Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

जोर जबरदस्ती से संवाद तय नहीं किया जा सकता : जेएनयू कुलपति

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कुलपति एम जगदीश कुमार ने आंदोलन कर रहे छात्रों से विरोध प्रदर्शन समाप्त करने की शुक्रवार को अपील करते हुए कहा कि जोर जबर्दस्ती तथा अवैध तरीके से संवाद स्थापित नहीं किया जा सकता है ।

04:00 PM Nov 15, 2019 IST | Shera Rajput

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कुलपति एम जगदीश कुमार ने आंदोलन कर रहे छात्रों से विरोध प्रदर्शन समाप्त करने की शुक्रवार को अपील करते हुए कहा कि जोर जबर्दस्ती तथा अवैध तरीके से संवाद स्थापित नहीं किया जा सकता है ।

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कुलपति एम जगदीश कुमार ने आंदोलन कर रहे छात्रों से विरोध प्रदर्शन समाप्त करने की शुक्रवार को अपील करते हुए कहा कि जोर जबर्दस्ती तथा अवैध तरीके से संवाद स्थापित नहीं किया जा सकता है । 
Advertisement
जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने कहा कि संवाद शुरू करने की बजाए, प्रशासन ने विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को, ‘‘परोक्ष रूप से धमकियां” देनी शुरू कर दी हैं। 
कुलपति ने विश्वविद्यालय के शिक्षकों से भी अनुरोध किया कि वे असंतुष्ट छात्रों से आंदोलन को समाप्त करने की अपील करें क्योंकि परिसर के उन हजारों छात्रों की पढ़ाई में व्यवधान पैदा हो रहा है, जो अंतिम सेमेस्टर परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। 
उन्होंने कहा, ‘‘जेएनयू प्रशासन हमेशा बातचीत और चर्चा के माध्यम से मुद्दों को सुलझाना पसंद करता आया है, लेकिन इस तरह की किसी भी बातचीत की प्रक्रिया को जबरन तथा अवैध तरीकों से तय नहीं किया जा सकता। इस तरीके से किसी भी संवाद का फायदा नहीं होगा।’’ 
छात्रों के दो हफ्तों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए गरीबी रेखा से नीचे के ऐसे छात्रों की छात्रावास फीस की बढ़ोत्तरी को आंशिक रूप से वापस ले लिया गया है जिनके पास कोई छात्रवृत्ति नहीं है। हालांकि छात्रों ने इसे “धोखा” करार दिया है । 
कुलपति ने शिक्षकों से कहा है कि वह छात्रों को समझाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करें कि छात्रावास शुल्क में किए गए परिवर्तन न सिर्फ “उचित हैं बल्कि हमारे छात्रावासों की वित्तीय क्षमता के लिए जरूरी भी हैं।” 
उन्होंने कहा, “जेएनयू को वैश्विक ख्याति वाला विश्वविद्यालय बनाने की राह पर अग्रसर रखना हमारा कर्तव्य एवं जिम्मेदारी है जिसके लिए परिसर में शांति एवं सामान्य स्थिति बहाल करना जरूरी है। मुझे उम्मीद है कि जेएनयू को शिक्षा एवं अनुकरणीय मान्यता का केंद्र बनाने के हमारे मिशन में आप अपना योगदान दें।” 
कुमार ने कहा कि विद्यार्थियों के एक धड़े द्वारा लगातार किए जा रहे आंदोलन एवं विरोध ने विश्वविद्यालय की अकादमिक एवं शोध गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। 
उन्होंने परिसर में ‘‘शांति” एवं “सामान्य स्थिति” बनाए रखने की अपील की है । साथ ही उन्होंने कहा कि “इंटर हॉल प्रशासनिक नियमावली में परिवर्तन को लेकर भ्रम एवं गलत सूचना का माहौल बनाया गया।” 
उन्होंने कहा कि कार्यकारी परिषद द्वारा दी गई छूटों के बावजूद, विरोध कर रहे विद्यार्थी छात्रावास नियमावली को पूरी तरह से वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं। 
कुमार ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ विद्यार्थी, “हिंसक हो गए और परिसर में जेएनयू के कुछ शिक्षकों एवं अधिकारियों को डराने-धमकाने लगे।” 
उन्होंने कहा, “प्रशासनिक भवन पर कब्जा कर लेना, दीवारों को गंदा करने, दरवाजे तोड़ने और सुरक्षा गार्डों के साथ हाथापाई कर विरोध जारी रखने से जेएनयू की छवि गंभीर रूप से धूमिल हुई है।” 
उन्होंने आंदोलनरत छात्रों पर बार-बार कानून तोड़ने, अदालती आदेशों का उल्लंघन करने, संकाय सदस्यों के घरों के आस-पास जमा होने तथा उन्हें एवं बच्चों समेत उनके परिवार के अन्य सदस्यों को परेशान करने का आरोप लगाया।
 
बीते सोमवार को दीक्षांत समारोह स्थल के बाहर हुए प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए कुमार ने कहा कि विरोध कर रहे छात्रों ने सभ्य व्यवहार की हर सीमा लांघ दी है और कहा कि उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ और कुलाधिपति वी के सारस्वत को छह घंटे तक परिसर में रोके रखा। 
उन्होंने कहा कि “क्षतिग्रस्त” किए गए प्रशासनिक प्रखंड की मरम्मत में लाखों रुपये का खर्च आएगा। 
कुमार ने कहा, “जेएनयू के उच्च अकादमिक संस्थान के ओहदे को छोड़ भी दें तो भी कोई सभ्य समाज उसके सदस्यों के इस घटिया रवैये एवं व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करेगा। 
“प्रशासन ने आंदोलनरत विद्यार्थियों एवं उनके मार्गदर्शकों के इस निंदनीय व्यवहार को सख्ती से लिया है।” 
जेएनयू छात्र संघ के उपाध्यक्ष साकेत मून ने इसे आंदोलन को वापस लेने की जेएनयू समुदाय पर दबाव बनाने की युक्ति करार दिया है। 
Advertisement
Next Article