पुराने दर्द को ना करें नजरअंदाज, कही यह डिप्रेशन तो नहीं
पुराने दर्द को हल्के में लेना हो सकता है खतरनाक
पुराने दर्द को नजरअंदाज करना डिप्रेशन का कारण बन सकता है। येल यूनिवर्सिटी की स्टडी के अनुसार, तीन महीने से अधिक समय तक दर्द रहने पर डिप्रेशन का खतरा चार गुना बढ़ जाता है। दर्द सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक और बायोलॉजिकल असर भी डालता है। असल में, अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी के एक स्टडी में पता चला है कि जिन्हें लगातार तीन महीने या उससे ज्यादा से कहीं दर्द हैं, तो उन लोगों को डिप्रेशन का खतरा औरों के मुकाबले 4 गुना ज्यादा होता हैं। आज के समय में माइग्रेन और पीठ दर्द बहुत आम हो गया है। स्टडी में पता चला है कि जिन्हें एक से ज्यादा हिस्सों में दर्द होता हैं उनमें डिप्रेशन का खतरा ज्यादा होता है।
आजकल की व्यस्त जीवन में हम अपने आप पर सही से ध्यान नहीं दें पाते हैं। जिस कारण हम अपने शरीर के कई हिस्सों के दर्द को बहुत आम मानकर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन यही चीज आगे चलकर हमें बहुत परेशानी देंती हैं। अगर आपको कोई दर्द 3 महीने से ज्यादा हैं तो यह क्रोनिक पेन हो सकता है।
असल में, अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी के एक स्टडी में पता चला है कि जिन्हें लगातार तीन महीने या उससे ज्यादा से कहीं दर्द हैं, तो उन लोगों को डिप्रेशन का खतरा औरों के मुकाबले 4 गुना ज्यादा होता हैं।
बता दें कि- पूरे विश्व में करीब 30% लोग अपने किसी न किसी पुराने दर्द से परेशान हैं, और आज के समय में माइग्रेन और पीठ दर्द बहुत आम हो गया है। स्टडी में पता चला है कि जिन्हें एक से ज्यादा हिस्सों में दर्द होता हैं उनमें डिप्रेशन का खतरा ज्यादा होता है।
मन-मस्तिष्क पर भी पड़ता है दर्द का असर
येल यूनिवर्सिटी की इस स्टडी में पता चला है कि- दर्द सिर्फ शारीरिक तौर पर ही हमें तकलीफ नहीं देता बल्कि इसका असर हमारे मन-मस्तिष्क पर भी पड़ता हैं। यहां तक कि- यह भी अध्ययन में पाया गया है कि- जब हमारे शरीर में दर्द होता है तो उसमें सूजन से जुड़ी कुछ समस्याएं जैसे सी-रिएक्टिव प्रोटीन दर्द और डिप्रेशन के लिंक को समझने में मदद कर सकता है। इसलिए वैज्ञानिकों का मानना है कि- डिप्रेशन और सूजन का कोई संबंध हो सकता हैं यानी दर्द का संबंध भावनात्मक ही नहीं, बल्कि बायोलॉजिकल भी है।
बता दें कि- यह अनुसंधान 4 लाख से अधिक लोगो पर किया गया हैं। साथ ही चेहरा, गर्दन, पीठ, सिर, पेट, कूल्हा, घुटना और बाकि जगहों के दर्द को अलग कैटेगरी में रखा गया हैं।
मेंटल हेल्थ सभी अंगों से हैं जुड़ा
इस स्टडी में ज्यादातर केस डिप्रेशन से जुड़ा मिला। यह स्टडी कर रहें प्रोफेसर का कहना हैं कि- हम सब अकसर, मेंटल हेल्थ को अलग मानते हैं, जबकि यह भी हमारे शरीर के सभी अंगों से जुड़े हुए हैं। इसलिए उनका मानना हैं कि- जिस पुराने दर्द को हम नजरअंदाज करते हैं वो आगे चलकर हमारे मस्तिष्क में दिक्कत का कारण बन सकती हैं। इसलिए हमें शरीर के साथ मन पर भी पूरा ध्यान देना चाहिए है।
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