बिहार में डेंगू बेलगाम, बिगड़े हालात, केंद्रीय टीम जायजा लेने पहुंची
बिहार में डेंगू अब तेजी से पांव पसार रहा है, जिससे लोग अब डरने लगे हैं। राजधानी पटना की हालत सबसे खराब है, जहां डेंगू पीड़ितों की संख्या ने पिछला सारा रिकॉर्ड तोड़ दिया है
03:18 AM Oct 22, 2022 IST | Shera Rajput
बिहार में डेंगू अब तेजी से पांव पसार रहा है, जिससे लोग अब डरने लगे हैं। राजधानी पटना की हालत सबसे खराब है, जहां डेंगू पीड़ितों की संख्या ने पिछला सारा रिकॉर्ड तोड़ दिया है। गुरुवार को पटना में डेंगू के कुल 436 मरीज मिले जो अबतक एक दिन में मिले पीड़ितों की संख्या में सर्वाधिक है। राज्य में डेंगू मरीजों की संख्या 6500 से पार कर गई है।
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सरकारी आंकड़े के अनुसार पटना में कुल पीड़ितों की संख्या गुरुवार को 4129 हो गई है। राज्य के कई सरकारी अस्पतालों डेंगू वार्ड में बेड की कमी भी पड़नी शुरू हो गयी है।
इस बीच, चार सदस्यीय केंद्रीय टीम बिहार में डेंगू की स्थिति का जायजा लेने पहुंची। टीम अब तक राजगीर और बिहारशरीफ के कुछ इलाकों का दौरा किया, जहां बड़ी संख्या में डेंगू के मामले देखे गए थे। उन्होंने बिहारशरीफ के जिला अस्पताल का भी दौरा किया और अधिक परीक्षणों की आवश्यकता पर जोर दिया।
इधर, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को दावा किया कि डेंगू की रोकथाम के लिए लागतार कदम उठाए जा रहे हैं। अस्पतालों में डेंगू वार्ड बनाए गए हैं, जहां बेडों की समुचित संख्या उपलब्ध कराई जा रही है। इलाकों में साफ सफाई की पूरी व्यवस्था करा दी गई है।
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उन्होंने कहा कि फिलहाल 100 वाहनों को रसायनिक पदार्थ छिड़काव के लिए लगाया गया है। प्रत्येक वार्ड में छिड़काव हो रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ ठंड बढ़ने के बाद डेंगू के मामलों में भी कमी आएगी।
इधर, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अरविन्द कुमार सिंह ने कहा कि बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था की इतनी खस्ताहाल है, की बिहार का जनता डेंगू से त्रस्त, स्वास्थ्य मंत्री सत्ता में मदमस्त और स्वास्थ्य विभाग पस्त है। बिहार में चारों ओर डेंगू और टाइफाइड से लोग त्राहिमाम किए हुए हैं, स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराया हुआ है, सरकार सत्ता में मदमस्त है।
सरकारी बयान बहादुर अपना सियासी भोंपू बढ़ा चढ़ा कर के बजा रहे हैं। कहीं भी ना ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव हो रहा है ना व्यवस्थित तरीके से फॉगिंग हो रही है, सिर्फ किरासन तेल छिड़ककर के खानापूर्ति की जा रही है।
अस्पतालों में बेड नहीं है, दवा का समुचित प्रबंध नहीं है, मरीज बाहर से दवा ला रहे हैं, आम जनता किसी तरह से जान बचा रही हैं।
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