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दिल्ली दंगे : घर को आग लगाने के मामले में एक व्यक्ति को पांच साल के कारावास की सजा

उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से संबंधित मामलों में पहली सजा सुनाते हुए राजधानी की एक अदालत ने एक वृद्ध महिला के घर में आग लगाने के मामले में बृहस्पतिवार को एक व्यक्ति को पांच साल के कारावास की सजा सुनाई और कहा कि दोषी का अपराध ‘बहुत ही गंभीर’ है।

05:22 AM Jan 21, 2022 IST | Shera Rajput

उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से संबंधित मामलों में पहली सजा सुनाते हुए राजधानी की एक अदालत ने एक वृद्ध महिला के घर में आग लगाने के मामले में बृहस्पतिवार को एक व्यक्ति को पांच साल के कारावास की सजा सुनाई और कहा कि दोषी का अपराध ‘बहुत ही गंभीर’ है।

उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से संबंधित मामलों में पहली सजा सुनाते हुए राजधानी की एक अदालत ने एक वृद्ध महिला के घर में आग लगाने के मामले में बृहस्पतिवार को एक व्यक्ति को पांच साल के कारावास की सजा सुनाई और कहा कि दोषी का अपराध ‘बहुत ही गंभीर’ है। 
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दिनेश यादव को पांच वर्ष के कारावास की सजा सुनाई
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र भट्ट ने 25 वर्षीय दिनेश यादव को पांच वर्ष के कारावास की सजा सुनाई और पीड़िता को मुआवजा के तौर पर 12000 रुपये के भु्गतान का निर्देश दिया। 
अदालत ने गत छह दिसम्बर को दिनेश को 73 वर्षीया मनोरी देवी के घर को 25 फरवरी, 2020 को आग लगाने वाली दंगाई भीड़ का सक्रिय सदस्य होने का दोषी पाया था। 
इस आदेश का व्यापक महत्व है, क्योंकि यादव पहला व्यक्ति है जिसे उत्तर-पूर्व दिल्ली में हुए दंगों से जुड़े मामले में जेल की सजा सुनाई गयी है। 
पीड़िता को हुए नुकसान के लिए दिल्ली सरकार से पहले कुछ मुआवजा मिला था
अदालत के आदेश के अनुसार, पीड़िता को हुए नुकसान के लिए दिल्ली सरकार से पहले कुछ मुआवजा मिला था। दंगों की घटना में उसे लगभग 5 लाख रुपये का नुकसान हुआ था। 
न्यायाधीश ने कहा कि यादव को पीड़िता को कोई और मुआवजा देने या अभियोजन द्वारा किए गए 83,000 रुपये के खर्च की भरपाई करने का निर्देश देना ‘पूरी तरह से अनुचित’ होगा, क्योंकि यादव बेरोजगार है, उसके पास कोई संपत्ति या भुगतान करने की क्षमता नहीं है। 
अदालत ने सजा की अवधि तय करते समय यादव की कम उम्र, साफ अतीत और इस तथ्य पर भी विचार किया कि वह पहली बार अपराधी था। एएसजे भट ने कहा, ‘‘बेशक, दोषी पहली बार अपराधी है और उसका अतीत साफ-सुथरा रहा है। इस बात का कोई सबूत नहीं था कि उसने सीधे तौर पर हिंसा की घटना को अंजाम दिया था। सजा की अवधि तय करते समय दोषी की कम उम्र को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।’’ 
विशेष लोक अभियोजक आर सी एस भदौरिया ने अदालत से दोषी को अधिकतम सजा देने का आग्रह करते हुए कहा था कि वह ‘एक गैरकानूनी भीड़ का हिस्सा होने के लिए दोषी पाया गया, जिससे भारत की छवि बड़े पैमाने पर खराब हुई थी।’’ 
हालांकि, यादव के वकील ने न्यायाधीश से एक उदार सजा का अनुरोध किया, क्योंकि उसने खुद को सुधार लिया था और एक साल से अधिक समय तक जेल में रहकर सबक सीखा था। 
अभियोजन पक्ष के अनुसार यादव ”दंगाई भीड़ का सक्रिय सदस्य था” और वह 25 फरवरी की रात मनोरी नामक 73 वर्षीय महिला के घर में तोड़फोड़ करने और आग लगाने वालों में शामिल था। 
मनोरी ने आरोप लगाया था कि करीब 150-200 दंगाइयों की भीड़ ने उनके घर पर हमला किया था, जब उनका परिवार घर पर नहीं था। इस दौरान दंगाइयों ने सारा सामान लूट लिया और भैंस तक भी अपने साथ ले गए। 
यादव (25) को आठ जून 2020 को गिरफ्तार किया गया था। अदालत ने तीन अगस्त,2021 को उसपर आरोप तय किये । छह दिसंबर को उसे दोषी करार दिया गया। 
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी 2020 में नागरिकता (संशोधन) कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसा के बाद सांप्रदायिक झड़पें हुई थीं, जिसमें कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे।
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