क्या Russia के राष्ट्रपति Putin को सता रहा मौत का डर? सुरक्षा में कर दिए बड़े बदलाव
Russia के राष्ट्रपति व्लादिमीर Putin की सुरक्षा में लगे बॉडीगार्ड्स ने अब खुद को और भी ज्यादा हाईटेक बना लिया है। अब पुतिन के साथ चलने वाले बॉडीगार्ड्स केवल हथियारों से लैस नहीं हैं, बल्कि उनके पास ड्रोन और ड्रोन इंटरसेप्टर भी हैं। हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें पुतिन के अंगरक्षक ड्रोन के साथ नजर आ रहे हैं।
बिजनेस इनसाइडर की रिपोर्ट के अनुसार यह वीडियो मॉस्को में हुए विक्ट्री डे समारोह का है। इसमें साफ दिख रहा है कि पुतिन की सुरक्षा में लगे लोग अब केवल पारंपरिक हथियारों पर निर्भर नहीं हैं, बल्कि आसमान से आने वाले खतरों से भी निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
Putin की सुरक्षा कितनी मजबूत है?
Russia में राष्ट्रपति Putin की सुरक्षा के लिए एक खास यूनिट तैनात की गई है। इसमें 35 साल से कम उम्र के जवानों को ही जगह दी जाती है। इस फोर्स के सदस्यों के पास रूस में बनी 9 मिमी की एसआर-1 वेक्टर पिस्तौल होती है, जो कवच-भेदी गोलियां चला सकती है।
Putin बहुत कम सार्वजनिक कार्यक्रमों में शामिल होते हैं और जब भी यात्रा करते हैं, तो उससे एक महीना पहले ही उनकी सुरक्षा टीम पूरा क्षेत्र अपने कब्जे में ले लेती है। पुतिन का रूट भी गोपनीय रखा जाता है।
कैसे चुने जाते हैं Putin के बॉडीगार्ड्स?
Putin अपने अंगरक्षकों का चयन खुद करते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह उनके कौशल से ज्यादा उनकी वफादारी को महत्व देते हैं। एक बार जो अंगरक्षक चुन लिया जाता है, वह हर परिस्थिति में पुतिन के साथ रहना होता है, चाहे कुछ भी हो जाए।
बॉडीगार्ड्स ड्रोन क्यों लेकर चल रहे हैं?
Russia-यूक्रेन युद्ध में ड्रोन का बहुत ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है। स्टेटिस्टा के आंकड़ों के अनुसार, रूस हर महीने करीब 3500 ड्रोन से यूक्रेन पर हमला करता है। वहीं यूक्रेन भी रूस पर बार-बार ड्रोन हमले कर रहा है। कुछ यूक्रेनी ड्रोन तो मॉस्को में राष्ट्रपति आवास के पास तक पहुंच चुके हैं। जून में यूक्रेन ने करीब 500 ड्रोन से एक साथ रूस पर हमला किया था। इन ड्रोन में बारूद भरकर भेजा जाता है, जिससे टकराते ही धमाका होता है और भारी नुकसान होता है।
ड्रोन इंटरसेप्टर से कैसे बचाते हैं?
ड्रोन इंटरसेप्टर ऐसे उपकरण होते हैं जो दुश्मन के ड्रोन को हवा में ही नष्ट कर सकते हैं। पुतिन के अंगरक्षक इनका इस्तेमाल आसमान से आने वाले खतरों से बचाव के लिए कर रहे हैं। इस तकनीक की मदद से संभावित ड्रोन हमलों को समय रहते रोका जा सकता है।