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ना-पाक गाल पर डबल तमाचा

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11:27 PM Jan 06, 2018 IST | Desk Team

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आतंकवाद हालांकि पूरी दुनिया में इंसानों के खून से खिलवाड़ करता रहा है लेकिन आतंकवादी जिस तरह से पाकिस्तान में पाले-पोसे गए और जिस तरह से उन्होंने अपना रंग दिखाया तो इसका सबसे बड़ा गवाह भारत इसलिए है क्योंकि उसने आतंकवाद की मार सबसे ज्यादा झेली है। हजारों हस्तियां इसी आतंकवाद का शिकार हुई हैं और आम आदमी भी इसी आतंकवाद की चपेट में आकर मरा। पाकिस्तान बराबर न सिर्फ बार्डर पर बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी बेनकाब होता रहा। भारत में शासन जब पलटा और प्रधानमंत्री ने पद संभाला तो पाकिस्तान के बुरे दिन शुरू हो गए। पूरी दुनिया में स्थापित हो गया कि भारत आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान के मामले में जो कहता था वह सही था। अमरीका खुद पाकिस्तान का दो दशकों से जो विरोध जताता था वह ऊपरी दिखावा था।

भारत के पुराने शासकों को यह चीजें क्यों नज़र नहीं आईं, हम इस बहस में नहीं पड़ना चाहते। हम तो केवल अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा जिस तरह से अब पाकिस्तान काे आतंकवाद खात्मे के लिए अरबों-खरबों की जो सहायता मिल रही थी उस पर रोक लगाकर जो उसके मुंह पर थप्पड़ जड़ा है हम इसका स्वागत करना चाहते हैं। पहले यह थप्पड़ पीएम मोदी ने प्यार से जड़ा था पर ट्रंप ने कस कर जड़ा है सो ना-पाक चेहरा लाल हो गया है। खाली यह बात नहीं है कि अब पाकिस्तान पर अमरीकी चाबुक चला है बल्कि अच्छी बात यह है कि अमरीका ने अहसास कर लिया है कि पिछले 15 सालों से पाकिस्तान कैसे अमरीका जैसी सुपर पावर को मूर्ख बनाता रहा। आतंकवाद के खात्मे के लिए उसने कुछ नहीं किया बल्कि आतंकवादियों को प्रमोट करने का काम उसने खुलकर किया और सारे आतंकवादी कश्मीर में काम पर लगा दिए। वो कहते हैं न खुदा ही मिला न वसाले सनम, पाकिस्तान के साथ यही हुआ। हम यहां स्पष्ट करना चाहते हैं कि ट्रंप एक बहुत ही स्पष्टवादी, साहसी और चुनौतियों का जवाब देने वाली हस्ती हैं। उनसे पहले अमरीकी शासकों के आंख, कान यकीनन नहीं थे। वह इसलिए क्योंकि आतंकवादियों के नंगे नाच को वे देख-सुन नहीं सकते थे और ए.के.-47 से की गई दनादन फायरिंग को अमरीकी प्रशासक सुनते ही नहीं थे लेकिन ट्रंप सब-कुछ देख रहे हैं और सुन रहे हैं।

उन्होंने यह कहकर कि पाकिस्तान हमें 15 साल से मूर्ख बनाता रहा, पुराने अमरीकी प्रशासन की दोगली नीति भी बेनकाब कर डाली। चाहे वह क्लिंटन हों या जॉर्ज बुश या बराक ओबामा, वर्तमान अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप ने एक तीर से कई शिकार कर डाले। सच बात तो यह है कि उन्होंने पाकिस्तान की अमरीकी मदद बंद करके एक तरह से भारत का ही साथ दिया है। विदेश की यात्राएं करने वाले प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना लगाने वालों को अब समझ जाना चाहिए कि श्री मोदी की विदेश नीति आैर कूटनीति आतंकवाद के मामले में कितनी कारगर सिद्ध हो रही हैं। सब जानते हैं कि खूंखार आतंकवादी हाफिज सईद जो मुम्बई हमले का मास्टरमाइंड है, किस तरह अमरीका ने उस पर एक करोड़ डालर का ईनाम रखा हुआ है आैर फिर भी वह एक राजनीतिक पार्टी बना गया तथा पाकिस्तान चुप रहा। ट्रंप ने एेसा करके भारत को अब अपना मित्र मान लिया है तथा वक्त आने पर भारत-अमरीकी दोस्ती के भी ऐसे चर्चे होंगे जो कभी भारत-रूस दोस्ती के हुआ करते थे। आज पाकिस्तान के हालात खराब हो रहे हैं, वहां आतंकवादी संगठन फौज के साथ मिलकर अपना काम कर रहे हैं। लोग जानते हैं कि कैसे तहरीक-ए-लब्बैक जैसे आतंकवादी संगठन ने कानून मंत्री तक को हंगामा करके चलता कर दिया।

फौज के कट्टरपंथी हिसाब-किताब के चलते और अपनी करतूतों की वजह से शरीफ साहब भी प्रधानमंत्री पद से चलता कर दिए गए। एेसे में अमरीका ने 250 मीलियन डॉलर की सैन्य सहायता के अलावा कई और मदों में अरबों डॉलरों की सैन्य रकम पाकिस्तान के खाते से डिलीट कर दी है तो उसका चिल्लाना स्वाभाविक है। नए बदलते घटनाक्रम में उसकी बौखलाहट उसे चीन के हाथों में ले गई है। चीन का काम पाकिस्तान को इस्तेमाल करना है। कूटनीति में भारत के हाथों करारा जवाब मिलने के बाद चोर-चोर मौसेरे भाई वाली उक्ति के तहत चीन और पाकिस्तान का प्यार बढ़ना स्वाभाविक ही है। ज्यादा कुछ कहने की बजाय हम इतना कहना चाहते हैं कि पाकिस्तान में अब अराजकता का माहौल चल रहा है और इधर भारत जिस तरह से उसे मुंहतोड़ जवाब दे रहा है तो उसकी बौखलाहट स्वाभाविक है। अपने बुने जाल में वह फंस चुका है आैर आने वाले दिनों में पाकिस्तान का खात्मा तय है। भारत के सर्जिकल स्ट्राइक के सिलसिलों से उसकी कमर टूट चुकी है और अब देखना यह है कि उसका अंत कब होता है। सबको इसी दिन का इंतजार है।

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