दिल्ली बनेगा देश का पहला स्ट्रीट डॉग-मुक्त शहर! इस नीति पर काम कर रही रेखा सरकार
दिल्ली में आवारा कुत्तों के पुनर्वास की नीति तैयार
दिल्ली सरकार ने आवारा कुत्तों को सुरक्षित स्थानों पर पुनर्वासित कर राजधानी को स्ट्रीट डॉग-मुक्त बनाने की योजना बनाई है। हाई कोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए सरकार को समावेशी नीति तैयार करने का निर्देश दिया है। यह नीति न केवल कुत्तों की सुरक्षा बल्कि जनता की सहूलियत को भी ध्यान में रखेगी।
Delhi News: दिल्ली सरकार राजधानी को भारत का पहला आवारा कुत्तों से मुक्त शहर बनाने की दिशा में ठोस कदम उठा रही है. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस बात की पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि सरकार एक ऐसी नीति पर काम कर रही है, जिसके माध्यम से आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाकर सुरक्षित स्थानों पर पुनर्वासित किया जाएगा.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली की सड़कों पर आवारा कुत्तों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है, जिससे आम जनता को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस मुद्दे पर संज्ञान लेते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार को एक प्रभावी नीति तैयार करने का निर्देश दिया है.
हाई कोर्ट का सख्त रुख
जस्टिस मिनी पुष्करणा की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले को संवेदनशील करार देते हुए कहा कि यह केवल नगर निगम तक सीमित विषय नहीं है, बल्कि सामाजिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण मुद्दा है. कोर्ट ने इस विषय को दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव के पास भेजते हुए व्यापक नीति तैयार करने के आदेश दिए हैं.
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक सभी संबंधित हितधारकों की भागीदारी से नीतियां नहीं बनाई जाएंगी, तब तक किसी भी प्रकार की कार्रवाई कारगर नहीं हो सकती. इस दिशा में कदम उठाते समय सरकार को समावेशी और समर्पित नीति बनानी होगी.
‘पुनर्वास में मानवीय दृष्टिकोण अपनाएं’
कोर्ट ने निर्देश दिया कि कुत्तों को सड़कों से हटाते समय पूरी प्रक्रिया में मानवीय पक्ष का विशेष ध्यान रखा जाए. आवारा कुत्ते न केवल जनता के लिए खतरा बनते हैं, बल्कि कई बार खुद भी सड़क दुर्घटनाओं के शिकार हो जाते हैं. ऐसे में उनका संस्थागत पुनर्वास जरूरी है.
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‘डॉग अम्मा’ की याचिका से जुड़ा मामला
यह निर्देश प्रतिमा देवी द्वारा दायर याचिका के संदर्भ में आया है, जिन्हें ‘डॉग अम्मा’ के नाम से जाना जाता है. कोर्ट ने यह भी कहा कि केवल कुत्तों को पकड़कर अन्यत्र छोड़ देना समाधान नहीं है, बल्कि इसके लिए ठोस योजना और कार्य प्रणाली की आवश्यकता है.
हाई कोर्ट के निर्देशों को पशु कल्याण, सार्वजनिक स्वास्थ्य और शहरी प्रशासन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. यदि दिल्ली सरकार इस नीति को सफलतापूर्वक लागू कर पाती है, तो यह देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक अनुकरणीय मॉडल बन सकता है.