केंद्र की 24 संसदीय समितियों का गठन, राहुल गांधी, कंगना रनौत समेत इन नेताओं को मिली जगह
Delhi: केंद्र की मोदी सरकार ने गुरुवार को 24 संसदीय समितियों का गठन कर दिया है। विपक्ष के नेता राहुल गांधी रक्षा मामलों की समिति के सदस्य बनाए गए। सपा नेता रामगोपाल यादव स्वास्थ्य मामलों की संसदीय समिति के अध्यक्ष बनाए गए हैं। वहीं, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे संचार और आईटी समिति के अध्यक्ष बनाए गये हैं। कंगना रनौत इसी समिति की सदस्य बनाई गईं हैं।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह महिला, शिक्षा, युवा और खेल मामलों की संसदीय समिति की बागडोर संभालेंगे। विदेश मामलों की संसदीय समिति का अध्यक्ष कांग्रेस नेता शशि थरूर होंगे। रामायण सीरियल में राम की भूमिका निभा चुके अरुण गोविल इसी समिति के सदस्य बनाए गए हैं। बीजेपी नेता सी एम रमेश रेल मामलों की समिति के अध्यक्ष होंगे।
समितियों की जरूरत क्यों?
समितियों की जरूरत इसलिए होती है क्योंकि, संसद का काम व्यापक, जटिल और अलग किस्म का होता है। संसद के पास बहुत सारा काम होता है। इन कामों को निपटाने के लिए समय भी कम होता है। इस कारण कोई काम या मामला संसद के पास आता है तो वो उस पर गहराई से विचार नहीं कर पाती है। ऐसे में बहुत सारे कामों को समितियां निपटाती हैं, जिन्हें संसदीय समितियां कहा जाता है। संसदीय समितियों का गठन संसद ही करती है।
यह समितियां संसद के अध्यक्ष के निर्देश पर करती हैं और अपनी रिपोर्ट संसद या अध्यक्ष को सौंपती हैं। ये समितियां दो प्रकार की होती हैं। स्थायी समितियां और दूसरी अस्थायी समितियां। स्थायी समिति का कार्यकाल एक साल का होता है और इनका काम लगातार जारी होता है। वित्तीय समितियां, विभागों से संबंधित समितियां और कुछ दूसरी तरह की समितियां स्थायी समितियां होती हैं। वहीं, अस्थायी समितियों का गठन कुछ खास मामलों के लिए किया जाता है। जब इनका काम खत्म हो जाता है तो इन समितियों का अस्तित्व भी खत्म हो जाता है।
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