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डिप्रेशन से याददाश्त जाने का खतरा अधिक! रिपोर्ट में कई बड़े खुलासे

मानसिक स्वास्थ्य का डिमेंशिया से जुड़ा खतरा

04:34 AM May 30, 2025 IST | IANS

मानसिक स्वास्थ्य का डिमेंशिया से जुड़ा खतरा

एक नए अध्ययन में पाया गया है कि डिप्रेशन से डिमेंशिया का खतरा बढ़ सकता है, खासकर 50 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों में। डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्ति की याददाश्त और सोचने की क्षमता प्रभावित होती है। अध्ययन में डिप्रेशन और डिमेंशिया के बीच जटिल संबंधों की पहचान की गई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

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एक अध्ययन के अनुसार, डिप्रेशन होने से दिमाग की बीमारी डिमेंशिया होने का खतरा बढ़ जाता है। यह खतरा मध्य उम्र के साथ-साथ 50 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों में भी देखा गया है। डिमेंशिया एक गंभीर बीमारी है, जिसमें व्यक्ति की याददाश्त, सोचने और समझने की क्षमता कमजोर हो जाती है। दुनियाभर में 5.7 करोड़ से ज़्यादा लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। फिलहाल इसका कोई पक्का इलाज नहीं है, इसलिए यह बहुत जरूरी है कि हम उन कारणों को समय रहते पहचानें और ठीक करें, जो डिमेंशिया का खतरा बढ़ा सकते हैं।

इस अध्ययन में पाया गया है कि डिप्रेशन और डिमेंशिया के बीच संबंध बहुत जटिल है। इसमें देर तक सूजन होना, दिमाग के कुछ हिस्सों का सही से काम न करना, रक्त नलिकाओं में बदलाव, दिमाग में कुछ जरूरी प्रोटीन या फैक्टर का बदल जाना, न्यूरोट्रांसमीटर नाम के रसायनों का असंतुलन होना आदि शामिल हैं। इसके अलावा, जेनेटिक और हमारे रोजमर्रा के व्यवहार भी डिप्रेशन और डिमेंशिया के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।

जर्नल ईक्लिनिकलमेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन बताता है कि हमें जिंदगी के हर दौर में डिप्रेशन को पहचानना और उसका इलाज करना बहुत जरूरी है। हमें इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। ब्रिटेन के नॉटिंघम विश्वविद्यालय में मानसिक स्वास्थ्य संस्थान और स्कूल ऑफ मेडिसिन के जैकब ब्रेन ने कहा, ”सरकार और स्वास्थ्य विभाग को दिमाग की सेहत पर विशेष ध्यान देना चाहिए, खासकर बीमारियों को होने से रोकने पर। इसके लिए जरूरी है कि लोग अच्छा और सही मानसिक स्वास्थ्य इलाज आसानी से पा सकें।”

पहले के कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि जिन लोगों को डिप्रेशन होता है, उनमें बाद में डिमेंशिया होने की संभावना ज्यादा होती है। लेकिन अभी भी यह बात साफ नहीं है कि डिप्रेशन किस उम्र में सबसे ज्यादा खतरा बढ़ाता है। कुछ लोग कहते हैं कि अगर डिप्रेशन मिडिल एज यानी 40-50 साल की उम्र में शुरू होता है, तो ज्यादा असर होता है, जबकि कुछ का मानना है कि डिप्रेशन अगर बुढ़ापे में यानी 60 साल या उससे ऊपर में होता है, तो भी खतरा बढ़ता है।यह नया शोध अब तक के सारे पुराने शोधों को एक साथ लेकर आया है और इसमें नई जांच भी की गई है, ताकि यह साफ तरीके से पता लगाया जा सके कि डिप्रेशन कब सबसे ज्यादा खतरा बढ़ाता है।

ब्रेन ने कहा, ”हमारे शोध से यह संभावना सामने आई है कि बुढ़ापे में डिप्रेशन होना सिर्फ एक समस्या नहीं, बल्कि यह डिमेंशिया की शुरुआत का पहला संकेत भी हो सकता है। इसे जानना बहुत जरूरी है ताकि हम सही समय पर इलाज और बचाव कर सकें।अध्ययन में 20 से ज्यादा अलग-अलग शोधों के नतीजों को एक साथ मिलाया गया है, जिसमें कुल 34 लाख से भी ज्यादा लोग शामिल हुए। इस शोध में डिप्रेशन को मापा गया। साथ ही देखा गया कि डिप्रेशन किस उम्र में होने पर डिमेंशिया का खतरा बढ़ता है।

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