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Independence Day 2025 Desh Bhakti Geet: आपके रग-रग में जोश भर देंगे ये देश भक्ति गीत

04:15 PM Aug 13, 2025 IST | Amit Kumar
independence day 2025 desh bhakti geet  आपके रग रग में जोश भर देंगे ये देश भक्ति गीत
Desh Bhakti Geet

Independence Day 2025 Desh Bhakti Geet: हमारे लिए 15 अगस्त सिर्फ एक तारीख नहीं है, बल्कि यह दिन हमारे देश की आज़ादी और स्वाभिमान का प्रतीक है। हर साल इस दिन हम अपने देश की आज़ादी की खुशियाँ मनाते हैं और अपनी मातृभूमि के प्रति प्यार और सम्मान जताते हैं। इस साल हमारा देश अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा, जो हमारे इतिहास की एक बड़ी उपलब्धि है।

15 अगस्त के दिन पूरे देश में एक खास जोश और उत्साह देखने को मिलता है। हर हिंदुस्तानी के दिल में देशभक्ति की भावना उमड़ती है और वह अपने देश के लिए गर्व महसूस करता है। यह दिन हमें उन सभी बहादुरों की याद दिलाता है जिन्होंने हमारे लिए आज़ादी हासिल करने में अपनी जान दी। इसलिए यह दिन हमारे लिए बहुत खास होता है।

Desh Bhakti Geet

Independence Day 2025: देशभक्ति गीतों की भूमिका

स्वतंत्रता दिवस के जश्न को और भी रंगीन बनाने में देशभक्ति के गीतों का बहुत बड़ा योगदान होता है। चाहे स्कूल हो, कॉलेज हो, ऑफिस हो या मोहल्ला, हर जगह 15 अगस्त के मौके पर देशभक्ति गीत गाए जाते हैं। ये गीत हमारे अंदर देश के लिए प्यार और समर्पण की भावना जगाते हैं। इन गीतों के बिना 15 अगस्त का जश्न अधूरा सा लगता है।

देशभक्ति गीतों से जुड़ी खास बातें

देशभक्ति के ये गीत हमें हमारे इतिहास से जोड़ते हैं और हमें याद दिलाते हैं कि हमारी आज़ादी कितनी मेहनत और संघर्ष के बाद मिली है। ये गीत हमारी एकता और अखंडता को मजबूत करते हैं। इनमें हमारे देश के महान नेताओं, स्वतंत्रता सेनानियों और देश के गौरवशाली पलों का वर्णन होता है। इसलिए, हर स्वतंत्रता दिवस पर देशभक्ति गीत सुनना और गाना हमारी परंपरा का हिस्सा बन गया है।

Desh Bhakti Geet in Hindi: ये हैं कुछ देशभक्ति गीत

आज के दिन कुछ ऐसे देशभक्ति गीत हैं जो खास तौर पर 15 अगस्त पर बजाए और गाए जाते हैं। ये गीत न केवल हमें हमारे देश से जोड़ते हैं, बल्कि उनमें देश के प्रति एक नई उम्मीद और जोश भर देते हैं। इन गीतों के माध्यम से हम अपने स्वाभिमान को और भी ऊंचा उठाते हैं।

1-सरफ़रोशी की तमन्ना

Desh Bhakti Geet

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है...
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है...

ऐ वतन, करता नहीं क्यूं दूसरी कुछ बातचीत,
देखता हूं मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है
ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत, मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चरचा ग़ैर की महफ़िल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

वक्त आने पर बता देंगे तुझे, ए आसमान,
हम अभी से क्या बताएं क्या हमारे दिल में है
खेंच कर लाई है सब को क़त्ल होने की उमीद,
आशिकों का आज जमघट कूचा-ए-क़ातिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

है लिए हथियार दुश्मन ताक में बैठा उधर,
और हम तैयार हैं सीना लिए अपना इधर.
ख़ून से खेलेंगे होली अगर वतन मुश्क़िल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

हाथ, जिन में है जूनून, कटते नही तलवार से,
सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से.
और भड़केगा जो शोला सा हमारे दिल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

हम तो घर से ही थे निकले बाँधकर सर पर कफ़न,
जाँ हथेली पर लिए लो बढ चले हैं ये कदम.
ज़िंदगी तो अपनी मॆहमाँ मौत की महफ़िल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

यूँ खड़ा मक़्तल में क़ातिल कह रहा है बार-बार,
क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है?
दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब,
होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको न आज.
दूर रह पाए जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमे न हो ख़ून-ए-जुनून
क्या लड़े तूफ़ान से जो कश्ती-ए-साहिल में है
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में

2- मेरा रंग दे बसंती चोला

Desh Bhakti Geet

मेरा रंग दे..
मेरा रंग दे बसंती चोला माये रंग दे
मेरा रंग दे बसंती चोला माये रंग दे
मेरा रंग दे बसंती चोला रंग दे, रंग दे..
रंग दे बसंती चोला माये रंग दे
निकले हैं वीर जिया ले
यूँ अपना सीना ताने
हंस-हंस के जान लुटाने
आज़ाद सवेरा लाने
मर के कैसे जीते हैं, इस दुनिया को बतलाने
तेरे लाल चलें हैं माये, अब तेरी लाज बचाने

मर के कैसे जीते हैं, इस दुनिया को बतलाने
तेरे लाल चलें हैं माये, अब तेरी लाज बचाने

आज़ादी का शोला बन के खून रगों में डोला
मेरा रंग दे…
मेरा रंग दे बसंती चोला माये रंग दे
मेरा रंग दे बसंती चोला माये रंग दे
मेरा रंग दे बसंती चोला रंग दे, रंग दे..
रंग दे बसंती चोला माये रंग दे

दिन आज तो बड़ा सुहाना
मौसम भी बड़ा सुनहरा
हम सर पे बाँध के आये
बलिदानों का ये सेहरा
बेताब हमारे दिल में इक मस्ती सी छायी है
ऐ देश अलविदा तुझको कहने की घडी आई है
महकेंगे तेरी फिज़ा में हम बन के हवा का झोंका
किस्मत वालों को मिलता ऐसे मरने का मौका

निकली है बरात सजा है इंक़लाब का डोला
मेरा रंग दे…
मेरा रंग दे बसंती चोला माये रंग दे
मेरा रंग दे बसंती चोला माये रंग दे
मेरा रंग दे बसंती चोला रंग दे, रंग दे..
रंग दे बसंती चोला माये रंग दे..

3-ऐ वतन वतन मेरे आबाद..

Desh Bhakti Geet

ऐ वतन, मेरे वतन
ऐ वतन आबाद रहे तू
आबाद रहे तू
आबाद रहे तू
ऐ वतन वतन मेरे आबाद रहे तू
ऐ वतन वतन मेरे आबाद रहे तू
ऐ वतन वतन मेरे आबाद रहे तू

मैं जहां रहू जहां में याद रहे तू
मैं जहां रहू जहाँ में याद रहे तू

ऐ वतन मेरे वतन..
ऐ वतन मेरे वतन..

तू ही मेरी मंजिल है, पहचान तुझी से
तू ही मेरी मंजिल है, पहचान तुझी से

पहुंचू मैं जहां भी
मेरी बुनियाद रहे तू
पहुंचू मैं जहां भी
मेरी बुनियाद रहे तू

ऐ वतन वतन मेरे आबाद रहे तू
मैं जहा रहू जहाँ में याद रहे तू

ऐ वतन मेरे वतन..
ऐ वतन मेरे वतन..

तुझपे कोई ग़म की आंच आने नहीं दूं
तुझपे कोई ग़म की आंच आने नहीं दूं

कुर्बान मेरी जान तुझपे शाद रहे तू
कुर्बान मेरी जान तुझपे शाद रहे तू

ऐ वतन, वतन मेरे, आबाद रहे तू
मैं जहा रहू जहां में याद रहे तू
ऐ वतन ऐ वतन..
मेरे वतन मेरे वतन..

आबाद रहे तू.. आबाद रहे तू..
ऐ वतन मेरे वतन
आबाद रहे तू..

4-है प्रीत जहां की रीत सदा

Desh Bhakti Geet
Independence Day

जब जीरो दिया मेरे भारत ने, भारत ने मेरे भारत ने,
दुनिया को तब गिनती आई।

तारों की भाषा भारत ने, दुनिया को पहले सिखलाई।
देता न दशमलव भारत तो, यूं चांद पे जाना मुश्किल था ।
धरती और चांद की दूरी का अंदाजा लगाना मुश्किल था ॥
सभ्यता जहां  पहले आई, पहले जन्मी हैं जहां पे कला ।
अपना भारत वो भारत है, जिस के पीछे संसार चला ।
संसार चला और आगे बड़ा, यूं आगे बड़ा, बढता ही गया,
भगवान् करे यह और बड़े, बढता ही रहे और फूले फले ॥

है प्रीत जहां की रीत सदा, मैं गीत वहां के गाता हूं ।
भारत का रहना हूं , भारत की बात सुनाता हूं ॥

काले गोरे का भेद नहीं हर दिल से हमारा नाता है ।
कुछ और ना आता हो हमको हमें प्यार निभाना आता है ।
जिसे मान चुकी सारी दुनिया मैं बात वोही दोहराता हूं ॥

जीते हो किसी ने देश तो क्या हमने तो दिलों को जीता है ।

जहां राम अभी तक है नर में, नारी में अभी तक सीता है ।

इतने पावन हैं लोग जहां , मैं नित नित शीश झुकाता हूं ॥

इतनी ममता नदियों को भी जहां माता कह के बुलाते हैं ।
इतना आदर इंसान तो क्या पत्थर भी पूजे जातें है ।
उस धरती पे मैंने जनम लिया, यह सोच के मैं इतराता हूं ॥

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Amit Kumar

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