Delhi: निजी संगठन का संजय सिंह की रिहाई को लेकर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन
Delhi: बीते दिनों ईडी ने आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह को 10 घंटों तक चली पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था। बता दें इस मामले में ईडी की रिमांड अवधि पूरी होने के बाद कोर्ट ने उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ भेज दिया गया। इस मामले में संजय सिंह की गिरफ्तारी के बाद अरविंद केजरीवाल सहित आम आदमी पार्टी तमाम नेताओं ने उन पर लगे सभी आरोपों को झूठा और बेबुनियाद बताया।
सरकार के सामने चुनौती पेश कर दी
आपको बता दें आप के नेताओं ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए लगातार संजय सिंह की रिहाई की मांग कर रहे हैं। वहीं, अब संजय सिंह की रिहाई को लेकर रेहड़ी-पटरी के हितों के लिए काम करने वाली एक संस्था नेशनल हॉकर्स फेडरेशन (NHF) भी अब सरकार के सामने चुनौती पेश करती नजर आ रही है।
शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन के लिए जंतर-मंतर पहुंचे
दरअसल, नेशनल हॉकर फेडरेशन के सैकड़ों सदस्यों ने इस संगठन से जुड़े अपने नेता और सांसद संजय सिंह की गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए तुरंत ही उनकी रिहाई की मांग की है। इसके लिए वे शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन के लिए जंतर-मंतर पहुंचे। जहां 500 से ज्यादा लोगों ने उनकी गिरफ्तारी का विरोध करते हुए प्रदर्शन कर अपना रोष प्रकट किया. जिसका नेतृत्व संदीप वर्मा, मोहित वलेचा, मो. हैदर अली, उपेंद्र गुप्ता और एनएचएफ-दिल्ली के द्वारा किया गया।
प्रदर्शन के नेतृत्वकर्ता समेत 67 लोगों को डिटेन
सूत्रों के मुताबिक, यह प्रदर्शन दिल्ली पुलिस की अनुमति से किया जा रहा है, लेकिन अचानक ही बीच रात पुलिस ने प्रदर्शन की अनुमति रद्द कर दी और प्रदर्शनकारियों को वहां से भगाने का प्रयास किया। इस दौरान पुलिस ने उन पर बल का प्रयोग भी किया। हालांकि, पुलिस द्वारा सख्ती बरते जाने के बाद भी प्रदर्शनकारी मौके पर डटे रहे। जिस पर पुलिस ने उन्हें वहां से तितर-बितर करते हुए प्रदर्शन के नेतृत्वकर्ता समेत 67 लोगों को डिटेन कर लिया।
सर्वोच्च न्यायालय से आदेश हुआ
बता दें कि नेशनल हॉकर फेडरेशन, पिछले 25 सालों से स्ट्रीट वेंडर के हक और अधिकारों के लिए संघर्ष करता रहा है और लगातार आंदोलन करता रहा है। परिणामस्वरूप देश के सभी पथ विक्रेताओं के लिए पथ विक्रेता कानून 2014 पारित हो सका और सर्वोच्च न्यायालय से आदेश हुआ की चार माह में देश के पथ विक्रेता को अधिकार दिये जाए। हालांकि दुर्भाग्यवश ऐसा कुछ हुआ नहीं।