Udaipur Files से हटाए गए विवादित सीन्स, High Court ने दिया Special Screening का आदेश
फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ (Udaipur Files) की रिलीज को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी द्वारा दाखिल याचिका पर सोमवार को अहम सुनवाई हुई। याचिका में फिल्म पर रोक लगाने की मांग की गई है, जिसे लेकर कोर्ट में तर्क और बहस का दौर जारी है।
क्या है याचिका में मांग
याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट (High Court) से आग्रह किया है कि फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ (Udaipur Files) को दी गई सेंसर बोर्ड की मंजूरी रद्द की जाए और इसकी रिलीज पर तत्काल रोक लगाई जाए। याचिका में दावा किया गया है कि यह फिल्म वर्ष 2022 में राजस्थान के उदयपुर में दर्जी कन्हैयालाल की हत्या की बैकग्राउंड पर बेस्ड है, लेकिन इसमें कई ऐसे सीन्स और डायलॉग हैं जो धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाले हैं।
सेंसर बोर्ड ने दिए थे बदलाव के निर्देश
सुनवाई के दौरान सेंसर बोर्ड की ओर से कोर्ट को सामने कहा गया कि फिल्म के कुछ स्केन्स और डायलॉग पर आपत्ति जताई गई थी और फिल्म निर्माताओं को उन्हें हटाने के निर्देश दिए गए थे। फिल्म के निर्माता ने कोर्ट को जानकारी दी कि उन्होंने सभी विवादित सीन्स को फिल्म से हटा दिया है और अब फिल्म में कोई आपत्तिजनक सामग्री नहीं है।
कोर्ट ने दी स्क्रीनिंग की हिदायत
हाई कोर्ट (High Court) ने निर्देश दिया है कि फिल्म और उसका ट्रेलर याचिकाकर्ता जमीयत उलेमा-ए-हिंद के वकीलों के समक्ष आज ही प्रदर्शित किया जाए। इसमें वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अन्य वकील शामिल होंगे। स्क्रीनिंग के बाद ये वकील तय करेंगे कि फिल्म से आपत्तिजनक अंश हटाए गए हैं या नहीं और क्या अब फिल्म पर आपत्ति बनी रहती है। इस सिलसिले में अगली सुनवाई मंगलवार को निर्धारित की गई है।
याचिकाकर्ता ने लगाए गंभीर आरोप
याचिका में कहा गया है कि फिल्म में पूर्व भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा के विवादित बयान, एक मुख्यमंत्री की कथित टिप्पणी और कोर्ट की कार्यवाही का एकतरफा चित्रण किया गया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि ये सभी बातें पहले भी देश में साम्प्रदायिक तनाव को जन्म दे चुकी हैं और अब उन्हें फिल्म के जरिए फिर से दोहराकर माहौल को बिगाड़ने का प्रयास किया जा रहा है।
ट्रेलर पर भी जताई आपत्ति
फिल्म के ट्रेलर में कथित रूप से मुस्लिम समुदाय को नकारात्मक तरीके से चित्रित किया गया है। याचिका में कहा गया है कि इसमें मुस्लिम धर्मगुरुओं को नाबालिग बच्चों के साथ अनुचित संबंधों में दिखाया गया है, जो अत्यधिक आपत्तिजनक है।
न्याय प्रक्रिया का जिक्र
फिल्म में ज्ञानवापी मसले को भी शामिल किए जाने पर आपत्ति जताई गई है, जबकि यह मामला फिलहाल अदालत में विचाराधीन है। याचिकाकर्ता के अनुसार, न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने और सामाजिक सौहार्द्र को नुकसान पहुंचाने के लिए इस विषय को फिल्म में दिखाया गया है। याचिका में साफ कहा गया है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग सामाजिक जिम्मेदारी के साथ होना चाहिए, न कि धार्मिक भावनाएं भड़काने के लिए। अब सबकी नजर आगे की सुनवाई पर टिकी है, जहां कोर्ट अपना अगला फैसला सुना सकता है।
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