DRDO चीफ ने वैज्ञानिकों से साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष, कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर फोकस करने कहा
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रमुख जी सतीश रेड्डी ने शुक्रवार को कहा कि इसमें काम कर रहे वैज्ञानिकों को साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्रों में सशस्त्र बलों की अगली पीढ़ी की जरूरतों पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
11:27 PM Jan 01, 2021 IST | Shera Rajput
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रमुख जी सतीश रेड्डी ने शुक्रवार को कहा कि इसमें काम कर रहे वैज्ञानिकों को साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्रों में सशस्त्र बलों की अगली पीढ़ी की जरूरतों पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
डीआरडीओ का 60 वां स्थापना दिवस मनाने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में रेड्डी ने कहा कि अकादमिक संस्थान, अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) संगठन तथा उद्योग को अत्याधुनिक तथा भविष्योन्मुखी प्रौद्योगिकी पर साथ मिल कर काम करने की जरूरत है ताकि रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाया जा सके।
रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘अपने संबोधन में, उन्होंने (रेड्डी ने) डीआरडीओ वैज्ञानिकों से अगली पीढ़ी की जरूरतें पर ध्यान केंद्रित करने को कहा, जिनमें साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष और कृत्रिम बुद्धिमत्ता शामिल हैं। ’’
विज्ञप्ति के मुताबिक, रेड्डी ने इस बात का जिक्र किया कि कई सारे छोटे एवं मध्यम उद्यमों (एसएमई) और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को डीआरडीओ द्वारा पुष्पित पल्लवित किया जा रहा है क्योंकि ये डीआरडीओ की परियोजनाओं के लिए छोटे पुर्जे की आपूर्ति करते हैं।
उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों के लिए नवोन्मेषी उत्पाद विकसित करने को लेकर हर साल कम से कम 30 स्टार्ट-अप को सहायता दी जानी चाहिए।
रेड्डी ने डीआरडीओ के 2021 के लिए ‘निर्यात’ को मुख्य विषय (थीम) बताया और इस बात का जिक्र किया कि डीआरडीओ की प्रौद्योगिकी पर आधारित कई उत्पादों को रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र इकाइयों तथा निजी कंपनियों द्वारा निर्यात किया गया है।
उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान डीआरडीओ द्वारा निभाई गई भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि इसकी 40 प्रयोगशालाओं ने वायरस से लड़ने के लिए युद्ध स्तर पर 100 से अधिक उत्पाद विकसित किए।
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