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गर्मी की तपिश में सूखे हलक

नांगल चौधरी: ज्यों-ज्यों गर्मी का मौसम तेज होता जा रहा है, त्यों-त्यों ही राजस्थान सीमा से सटे जिला महेन्द्रगढ़ में पीने के पानी की मूल समस्या विकराल रुप धारण करती जा रही हैै। जनपद के ग्रामीण क्षेत्र में लोगों के पीने के पानी का मुख्य सहारा टयूबवैल ही हैं, जो कि अनेक स्थानों पर भू-जल स्तर डेढ़ हजार फुट की गहराई तक गिर जाने के कारण बेकार बने हुए हैं। हालांकि कुछ दिनों से क्षेत्र में नहरी पेयजल पर आधारित परियोजनाएं भी लागू की गई हैं, किन्तु खासकर कस्बा नांगल चौधरी में यह परियोजना कागजी साबित हो रही हैं। यहां यह उल्लेखनीय है जिला महेन्द्रगढ़ राजस्थान की सीमाओं से घिरा हुआ है तथा इसके भू-गर्भ तक अरावली पर्वत श्रंृखलाएं विद्यमान हैं, जिनमें पानी की संभावना क्षीण ही नजर आती है

09:13 AM May 12, 2017 IST | Desk Team

नांगल चौधरी: ज्यों-ज्यों गर्मी का मौसम तेज होता जा रहा है, त्यों-त्यों ही राजस्थान सीमा से सटे जिला महेन्द्रगढ़ में पीने के पानी की मूल समस्या विकराल रुप धारण करती जा रही हैै। जनपद के ग्रामीण क्षेत्र में लोगों के पीने के पानी का मुख्य सहारा टयूबवैल ही हैं, जो कि अनेक स्थानों पर भू-जल स्तर डेढ़ हजार फुट की गहराई तक गिर जाने के कारण बेकार बने हुए हैं। हालांकि कुछ दिनों से क्षेत्र में नहरी पेयजल पर आधारित परियोजनाएं भी लागू की गई हैं, किन्तु खासकर कस्बा नांगल चौधरी में यह परियोजना कागजी साबित हो रही हैं। यहां यह उल्लेखनीय है जिला महेन्द्रगढ़ राजस्थान की सीमाओं से घिरा हुआ है तथा इसके भू-गर्भ तक अरावली पर्वत श्रंृखलाएं विद्यमान हैं, जिनमें पानी की संभावना क्षीण ही नजर आती है

राजस्थान सीमा से सटे जिला महेन्द्रगढ़ में पीने के पानी की मूल समस्या ने लिया विकराल रुप

नांगल चौधरी: ज्यों-ज्यों गर्मी का मौसम तेज होता जा रहा है, त्यों-त्यों ही राजस्थान सीमा से सटे जिला महेन्द्रगढ़ में पीने के पानी की मूल समस्या विकराल रुप धारण करती जा रही हैै। जनपद के ग्रामीण क्षेत्र में लोगों के पीने के पानी का मुख्य सहारा टयूबवैल ही हैं, जो कि अनेक स्थानों पर भू-जल स्तर डेढ़ हजार फुट की गहराई तक गिर जाने के कारण बेकार बने हुए हैं। हालांकि कुछ दिनों से क्षेत्र में नहरी पेयजल पर आधारित परियोजनाएं भी लागू की गई हैं, किन्तु खासकर कस्बा नांगल चौधरी में यह परियोजना कागजी साबित हो रही हैं। यहां यह उल्लेखनीय है जिला महेन्द्रगढ़ राजस्थान की सीमाओं से घिरा हुआ है तथा इसके भू-गर्भ तक अरावली पर्वत श्रंृखलाएं विद्यमान हैं, जिनमें पानी की संभावना क्षीण ही नजर आती है

– दलबीर जौहरी

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