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महिला दिवस को सीमित न रखें, हर दिन मनाएं: Wrestler Sakshi Malik

महिलाओं के संघर्ष को सिर्फ एक दिन तक सीमित न करें: Sakshi Malik

05:34 AM Mar 07, 2025 IST | IANS

महिलाओं के संघर्ष को सिर्फ एक दिन तक सीमित न करें: Sakshi Malik

भारत की प्रसिद्ध महिला पहलवान साक्षी मलिक ने महिला दिवस के मौके पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने न केवल अपने व्यक्तिगत अनुभवों को उजागर किया, बल्कि समाज में बदलते परिवेश और महिलाओं की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। ओलंपिक मेडलिस्ट साक्षी मलिक का मानना है कि महिलाओं के संघर्ष और योगदान को केवल एक दिन तक सीमित नहीं करना चाहिए।

साक्षी मलिक का कहना है कि महिलाओं को किसी एक खास दिन, जैसे 8 मार्च को मनाया जाने वाले अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए। उनके अनुसार, हर दिन महिला दिवस होना चाहिए। उन्होंने अपने जीवन का उदाहरण देते हुए बताया कि एक महिला अपने जीवन में कई तरह के संघर्षों का सामना करती है।

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साक्षी ने कहा, “जब मैंने कुश्ती शुरू की थी, तब मुझे बेहद कम संसाधनों के साथ तैयारी करनी पड़ी थी। इन कठिनाइयों के बावजूद मैंने न केवल अपने करियर में सफलता हासिल की, बल्कि मां बनने के बाद भी अपने कार्यों को संतुलित किया। एक मां के पास कई जिम्मेदारियां होती हैं और वह इन सभी को एक साथ संभाल सकती है। इसलिए, महिलाओं के योगदान को हर दिन सम्मान मिलना चाहिए।”

साक्षी ने कहा कि पहले हरियाणा में लड़के और लड़कियों के बीच बहुत भेदभाव होता था। लेकिन अब इसमें काफी बदलाव आया है। उन्होंने अपने मेडल जीतने के अनुभव को साझा करते हुए बताया कि उनकी सफलता ने समाज की सोच को बदलने में मदद की। महिला खिलाड़ियों की उपलब्धियों पर फिल्में बनीं, जिसके बाद लोग अपनी बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित हुए। आज लड़कियां हर क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं, चाहे वह खेल हो या कोई अन्य क्षेत्र। साक्षी ने हाल के ओलंपिक का उदाहरण दिया, जहां हरियाणा की मनु भाकर ने इतिहास रचकर यह साबित कर दिया कि लड़कियां किसी से कम नहीं हैं।

साक्षी का मानना है कि अगर कोई महिला अपने लक्ष्य को लेकर दृढ़ संकल्पित, केंद्रित और अनुशासित है, तो वह कुछ भी हासिल कर सकती है। उन्होंने महिला खिलाड़ियों के सामने आने वाली चुनौतियों का भी जिक्र किया।

उन्होंने कहा, “महिला खिलाड़ी का खेल करियर बहुत छोटा होता है। हम इतना लंबा नहीं खींच पाते हैं क्योंकि बहुत सारी चीजें सोचनी पड़ती हैं। मेरा महिला खिलाड़ियों को यही संदेश है कि बिना डरे और घबराए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें। हमने भी अन्याय के खिलाफ आवाज उठाया, उसके खिलाफ लड़ना सीखा और आंदोलन भी किया। मैं यही कहूंगी कि आप किसी भी क्षेत्र में हों, कार्य करते रहिए। देश के लिए अच्छा कार्य करते रहें।

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