नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ पंजाब में प्रदर्शन शुरू
असम और उत्तर पूर्व के अन्य सूबों में केंद्र की मोदी सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन कानून के विरूद्ध जहां असम और उत्तर पूर्व के कई सूबों में जनता द्वारा रोष प्रदर्शन किए जाने की खबरें है
04:22 PM Dec 14, 2019 IST | Shera Rajput
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लुधियाना : असम और उत्तर पूर्व के अन्य सूबों में केंद्र की मोदी सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन कानून के विरूद्ध जहां असम और उत्तर पूर्व के कई सूबों में जनता द्वारा रोष प्रदर्शन किए जाने की खबरें है, उसी क्रम में आज पंजाब के कई इलाकों में मुसलमानों द्वारा रोष मार्च और देश के महामहिम -राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिए जाने की खबरें है।
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सूबे के मुसलिम बहुल क्षेत्र मालेरकोटला में भारी प्रदर्शन हुआ तो आज सूबे की आर्थिक राजधानी के नाम से विख्यात औद्योगिक नगर लुधियाना में भी केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता कानून में किए गए बदलाव के बाद अल्पसंख्यकों की तरफ से विरोध प्रदर्शन किया गया।
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आज यहां लुधियाना की ऐतिहासिक जामा मस्जिद से डिप्टी कमिश्नर दफ्तर तक शहर की सभी मस्जिदों के सदस्यों ने शाही इमाम पंजाब मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी की अगुवाई में जोरदार रोष प्रदर्शन किया, जिसमें पंजाब भर से आए हुए मुसलमनों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया।
इस दौरान केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई और हजारों की संख्या में मुस्लिम भाई चारे द्वारार इस बिल का विरोध किया गया। बिल का विरोध करते आज सुबह से शहर की विभिन्न मस्जिदों से बड़ी संख्या में मुसलमान फील्ड गंज जामा मस्जिद पहुंचना शुरू हो गए, प्रदर्शनकारियों ने हाथों में कैब नामंजूर है, कौमी एकता जिंदाबाद, एनआरसी मुर्दाबाद, हिन्दू-मुस्लिम -सिख-ईसाई आपस में हैं भाई-भाई, काला कानून वापिस लो, लिखी तख्तियां उठाई हुई थी।
इस मौके पर मजलिस अहरार इस्लाम हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष व शाही इमाम पंजाब मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी ने कहा कि धर्म के नाम पर बनाया गया नागरिकता संशोधन बिल देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा है इससे भारत के धर्म निरपेक्ष ढांचे को नुकसान होगा। यह बिल देश के संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
शाही इमाम मौलाना हबीब उर रहमान ने कहा कि इतिहास गवाह है कि भारत में कभी भी नफरत की राजनीति कामयाब नहीं हुई। उन्होंने कहा कि हमें इस बात पर कोई ऐतराज़ नहीं है कि विभिन्न धर्मों को मानने वालों को नागरिकता संशोधन बिल में राहत दी गई है बल्कि ऐतराज़ यह है कि मुसलमानों को ही क्यों निशाना बना के बाहर रखा गया है।
शाही इमाम ने कहा कि हमने अपने वतन भारत की आज़ादी, एकता और अखंडता के लिए बेमिसाल कुर्बानियां दी हैं, हम अपने ही वतन में अपने ऊपर किसी काले कानून को थोपने नहीं देंगे। शाही इमाम ने कहा कि यह देश सब का बराबर है और कोई भी ताकत मुसलमानों को दूसरे दर्जे का शहरी नहीं बना सकती। उन्होंने कहा कि भारत देश धर्म निर्पेक्षता का रखवाला है। इस देश में किसी की मनमर्जी नहीं चल सकती। उन्होंने कहा कि सम्प्रदायिक ताकते देश में हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई और दलित भाईचारे को तोडऩा चाहती हैं।
शाही इमाम ने कहा कि नागरिकता बिल में संशोधन करने वाली सरकार क्या आने वाले समय में मुसलमानों के बाद ऐसा ही संशोधन किसी और धर्म के लिए नहीं करेगी? नागरिकता संशोधन बिल में आने वाले लोगों को भी ज्यादा खुश होने की जरुरत नहीं आजकल राजनीति में कोई धर्म नहीं रहा सिर्फ सत्ता का लालच है तभी तो आए दिन देश में गठजोड़ की सरकारें बन रही हैं और यह सरकारे क्या पता कब क्या संशोधन कर कब किस कौम को बाहर निकाल दें?
शाही इमाम ने कहा कि नागरिकता बिल में संशोधन संवेदनशील मामला है इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, इस मामले को लेकर जल्दी ही पंजाब भर की मस्जिदों के इमामों और प्रबंधकों की लुधियाना में मीटिंग बुलाई जाएगी, जिसमें राज्यस्तरीय रोष प्रदर्शन की रणनीति तय की जाएगी। वर्णनयोग है कि आज प्रदर्शन के बाद डी सी लुधियाना को भारत के राष्ट्रपति महामहिम श्री राम नाथ कोविंद जी के नाम ज्ञापन दिया गया। इस रोष मार्च में हिन्दू- सिख और दलित भाइयों ने भी हिस्सा लेकर देश की धर्मनिरपेक्षता को बरकरार रखने की अपील की है।
– रीना अरोड़ा

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