Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

आजमाइश में लोकतन्त्र

NULL

12:43 AM Aug 08, 2017 IST | Desk Team

NULL

लोकतन्त्र अपनी आजमाइश किस अन्दाज से करता है इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हरियाणा और गुजरात के हालात हैं। एक तरफ जनता द्वारा चुने हुए कांग्रेस के 44 नुमाइन्दे घर से बेघर होकर अपने महफूज रहने का ठिकाना तलाश करते फिर रहे हैं और दूसरी तरफ कानून की गिरफ्त में आने के बावजूद बेटियों का शिकार करने का ‘हुनरमन्द’ विकास बराला कानून के मुहाफिजों के साये में ही कानून की बेपरवाही कर रहा है। दरअसल यह संविधान की आजमाइश का वक्त नहीं है बल्कि उन लोगों की आजमाइश का समय है जिन्होंने मुल्क के हर इंसान से वादा किया हुआ है कि वे अपनी हस्ती को कानून पर फना करके ही सियासत के रास्ते हुक्मरानी करेंगे। यह हुक्मरानी जनता ने उन्हें किसी तोहफे के तौर पर नहीं दी है बल्कि आम आदमी की ताबेदारी के तहत दी है। जो चिंगारी चंडीगढ़ से उठी है उसमें उन चेहरों से नकाब उठाने की कूव्वत है जो सियासत को स्वांग समझ बैठे हैं।

हरियाणा के गांवों में ‘सांग’ आज भी खेला जाता है। यह बेसबब नहीं है कि विकास बराला के खिलाफ चंडीगढ़ की सड़क से एक युवती वर्णिका को ‘अगवा’ करने और उसके साथ ‘बलात्कार’ करने की नीयत पुलिस तहरीर से गायब कर दी गईं और उस पर उल्टे ये सवाल दागे जाने लगे कि वह रात को सड़कों पर क्यों निकली? हिन्दोस्तान की पिछली सदियों में जीने वाले ऐसे लोगों के भरोसे आज का नौजवान अपनी किस्मत को किस तरह छोड़ सकता है, जिन्हें यह तक नहीं पता कि हरियाणा में अब ‘महिला पहलवान’ भी जन्म लेने लगी हैं। ऐसी सोच के लोगों को ‘मोहनजोदाड़ो’ की सभ्यता के अवशेषों के ‘खंडहरों’ में छोड़ दिया जाना बेहतर होगा मगर खुद को जिस तरह हरियाणा में सियासतदां बेपर्दा कर रहे हैं उससे साबित हो रहा है कि जिन्हें लोगों ने ‘रहबरी’ सौंपी थी वे सरेआम ‘रहजनी’ पर उतर आये हैं।

शर्म और हया का जो पर्दा सियासतदानों को अपनी पनाह में लेकर इज्जत बख्शता है उसे तार-तार किया जा रहा है और पूरी बेशर्मी के साथ कहा जा रहा है कि पिता का बेटे की करतूतों से क्या लेना-देना? अगर ऐसा है तो हरियाणा भाजपा के अध्यक्ष सुभाष बराला को खुद अपनी तरफ से चंडीगढ़ पुलिस के कमिश्नर को खत लिख कर कहना चाहिए कि उनके बेटे ने जो कारनामा किया है उसका ताल्लुक उनके सियासी औहदे से किसी भी तरह न जोड़ा जाये और वही किया जाये जो वर्णिका के बयान के मुताबिक कानून कहता है। भाजपा के हर नेता में यह हिम्मत होनी चाहिए कि वह शिकायत दर्ज कराने वाली वर्णिका की तरफदारी करे और सीना ठोक कर कहे कि जो उनकी पार्टी के एक सांसद राजकुमार सैनी ने कहा है वह बिल्कुल ठीक है। उस पर पूरी मुस्तैदी से अमल किया जाना चाहिए वरना भाजपा सिर्फ भाषणों की पार्टी ही बनकर रह जायेगी।

जरा वह नजारा याद कीजिये जब दिसम्बर 2012 में ‘निर्भया कांड’ के बाद दिल्ली की सड़कों पर उसे इंसाफ दिलाने वालों का हुजूम राष्ट्रपति भवन का दरवाजा खटखटाने लगा था, तब भाजपा के नेता दिल्ली को ही ‘बलात्कार की राजधानी’ बता रहे थे तब गला तर कर- करके कांग्रेस के केन्द्र व दिल्ली राज्य में शासन को कोसने वाले कई नेता अब संसद में बैठे हुए हैं मगर इनकी जुबानों पर ताला पड़ा हुआ है जबकि चंडीगढ़ केन्द्र शासित क्षेत्र है और यहां की पुलिस सीधे गृह मन्त्रालय के अख्तियार में आती है। इसलिए श्री राजनाथ सिंह का भी यह कर्तव्य बनता है कि वह चंडीगढ़ पुलिस को अपना काम बेखौफ होकर करने की गारंटी दें और भारत के लोगों को पैगाम दें कि ऐसे किसी भी इंसान को कानून अपनी पूरी गिरफ्त में लेने से नहीं चूकेगा जिसने सरेराह एक लड़की की इज्जत से खेलने की गुस्ताखी की हो और ऐलान करें कि वर्णिका एक आला आईएएस अफसर की बेटी नहीं है बल्कि वह पूरे ‘भारत की बेटी’ है क्योंकि उसने इस मुल्क की बेटियों की ‘आबरू’ को पामाल करने वालों के खिलाफ जंग छेड़ी है मगर जो लोग इस गलतफहमी में हैं कि हिन्दोस्तान का लोकतन्त्र ऐसे वाकयों का हिसाब नहीं रखेगा, वे चिंगारी को शोला बनते देखना चाहते हैं।

जरूरी यह नहीं कि सिर्फ फलसफों में बेटियों को बचाने और उन्हें आगे बढ़ाने की बात की जाये बल्कि जरूरी यह है कि ऐसे फलसफों की जमीन पर रूबकारी हो। भला एक लड़की की आबरू के मुद्दे पर सियासत किस तरह हो सकती है? विकास बराला को बचाने की फितरत में जो लोग लगे हुए हैं वे भूल रहे हैं कि उन सड़कों के सीसीटीवी कैमरों को तो बन्द दिखाया जा सकता है जहां वर्णिका का पीछा विकास बराला ने किया था मगर कानून की नजरों को कैसे बन्द किया जा सकता है जिसके आगे वर्णिका ने अपना बयान दर्ज कराया।

Advertisement
Advertisement
Next Article