Delimitation पर रोक जारी, कोर्ट ने याचिकाएं की खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में विधानसभा सीटों की संख्या बढ़ाने का निर्देश देने से इनकार कर दिया। यह याचिकाएं आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 के प्रावधानों को लागू करने की मांग को लेकर दायर की गई थीं, जिनमें दोनों राज्यों में delimitation यानी सीटों के पुनर्निर्धारण का उल्लेख था।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
Delimitation: जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 170 केवल 2026 के बाद होने वाली पहली जनगणना के आधार पर ही delimitation की अनुमति देता है। कोर्ट ने कहा कि 84वें और 87वें संविधान संशोधनों के तहत यह प्रक्रिया 2026 तक के लिए स्थगित है।
— Punjab Kesari (@PunjabKesariCom) July 25, 2025
जम्मू-कश्मीर का मामला अलग बताया
Delimitation: याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि जब केंद्र ने जम्मू-कश्मीर में 2011 की जनगणना के आधार पर विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़ाकर 90 कर दी, तो आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को क्यों छोड़ दिया गया? इस पर कोर्ट ने कहा कि जम्मू-कश्मीर अब एक केंद्र शासित प्रदेश है और वहां पर संसद द्वारा अलग से कानून बनाए जा सकते हैं। इसलिए संविधान के अनुच्छेद 170 के प्रावधान वहाँ लागू नहीं होते।
Delimitation: तेलंगाना विधानसभा ने केंद्र से की थी मांग
मार्च 2024 में तेलंगाना विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से सीटों की संख्या 119 से बढ़ाकर 153 करने की मांग की थी। यह मांग भी आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 और नवीनतम जनगणना के आधार पर की गई थी।
मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने संसद में एक प्रश्न के दौरान केंद्र सरकार के जवाब का हवाला देते हुए कहा था कि delimitation 2026 की जनगणना के बाद ही की जाएगी। उन्होंने केंद्र सरकार पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर और सिक्किम में delimitation की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन तेलंगाना और आंध्र प्रदेश को नजरअंदाज किया जा रहा है।
सियासी हलकों में हलचल तेज
कोर्ट के इस फैसले के बाद सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है। एक तरफ राज्य सरकारें representative democracy को मजबूत करने की मांग कर रही हैं, वहीं सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि इस दिशा में कोई भी कदम फिलहाल संभव नहीं है।
क्या है अगला रास्ता?
अब जब सुप्रीम कोर्ट ने भी स्पष्ट कर दिया है कि delimitation 2026 की जनगणना के बाद ही हो सकता है, तो आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लिए विधानसभा सीटों में बढ़ोतरी की उम्मीद फिलहाल टल गई है। दोनों राज्यों की सरकारें चाहें तो केंद्र से संविधान संशोधन की मांग कर सकती हैं, लेकिन उसकी प्रक्रिया जटिल और राजनीतिक रूप से संवेदनशील होगी।
कानूनी बाधा बनी चुनौती
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला दर्शाता है कि संवैधानिक प्रावधानों के तहत किसी भी राज्य में Assembly Seats बढ़ाने की प्रक्रिया आसान नहीं है। चाहे राजनीतिक इच्छा कितनी भी प्रबल हो, जब तक संविधान अनुमति नहीं देता, तब तक ऐसे फैसले लागू नहीं हो सकते। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश को अब 2026 की जनगणना का इंतजार करना होगा।
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Manipur में कुकी-नागा समुदाय के बीच विद्रोह के कारण CM रहे बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इस इस्तीफे के बाद 13 अगस्त 2025 को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। अब यह शासन अगले छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया है क्योंकि संयुक्त सुरक्षा बल राज्य भर में विद्रोही समूहों के खिलाफ अभियान बढ़ा रहे हैं। बता दें कि यह निर्णय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा तोकसभा में प्रस्ताव पेश करने के बाद लिया गया।
अनुच्छेद 356 के तहत बढ़ाया शासन
राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के लिए सदन ने नोटिस को स्वीकार किया और प्रस्ताव पारित किया। इस प्रस्ताव में कहा गया था कि यह सदन राष्ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत मणिपुर के संबंध में 13 फरवरी, 2025 की घोषणा को 13 अगस्त, 2025 से छह महीने की अवधि के लिए जारी रखने का सहमती जताता है। मणिपुर में लंबे समय तक चली जातीय हिंसा और विधानसभा भंग होने के बाद मणिपुर में 13 फरवरी, 2025 को राष्ट्रपति शासन लगाया गया था... आगे पढ़ें