W3Schools
For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

खाद्य तेल तिलहन की क़ीमतों में रही तेजी के बावजूद आम आदमी के लिए भी आयी राहत की बड़ी खबर

25 दिसंबर, बीते सप्ताह दिल्ली के बाज़ारों में खाद्य तेल तिलहन की क़ीमतों में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। ज़्यादातर तेल तिलहनों के दाम बीते सप्ताहांक के मुक़ाबले लाभांश के साथ बंद हुआ।

04:59 PM Dec 25, 2022 IST | Desk Team

25 दिसंबर, बीते सप्ताह दिल्ली के बाज़ारों में खाद्य तेल तिलहन की क़ीमतों में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। ज़्यादातर तेल तिलहनों के दाम बीते सप्ताहांक के मुक़ाबले लाभांश के साथ बंद हुआ।

खाद्य तेल तिलहन की क़ीमतों में रही तेजी के बावजूद आम आदमी के लिए भी आयी राहत की बड़ी खबर
Advertisement
25 दिसंबर, बीते सप्ताह दिल्ली के बाज़ारों में खाद्य तेल तिलहन की क़ीमतों में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। ज़्यादातर तेल तिलहनों के दाम बीते सप्ताहांक के मुक़ाबले लाभांश के साथ बंद हुआ। वहीं कारोबार कम होने से कच्चा पामतेल (सीपीओ) के दाम में साधारण गिरावट देखने को मिली। बाजार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि कच्चा पामतेल (सीपीओ) से पामोलीन बनाने में प्रसंस्करण करने वाली कंपनियों को नुकसान बैठता है और सही भाव न मिलने से सीपीओ तेल में गिरावट देखी गई। विदेशों में सोयाबीन तेल का भाव मजबूत हुआ है जिसका असर, देश के सरसों, मूंगफली, सोयाबीन और बिनौला जैसे हल्के (सॉफ्ट) खाद्यतेलों पर भी हुआ और इनके तेल तिलहनों के भाव चढ़ गए।
Advertisement
सरसों तेल सहित हल्के खाद्य तेल तिलहनों की पेराई में नुकसान
सूत्रों के मुताबिक, सरसों तेल सहित सभी हल्के खाद्य तेल तिलहनों की पेराई में प्रसंस्करणकर्ताओं को नुकसान है। ये मिलें तिलहन की खरीद ऊंचे भाव पर कर रही हैं लेकिन बाजार में तेल के दाम पेराई के बाद की लागत से भी कम होती है। आयातित तेल सस्ता होने से किसी भी तेल का उसके सामने टिकना मुश्किल हो रहा है। किसानों को अपनी ऊपज के लिए पहले अच्छे दाम मिल चुके हैं इसलिए मौजूदा समय में कीमतों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक होने पर भी किसान पिछले भाव से कम होने से अपने ऊपज की अधिक बिक्री नहीं कर रहे।
हल्के तेलों की पेराई की कमी से महंगाई पर असर
Advertisement
सूत्रों ने कहा कि हल्के तेलों की पेराई की कमी से सबसे बड़ी दिक्कत खल और डीओसी की हो रही है जिसका मवेशीचरा और मुर्गीदाने के लिए उपयोग होता है। इससे महंगाई पर असर डालने वाले दूध, मक्खन, पनीर, मुर्गी और अंडे के दाम बढ़ते हैं।
सूत्रों ने कहा कि ग्राहकों को सस्ता खाद्यतेल उपलब्ध कराने के लिए देश में सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के शुल्क-मुक्त आयात की छूट का कोटा तय किए जाने के बावजूद खाद्यतेल सस्ता नहीं हुआ। दरअसल इस कदम से बाकी आयात कम हो गया और थोक में इन्हीं तेलों के दाम ‘प्रीमियम’ पर मिलने के कारण और महंगे हो गए। सूत्रों का कहना है कि सरकार या तो आयात शुल्क लगाकर आयात को पूरी तरह खोल दे या फिर यह तय कर दे कि सिर्फ तेल खली और डीआयल्ड केक (डीओसी) का निर्यात करने वाले कारोबारियों को ही शुल्क-मुक्त आयात की छूट मिलेगी। ऐसा करने से समान आयात शुल्क दर पर खाद्यतेलों के आयात की स्थिति में सुधार होगा। देश में किसानों के पास बगैर खपत वाले बचे स्टॉक खत्म हो जायेंगे, आगे किसान बुवाई के लिए प्रोत्साहित होंगे तथा देश में पशु आहार और मुर्गीदाने के लिए जरूरी खल और डीओसी की प्रचुरता हो जाएगी।
समीक्षाधीन सप्ताह में भाव
उन्होंने कहा कि देश सालाना लगभग दो करोड़ 40 लाख टन खाद्यतेलों की खपत करता है जबकि देश में दूध उत्पादन का स्तर लगभग 13 करोड़ टन है। मुर्गीदाने और पशु आहार की कमी होने से दूध एवं दुग्ध उत्पादों के साथ साथ अंडे, चिकेन के दाम भी बढ़ेंगे और महंगाई पर असर डालेंगे। समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशों में सोयाबीन के भाव मजबूत होने से स्थानीय बाजार में सरसों, सोयाबीन, मूंगफली तेल तिलहन, और बिनौला तेल के भाव मजबूत बंद हुए। किसानों द्वारा सस्ते दाम पर बिकवाली कम करने और इन हल्के तेलों की जाड़े की मांग होने से भी कीमतों में सुधार को बल मिला है। सूत्रों के मुताबिक, पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 20 रुपये सुधरकर 7,030-7,080 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में 150 रुपये बढ़कर 14,100 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी क्रमश: 15-15 रुपये बढ़कर क्रमश: 2,135-2,265 रुपये और 2,195-2,320 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुईं।
सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज के थोक भाव क्रमश: 25-25 रुपये की ब्ढ़त् के साथ क्रमश: 5,550-5,650 रुपये और 5,370-5,410 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
दूसरी ओर समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल क्रमश: 600 रुपये, 500 रुपये और 250 रुपये बढ़कर क्रमश: 13,700 रुपये, 13,400 रुपये और 11,700 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। किसानों के कम भाव में बिकवाली नहीं करने और पेराई लागत महंगा बैठने के कारण समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहनों कीमतों में सुधार देखने को मिला। समीक्षाधीन सप्ताहांत में मूंगफली तिलहन का भाव 50 रुपये बढ़कर 6,485-6,545 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पूर्व सप्ताहांत के बंद भाव के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल गुजरात 150 रुपये बढ़कर 15,250 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 15 रुपये बढ़कर 2,445-2,710 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
सूत्रों ने कहा कि प्रसंस्करण के बाद सीपीओ के भाव बेपड़ता होने के कारण समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) में गिरावट आई और इस तेल का भाव 30 रुपये की मामूली गिरावट के साथ 8,470 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। जबकि पामोलीन दिल्ली का भाव 75 रुपये बढ़कर 10,125 रुपये हो गया। पामोलीन कांडला का भाव 9,150 रुपये प्रति क्विंटल पर अपरिवर्तित रहा। मंडियों में बिनौला, कपास नरमा की आवक कम होने से समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल भी 350 रुपये बढ़कर 11,850 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

Advertisement
Author Image

Advertisement
×