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धनखड़ और ममता ने कृष्णा बोस के निधन पर जताया शोक

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को तृणमूल कांग्रेस की पूर्व सांसद और शिक्षाविद, कृष्णा बोस के निधन पर शोक व्यक्त किया है।

05:09 PM Feb 22, 2020 IST | Shera Rajput

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को तृणमूल कांग्रेस की पूर्व सांसद और शिक्षाविद, कृष्णा बोस के निधन पर शोक व्यक्त किया है।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को तृणमूल कांग्रेस की पूर्व सांसद और शिक्षाविद, कृष्णा बोस के निधन पर शोक व्यक्त किया है। 
श्री धनखड़ ने श्रीमती बोस के निधन को समाज के लिए बड़ क्षति बताया और ट्वीट कर कहा, ‘‘11वीं, 12 वीं और 13वीं लोकसभा की सदस्य रही कृष्णा बोस को नेताजी भवन में पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। वह एक महान आत्मा थीं।’’ 
उन्होंने कहा, ‘‘उनका निधन समाज के लिए बहुत बड़ क्षति है। आखिरी बार 04 दिसंबर को नौसेना दिवस समारोह पर उनसे मुलाकात हुई थी। वह हमारी लिए प्रेरणा की महान ह्मोत थी। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।’’ 
सुश्री बनर्जी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘मैंने एक ऐसे व्यक्ति को खो दिया जिनका मैं सम्मान करती थी, जिनसे प्यार करती थी और जिनकी प्रशंसा करती थी। तृणमूल कांगेस की पूर्व सांसद कृष्णा बसु के निधन के बारे में सुनकर दुखी और स्तब्ध हूं।’’ वह स्वतंत्रता सेनानी और तृणमूल कांग्रेस के पूर्व सांसद डॉ। शिशिर कुमार बोस की पत्नी थी। 
उन्होंने कहा कि नेताजी के परिवार का हिस्सा होने के नाते, वह एक प्रतिष्ठित समाज सुधारक, प्रसिद्ध कवि और साहसी शिक्षाविद, थी। 
एक अन्य ट््वीट में सुश्री ममता बनर्जी ने कहा, ‘‘कृष्णा दी अपने बेटों सुमंत्र और सुगाता तथा बेटी शर्मिला के साथ पूरे तृणमूल परिवार की मां थी। भारतीय समाज और बंगाली संस्कृति में उनका बहुत अतुलनीय योगदान आने वाले समय में याद किया जायेगा।’’ 
उल्लेखनीय है कि तृणमूल कांग्रेस की पूर्व सांसद और शिक्षाविद कृष्णा बोस का यहां ई एम बायपास के पास एक निजी अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से शनिवार को निधन हो गया। वह 89 वर्ष की थीं। 
श्रीमती बोस का जन्म 26 दिसंबर 1930 को ढाका (वर्तमान में बंगलादेश) में हुआ था। उनका विवाह नेताजी सुभाष चंद, बोस के भतीजे डॉ। शिशिर कुमार बोस से हुआ था। 
उन्होंने शहर के एक कॉलेज में 40 वर्षों तक अंग्रेजी साहित्य पढ़या था और उसके बाद वह कॉलेज की प्रधानाचार्य भी बनीं। वह तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर जादवपुर लोकसभा सीट से तीन बार सांसद चुनी गयीं थीं।
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