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महंगाई दर में कमी के बावजूद 2018 में नीतिगत दर को यथावत रख सकता है रिजर्व बैंक 

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07:37 PM Mar 13, 2018 IST | Desk Team

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मुंबई : खुदरा मुद्रास्फीति में फरवरी में गिरावट के बावजूद2018 में रिजर्व बैंक की प्रमुखब्याज दर में कटौती की संभावना नहीं है। वित्तीय सेवा कंपनियों के विश्लेषकों ने यह बात कही है। उनका कहना है कि इस बार के बजट में खाद्यानों के लियेऊंचा न्यूनतम समर्थन मूल्य( एमएसपी) देनेका जिस तरह का वायदा किया गया है उससे मुद्रास्फीतिबढ़ सकती है। जापान की ब्रोक रेज कंपनी नोमुरा ने कहा कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति निर्धारण समिति के लिये यह‘ चुनौतीपूर्णसमय’ है। एमएसपीसे महंगाई बढ़ने का जोखिम है, और दूसरी तिमाही से अगर मुद्रास्फीति बढ़नी शुरू होती है, शीर्ष बैंकउसके खिलाफ अधिक आक्रम रुख अपना सकता है। नोमूरा का अनुमान है, कि 2018 में रिजर्व बैंक की नीतिगत दरें यथावत रहेंगी। इसका मुख्य कारण बैंक क्षेत्र में जोखिम हैं और सतत वृद्धि के रास्ते में एक खतरा बना हुआ है।

घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा कि कल जारी महंगाई दर के आंकड़े में सुधार है लेकिन अगले छह महीने में केंद्रीय बैंक द्वारा नीतिगत दर में कटौती की संभावना कम है। उसका अनुमान है कि खपत मांग में वृद्धि, आवास किराया भत्ता की समीक्षा कच्चे तेल के दाम में तेजी से वित्त वर्ष2018-19 में मुख्य मुद्रास्फीति बढ़कर4.6 प्रतिशत रहेगी। यूबीएस सिक्योरिटीज इंडिया ने भी कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में अगले कुछ महीनों में वृद्धि होने के आसार हैं और यह2018-19 में4.7 प्रतिशत रह सकता है। इसको देखते हुए रिजर्व बैंक आने वाले वित्त वर्ष में नीतिगत दर को बरकरार रख सकता है। स्विट्जरलैंड की ब्रोकरेज कंपनी के अनुसार मुख्य मुद्रास्फीति2018-19 में3.6 प्रतिशत रह सकती है। वहीं2017-18 में इसके3.6  प्रतिशत रहने का अनुमान था।

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के कल जारी आंकड़े के अनुसार खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में घटकर4.4 प्रतिशत पर आ गयी। यह लगातार दूसरा महीना है जब इसमें गिरावट दर्ज की गयी। वहीं औद्योगिक उत्पादन जनवरी में दो महीने के उच्च स्तर7.5 प्रतिशत रही। सिंगापुर के बैंक डीबीएस के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि रिजर्व बैंक2018 में नीतिगत दर यथावत रख सकता है। नोमुरा ने यह भी कहा कि पीएनबी में धोखाधड़ी तथा उसके कारण अधिक प्रावधान तथा ट्रेजरी नुकसान से वृद्धि को जोखिम है। वहीं डीबीएस के अनुसार यह बेहतर पुनरूद्धार के रास्ते में एक बाधा है।

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