Delhi: एलजी वीके सक्सेना ने MTP Act को अधिसूचित करने की दी मंजूरी, विशेष परिस्थियों में हो सकेगा गर्भपात
दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने गर्भपात देखभाल के लिए मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (संशोधन) अधिनियम, 2021 (MTP Act) के तहत वैधानिक सुधारों को अधिसूचित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इससे महिलाएं विशेष परिस्थितियों में गर्भपात करा सकेंगी। बता दें कि 2021 में, केंद्र ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 में संशोधन किया था। अधिनियम को अधिसूचित करने के लिए केंद्र द्वारा दिसंबर 2021 में सभी राज्यों को को पत्र भी भेजा गया था।
हाइलाइट्स
- LG ने MTP Act 2021 को अधिसूचित करने की दी मंजूरी
- विशेष परिस्थितियों में हो सकेगा गर्भपात
- दो साल पहले किया गया था संशोधन
रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर की राय से होगा गर्भपात
आधिकारिक बयान में कहा गया हे कि 2021 में, केंद्र द्वारा एमटीपी अधिनियम में प्रमुख संशोधन किए गए। जिसके अनुसार एक रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर (आरएमपी) की राय पर गर्भधारण के 20 सप्ताह के अंदर और विशेष परिस्थितियों में 20-24 सप्ताह में दो आरएमपी की राय पर गर्भपात करवाना संभव होगा।
इसके अलावा, संशोधित अधिनियम में मेडिकल बोर्ड द्वारा तय की जाने वाली परिस्थितियों में 24 सप्ताह से अधिक की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देने के लिए मेडिकल बोर्ड के गठन का प्रावधान किया गया है।
क्या संशोधन किए गए ?
मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को एमटीपी विनियमों के तहत आधिकारिक राजपत्र में फॉर्म I, II और III को अधिसूचित करने का निर्देश दिया है।
फॉर्म- I (RMP ओपिनियन फॉर्म) में किए गए प्रमुख संशोधनों में केवल एक आरएमपी के नाम, योग्यता और पते की आवश्यकता है। इसी के साथ ‘विवाहित महिला’ शब्द को ‘महिला’ और ‘पति’ शब्द को ‘साथी’ से बदल दिया गया है।
फॉर्म II नियम निर्धारित करता है। इसमें गर्भावस्था की अवधि के संबंध में तीन अतिरिक्त उप-शीर्ष जोड़े गए हैं। गर्भधारण के सप्ताहों के आधार पर गर्भावस्था को समाप्त करने के कारणों को ए, बी और सी में विभाजित किया गया है।
फॉर्म III प्रवेश रजिस्टर से संबंधित है। जिसमें 24 सप्ताह से अधिक की गर्भावस्था के लिए एक वाक्यांश जोड़ा गया है और मेडिकल बोर्ड के सदस्यों के नामों का उल्लेख करने के किए कहा गया है।
LG ने जताई नाराजगी
इन संशोधनों को लागू करने में दो साल से अधिक की देरी पर असंतोष और आश्चर्य व्यक्त करते हुए, एलजी सक्सेना ने दिल्ली सरकार की आलोचना की। उपराज्यपाल ने स्वास्थ्य विभाग, जीएनसीटीडी को उन खामियों का पता लगाने का निर्देश दिया, जिनके कारण मामले को निपटाने में अत्यधिक देरी हुई और उन्हें जिम्मेदारी सौंपने और भविष्य में सावधानी बरतने को कहा।
आधिकारिक बयान में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने दिसंबर 2021 में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इन संशोधनों को लागू करने की आवश्यकता बताई थी।
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