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उर्वरक उद्योग की नियंत्रण मुक्त करने की मांग

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09:46 AM Dec 03, 2017 IST | Desk Team

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नई दिल्ली: लगातार घाटे से जूझ रहे उर्वरक उद्योग ने सरकार से उसे नियंत्रण मुक्त करने, उर्वरक सबसिडी सीधे किसानों को उपलब्ध कराने तथा आयातित कच्चे माल पर जीएसटी की दर कम करने की मांग की है। फर्टिलाइजर एसोसियेशन आफ इंडिया के अध्यक्ष एस के राजू ने कहा कि उर्वरक उद्योग खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने और 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के सरकार के लक्ष्य को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है लेकिन इसके लिये जरूरी है कि उसकी खुद की स्थिति मजबूत हो।

इस उद्योग को भी अन्य उद्योगों की तरह सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाये। अभी स्थिति यह है कि उद्योग को वर्ष दर वर्ष घाटा उठाना पड़ रहा है और सबसिडी की भरपायी के लिये बार बार सरकार से गुहार लगानी पड़ती है। एसोसियेशन के महानिदेशक सतीश चंद्र ने कहा कि बेहतर ढंग से काम करने के बावजूद उर्वरक उद्योग को पिछले कई वर्ष से लगातार घाटा उठाना पड़ रहा है। उद्योग को पिछले वित्त वर्ष में 108 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था जिसके इस वर्ष 579 करोड़ रुपये पहुंच जाने का अनुमान है। उद्योग के खस्ता हालत के चलते पिछले डेढ़ दशक में कोई नया उर्वरक कारखाना देश में नहीं लगा है। सरकार वर्ष में करीब 70000 करोड़ रुपये की उर्वरक सबसिडी का भुगतान करती है। इस समय करीब 30000 करोड़ रुपये का बकाया है।

उन्होंने उर्वरक उत्पादों पर जीएसटी की दर 12 प्रतिशत से घटा कर पांच प्रतिशत करने का स्वागत किया लेकिन कहा कि घरेलू उर्वरक उद्योग की मदद के लिये आयातित कच्चे माल पर इसकी दर कम करना बहुत जरूरी है। अमोनिया और फास्फोरिक एसिड पर अभी 18 प्रतिशत जीएसटी है तथा प्राकृतिक गैस को जीएसटी से बाहर रखा गया है जिसका यूरिया की उत्पादन लागत पर प्रतिकूल असर पड़ता है। सरकार ने सल्फर पर जीएसटी घटा कर पांच प्रतिशत कर दी है।

हमारी मांग है कि अमोनिया और फास्फोरिक एसिड की दर में भी कमी की जाये। एसोसियेशन ने उर्वरक सबसिडी सीधे किसानों को उपलब्ध कराने की मांग करते हुये कहा कि सरकार ने 16 जिलों में पायलट परियोजना के रुप में गत वर्ष अक्टूबर में इसकी शुरुआत की थी लेकिन यह पूरी तरह सफल सिद्ध नहीं हुयी है। सरकार ने इस परियोजना के तहत सबसिडी का तत्काल उद्योग को भुगतान करने की बात कही थी लेकिन अभी तक उसका भुगतान नहीं किया गया है और करीब 1000 करोड़ रुपये उद्योग का बकाया है।

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