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अरविंद केजरीवाल : आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत को एक पत्र भेजकर भाजपा की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। केजरीवाल ने अपने पत्र में पांच सवाल उठाए हैं, जो वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों पर चिंता व्यक्त करते हैं। केजरीवाल ने पत्र में कहा कि भाजपा देश को जिस दिशा में ले जा रही है, वह भारतीय लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। उन्होंने तिरंगे की गरिमा और भारतीय लोकतंत्र की रक्षा की जिम्मेदारी सभी पर डाली।
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बता दें कि, उनके पहले सवाल में उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ईडी और सीबीआई के माध्यम से दूसरी पार्टियों के नेताओं को तोड़ रही है। उन्होंने पूछा, 'क्या इस तरह से एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक चुनी हुई सरकार को गिराना सही है?' केजरीवाल ने यह भी पूछा कि क्या आरएसएस को ऐसी बेईमानी मंजूर है।
दूसरे सवाल में, केजरीवाल ने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की उन बातों की आलोचना की, जिसमें वे अपने विरोधियों को भ्रष्टाचारी बताते हैं, लेकिन बाद में उन्हें भाजपा में शामिल कर लेते हैं। उन्होंने उदाहरण के तौर पर 28 जून 2023 का उल्लेख किया, जब मोदी ने एक नेता पर 70 हजार करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया और फिर उसी नेता को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया।
तीसरे सवाल में केजरीवाल ने कहा कि भाजपा, जो आरएसएस के कोख से पैदा हुई है, उसकी जिम्मेदारी है कि वह भाजपा को सही रास्ते पर लाए यदि वह पथभ्रमित हो जाए। चौथे सवाल में, उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें नड्डा ने कहा था कि भाजपा को आरएसएस की जरूरत नहीं है। केजरीवाल ने पूछा, 'क्या बेटा अपनी मां को आंखें दिखाने लगा है?' उन्होंने कहा कि नड्डा का यह बयान आरएसएस के कार्यकर्ताओं को ठेस पहुंचाता है।
आखिरी सवाल में केजरीवाल ने कानून का जिक्र किया, जिसमें 75 साल की उम्र के बाद नेताओं के रिटायर होने की बात की गई थी। उन्होंने पूछा कि क्या यह कानून केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लागू नहीं होगा, जबकि अन्य नेताओं को इससे रिटायर किया गया है। केजरीवाल के इन सवालों से स्पष्ट है कि वे भाजपा की कार्यशैली और आरएसएस की भूमिका पर गंभीर चिंताएं व्यक्त कर रहे हैं। इस पत्र ने राजनीतिक संवाद में एक नई हलचल पैदा की है और यह देखने योग्य होगा कि आरएसएस इस पर कैसे प्रतिक्रिया देता है।
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