For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

Delhi की एक अदालत ने पार्श्वनाथ डेवलपर्स और उसके निदेशकों की याचिका को किया खारिज

09:08 PM Sep 10, 2024 IST
delhi की एक अदालत ने पार्श्वनाथ डेवलपर्स और उसके निदेशकों की याचिका को किया खारिज

Delhi Court : दिल्ली की एक अदालत ने पार्श्वनाथ डेवलपर्स और उसके निदेशकों की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने आपराधिक विश्वासघात, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के आरोप तय करने के मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती दी थी।

Delhi Court : मैसर्स पार्श्वनाथ डेवलपर्स की याचिका खारिज

दिल्ली की एक अदालत ने पार्श्वनाथ डेवलपर्स( Parsvnath Developers) और उसके निदेशकों की उस याचिका को खारिज कर दिया। बता दें कि पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने हाल ही में मैसर्स पार्श्वनाथ डेवलपर्स लिमिटेड और उसके निदेशकों, श्री प्रदीप कुमार जैन, श्री राजीव जैन और श्री संजीव कुमार जैन द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें विद्वान मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ("एलडी. एमएम") के धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और आपराधिक साजिश के आरोप तय करने के आदेश को चुनौती दी गई थी।

अप्रैल 2018 में की गई थी प्राथमिकी दर्ज

अप्रैल 2018 में, पार्श्वनाथ और उसके निदेशकों के खिलाफ आईपीसी, 1860 की धारा 406 और 420 के तहत पीएस बाराखंभा रोड पर सराय रोहिल्ला, किशनगंज, नई दिल्ली में अपने आवासीय अपार्टमेंट प्रोजेक्ट के लिए शिकायतकर्ता से बड़ी रकम प्राप्त करने के आरोप में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। एमएम ने धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और आपराधिक साजिश के अपराधों के लिए आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया।वहीं आरोपियों ने एलडी एमएम के आदेश को चुनौती दी, यह तर्क देते हुए कि विवाद प्रकृति में नागरिक था और उनका धोखा देने का इरादा नहीं था।

Delhi Court : अदालत ने शिकायतकर्ता के वकील से सहमत होते हुए कहा कि आरोपी व्यक्तियों की याचिका कायम रखने योग्य नहीं थी क्योंकि एक बार अदालत ने किसी पुनरीक्षण याचिका पर फैसला कर दिया, तो वह निर्णय अंतिम होता है। विद्वान अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (शिकायतकर्ता द्वारा पुनरीक्षण में) ने स्पष्ट रूप से आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ धारा 420 और 406 के अलावा आईपीसी की धारा 120-बी को जोड़ने का निर्देश दिया था।

बता दें कि इस अदालत के लिए एक ही मुद्दे पर फिर से फैसला करना अनुचित होगा, क्योंकि यह प्रभावी रूप से विद्वान अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश द्वारा किए गए निर्णय की समीक्षा की ओर ले जाएगा, जिन्होंने पहले ही 18.05.2023 को आरोपों पर लगाए गए आदेश को इसकी योग्यता के आधार पर निपटाया था। तदनुसार, अदालत ने आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया। अधिवक्ता श्री। संशोधनवादियों की ओर से प्रशांत दीवान उपस्थित हुए। शिकायतकर्ता की ओर से अधिवक्ता श्री शशांक दीवान, श्रीमती निकिता दीवान और सुश्री आकांक्षा विद्यार्थी उपस्थित हुए।

देश और दुनिया की तमाम खबरों के लिए हमारा YouTube Channel ‘PUNJAB KESARI’ को अभी subscribe करें। आप हमें FACEBOOK, INSTAGRAM और TWITTER पर भी फॉलो कर सकते हैं।

Advertisement
Author Image

Abhishek Kumar

View all posts

Advertisement
×