Dharmendra Success Story : 200 रुपये से बॉलीवुड के ही-मैन तक, Dharmendra की संघर्ष भरी कहानी
Dharmendra Success Story : आज हम बात करने जा रहे हैं बॉलीवुड के उस महान अभिनेता की, जिनकी मेहनत, संघर्ष और लगन ने उन्हें एक आम इंसान से फिल्म इंडस्ट्री का “ही-मैन” बना दिया। जी हां, हम बात कर रहे हैं धर्मेंद्र जी की वो सितारा जिनकी मुस्कान, डायलॉग डिलीवरी और सादगी ने करोड़ों दिलों को जीत लिया। धर्मेंद्र का जीवन हमें सिखाता है कि अगर इंसान में हौसला हो, तो चाहे हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों, सफलता जरूर मिलती है। आइए जानते हैं कि कैसे एक छोटे से गांव का लड़का बॉलीवुड का सुपरस्टार बना।
शुरुआती जीवन और परिवार

धर्मेंद्र का असली नाम धर्म सिंह देओल है। उनका जन्म 8 दिसंबर 1935 को पंजाब के लुधियाना जिले के एक छोटे से गांव नसराली में हुआ था। उनके पिता किसान और स्कूल टीचर थे। परिवार बहुत साधारण था, लेकिन संस्कार बहुत मजबूत थे। बचपन से ही धर्मेंद्र को फिल्मों का बहुत शौक था। वो गांव में सिनेमा देखने के लिए कई-कई किलोमीटर पैदल चलकर जाते थे।उन्हें फिल्मों की दुनिया बहुत जादुई लगती थी। लेकिन उस वक्त किसी ने सोचा भी नहीं था कि यही लड़का एक दिन बॉलीवुड का हीरो बनेगा।
200 रुपये के लिए किया संघर्ष

धर्मेंद्र का शुरुआती जीवन काफी संघर्षों से भरा रहा। जब वो जवान हुए तो अपने परिवार की मदद करने के लिए छोटी-मोटी नौकरियां करने लगे। उन्होंने खुद बताया है कि एक वक्त ऐसा भी आया जब 200 रुपये कमाना भी उनके लिए बहुत बड़ी बात थी। उन्हें पैसों की कमी तो थी ही, लेकिन दिल में एक सपना भी था मुंबई जाकर फिल्मों में काम करने का। उनके पास ज्यादा पैसे नहीं थे, पर हिम्मत और आत्मविश्वास था।
मुंबई का सफर और पहली झलक
धर्मेंद्र को मुंबई आने का मौका तब मिला जब उन्होंने एक फिल्मी पत्रिका “फिल्मफेयर” में चल रही टैलेंट हंट प्रतियोगिता के बारे में सुना। उन्होंने अपनी फोटो भेजी और किस्मत ने उनका साथ दिया। उन्हें प्रतियोगिता में चुना गया और वे मुंबई आ गए। मुंबई पहुंचकर उन्होंने बहुत संघर्ष किया। कई दिनों तक ऑडिशन दिए, लोगों से मुलाकातें कीं, लेकिन शुरुआत में कोई फिल्म नहीं मिली। कभी-कभी तो उन्हें खाने के भी पैसे नहीं होते थे। पर उन्होंने हार नहीं मानी।
फिल्मों में शुरुआत
आखिरकार, धर्मेंद्र को 1958 में “दिल भी तेरा, हम भी तेरे” फिल्म में काम करने का मौका मिला। यह उनकी पहली फिल्म थी। फिल्म बड़ी हिट तो नहीं हुई, लेकिन धर्मेंद्र की सादगी और लुक्स ने लोगों का ध्यान खींचा। इसके बाद धीरे-धीरे उन्हें और फिल्में मिलने लगीं। “अनपढ़”, “बंदिनी”, “हक़ीकत” जैसी फिल्मों से उन्होंने अपनी जगह बनाई। लेकिन असली पहचान उन्हें 1966 में आई फिल्म “फूल और पत्थर” से मिली। इस फिल्म में उनके अभिनय और मजबूत शरीर ने दर्शकों को दीवाना बना दिया। तभी से उन्हें बॉलीवुड का ही-मैन कहा जाने लगा।
धर्मेंद्र और उनकी रोमांटिक छवि

धर्मेंद्र न केवल एक्शन हीरो थे, बल्कि वो एक बेहतरीन रोमांटिक हीरो भी थे। उनकी जोड़ी हेमा मालिनी, मीना कुमारी और नूतन जैसी अभिनेत्रियों के साथ खूब पसंद की गई। “शोले” फिल्म में वीरू के किरदार ने उन्हें अमर बना दिया। आज भी जब लोग “बसंती, इन कुत्तों के सामने मत नाचना!” वाला डायलॉग सुनते हैं, तो धर्मेंद्र का चेहरा याद आ जाता है। उनकी रोमांटिक अदाएं और मजाकिया अंदाज ने उन्हें दर्शकों के दिलों में हमेशा के लिए बसा दिया।
मेहनत और अनुशासन का उदाहरण
Dharmendra की सफलता का सबसे बड़ा कारण उनकी मेहनत और अनुशासन रहा। वो हमेशा अपने काम के प्रति ईमानदार रहे। शूटिंग हो या रिहर्सल, वो समय पर पहुंचते थे और पूरी लगन से काम करते थे। उन्होंने कभी अपने संघर्षों को कमजोरी नहीं बनने दिया। जब भी उन्हें मुश्किलें मिलीं, उन्होंने और मेहनत की। शायद इसी वजह से वो आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं।धर्मेंद्र का सफर सिर्फ एक अभिनेता की कहानी नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है। उन्होंने अपने संघर्ष, मेहनत और लगन से जो मुकाम हासिल किया, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल है। आज भी जब हम उनकी फिल्मों को देखते हैं, तो हमें उनके अभिनय के साथ-साथ उनकी सच्ची मेहनत की झलक दिखती है।

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