरल होने के बाद विवाद शुरू हो गया। यह पांच अक्टूबर को हुए एक कार्यक्रम का वीडियो था जिसमें गौतम ने शिरकत की थी। कार्यक्रम में सैकड़ों लोगों ने बौद्ध धर्म अपनाने और हिंदू देवताओं को भगवान नहीं मानने की प्रतिज्ञा ली थी।
दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि गौतम ने भाजपा के दबाव में इस्तीफा दिया है।
उन्होंने कहा कि मंत्री का सिर्फ इस्तीफा ही काफी नहीं है और गौतम के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जानी चाहिए और उन्हें ‘हिंदू देवी-देवताओं की निंदा करने’ के लिए पार्टी से निष्कासित किया जाना चाहिए।
भाजपा नेता ने कहा, “ इसके अलावा भ्रष्टाचार में लिप्त उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और मंत्री सत्येंद्र जैन से भी इस्तीफा लिया जाए।”
गौतम ने भाजपा पर उनके खिलाफ “अफवाहें” फैलाने का आरोप लगाया था और “इस तरह के प्रचार के कारण आहत होने वाले व्यक्तियों” से माफी मांगी थी।
उन्होंने रविवार को कहा, “ मैं नहीं चाहता कि मेरी वजह से मेरे नेता अरविंद केजरीवाल जी और मेरी पार्टी पर किसी तरह की आंच आए। मैं पार्टी का सच्चा सिपाही हूं तथा बुद्ध एवं बाबा साहेब (आम्बेडकर) द्वारा दिखाए गए मूल्यों का आजीवन निर्वाह करूंगा।”
मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि गौतम का इस्तीफा मुख्यमंत्री को मिल गया है और इस पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है।
मंत्री के तौर पर गौतम के पास समाज कल्याण, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति, सहकारी समिति विभाग का जिम्मा था और वह गुरुद्वारा चुनाव के रजिस्ट्रार थे। वह सीमापुरी से विधायक हैं।
आप नेता ने कहा कि उन्होंने पांच अक्टूबर के कार्यक्रम में ‘व्यक्तिगत तौर पर एक समाज के सदस्य के रूप में’ भाग लिया और इसका उनकी पार्टी और मंत्रिपरिषद से कोई लेना-देना नहीं था।
उन्होंने कहा कि डॉ भीम राव आम्बेडकर के प्रपौत्र राजरत्न आम्बेडकर ने इस कार्यक्रम में 22 प्रतिज्ञाओं (बौद्ध धर्म को अपनाने के दौरान लोग लेते हैं) को दोहराया और उन्होंने भी 10,000 से अधिक लोगों के साथ उन्हें दोहराया था।
पत्र के मुताबिक, “तब से भाजपा हमारे नेता अरविंद केजरीवाल जी और आप को निशाने पर ले रही है जिससे मुझे बहुत दुख हुआ है।”
गौतम ने कहा कि करोड़ों लोग हर साल देश भर में हजारों जगहों पर इन 22 प्रतिज्ञाओं को दोहराते हैं।
पत्र में कहा गया है, “ भाजपा इनका इस्तेमाल कर गंदी राजनीति कर रही है और इससे आहत होकर मैं अपने मंत्री पद से त्याग पत्र दे रहा हूं।”
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा को बाबा साहेब आम्बेडकर और उनकी 22 प्रतिज्ञाओं पर आपत्ति है।
गौतम ने केजरीवाल को सम्मान और समर्थन देने के लिए धन्यवाद दिया और शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला और बाल विकास, सामाजिक कल्याण, बिजली और पानी के क्षेत्रों में किए गए कार्यों के लिए अपनी पार्टी की प्रशंसा की।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में दलित समुदाय के सदस्यों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं और जाति के आधार पर भेदभाव देखकर उनका दिल ‘छलनी’ होता है।
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