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Durga Aarti Lyrics: इन आरतियों से करें दुर्गा मां के 9 रूपों की आराधना, मिलेगा मनचाहा फल

04:30 PM Sep 15, 2025 IST | Amit Kumar
Durga Aarti Lyrics

Durga Aarti Lyrics: शारदीय नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। साल 2025 में यह पर्व 22 सितंबर से शुरू होकर 1 अक्टूबर को समाप्त होगा। इन नौ दिनों में भक्तजन व्रत रखते हैं, मां दुर्गा की पूजा करते हैं और उनके लिए विशेष आरतियों व भजन का आयोजन करते हैं।

Durga Aarti Lyrics: नवरात्रि का महत्व

नवरात्रि का शाब्दिक अर्थ होता है – 'नौ रातें'। यह पर्व साल में चार बार आता है, लेकिन शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि का धार्मिक दृष्टि से सबसे अधिक महत्व होता है। शारदीय नवरात्रि अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होती है। ऐसा माना जाता है कि इन नौ दिनों में देवी शक्ति पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं। मां दुर्गा को शक्ति, पराक्रम, और रक्षा की देवी माना जाता है।

Shardiya Navratri 2025: मां दुर्गा के 9 स्वरूप

शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के निम्नलिखित नौ रूपों की पूजा की जाती है:

हर दिन का एक विशेष रंग और भोग भी होता है, जिसे मां को अर्पित किया जाता है।

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Durga Aarti Lyrics

आरतियों का महत्व

नवरात्रि के दौरान पूजा के समय मां दुर्गा की आरतियां गाना अत्यंत शुभ माना जाता है। आरतियों के माध्यम से भक्त अपनी श्रद्धा, भक्ति और आभार प्रकट करते हैं। इससे मां प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं।

Durga Ji ki aarti Lyrics: कुछ प्रमुख आरतियां जो नवरात्रि में गाई जाती हैं:

Jai Ambe Gauri Aarti

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥

जय अम्बे गौरी…

चामुण्डा लक्ष्मी, दुर्गा काली।
जगदम्बा भवानी, मां अम्बे वाली॥

कनक सिंगासन, अधिराजे।
चंद्रमुख मुकुट, विराजे॥

माल के धारी, कंठ सोहाए।
गले में माला, सोहे भाए॥

दामिनी दमके, बाली झलके।
शुभ्र वस्त्र शोभित, तन छवि छलके॥

रक्त चंदन का, लेपन कीन्हा।
भाले टिका, सोहे मन लीन्हा॥

अम्भे गौरी, माँ जय अम्बे गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥

दुर्गा रूप निराला।
सिंह सवारी, सोहे भवशाला॥

कर में खड्ग खप्पर धारी।
शत्रु मर्दन, महिषासुर मारी॥

शुम्भ-निशुम्भ दानव संघारे।
रक्तबीज शुम्भ पर मारे॥

मधु-कैटभ दोऊ संहारे।
अमरपुरी में धूम मचाए॥

ब्रहमाणी, रुद्राणी, तुम कमला।
तुम ही जग की माता भवानी॥

सब पे करुणा दृष्टि बनाए।
दीनों का दुख एक क्षण में मिटाए॥

जो कोई भक्त करे तुम्हारी सेवा।
मनवांछित फल पाए वह मेवा॥

आरती करे जो मन लगाके।
माँ भवानी कृपा बरसाए॥

Durga Aarti Lyrics

2-ओम जय अंबे माता

ॐ जय अम्बे माता

ॐ जय अम्बे माता, जय जगदम्बे माता।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवदाता॥ ॐ जय...

माँ अम्बे! जय अम्बे माता...
जय जगदम्बे माता॥

॥ तुम ही हो जननी जग की, तुम ही हो पालनहारी।
पालन करति हो सबकी, बनके ममता प्यारी॥ ॐ जय...

॥ तुम ही हो शक्ति माया, तुम ही हो संतानों की।
दया दृष्टि रखो माँ, हम सब नादानों की॥ ॐ जय...

॥ दुःख हरती सुख करती, माता तुम शुभकारी।
कृपा करो जगदम्बे, संकट हरो हमारी॥ ॐ जय...

॥ जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
सुख संपत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...

॥ तुम हो करुणामयी मां , अम्बे तुम दयालु।
मुझ पर भी दृष्टि डालो, भव सागर में पालो॥ ॐ जय...

॥ जो माँ को ध्याता है, मां उसके साथ है।
उसके जीवन में सदा, सुख ही सुख का वास है॥ ॐ जय...

॥ आरती माँ की जो कोई, जन गाता है।
सच कहूँ माँ, उसे सारा सुख पाता है॥ ॐ जय...

Durga Aarti Lyrics

Maa Durga Aarti in Hindi

3-अंबे तू है जगदंबे काली

अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाये भारती,
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

तेरे भक्त जनो पर,
भीर पडी है भारी मां ।
दानव दल पर टूट पडो,
माँ करके सिंह सवारी ।
सौ-सौ सिंहो से बलशाली,
अष्ट भुजाओ वाली,
दुष्टो को पलमे संहारती ।
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाये भारती,
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

माँ बेटे का है इस जग मे,
बडा ही निर्मल नाता ।
पूत - कपूत सुने है पर न,
माता सुनी कुमाता ॥
सब पे करूणा दरसाने वाली,
अमृत बरसाने वाली,
दुखियो के दुखडे निवारती ।
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाये भारती,
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

नही मांगते धन और दौलत,
न चांदी न सोना माँ ।
हम तो मांगे माँ तेरे मन मे,
इक छोटा सा कोना ॥
सबकी बिगडी बनाने वाली,
लाज बचाने वाली,
सतियो के सत को सवांरती ।
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाये भारती,
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

चरण शरण मे खडे तुम्हारी,
ले पूजा की थाली ।
वरद हस्त सर पर रख दो,
मॉ सकंट हरने वाली ।
मॉ भर दो भक्ति रस प्याली,
अष्ट भुजाओ वाली,
भक्तो के कारज तू ही सारती ।
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाये भारती,
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

इन आरतियों को रोजाना सुबह और शाम के समय पूजा के दौरान गाना चाहिए। इससे पूजा का प्रभाव और भी बढ़ जाता है और वातावरण में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

व्रत और पूजा विधि

नवरात्रि के दौरान कई लोग पूरे नौ दिन तक व्रत रखते हैं। कुछ लोग केवल पहले और अंतिम दिन उपवास करते हैं। व्रत रखने वाले व्यक्ति सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं और दिन में एक बार भोजन करते हैं। पूजा विधि में सुबह स्नान करके मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र की स्थापना की जाती है। कलश स्थापना के साथ अखंड ज्योति जलाना शुभ माना जाता है। फिर दुर्गा सप्तशती का पाठ, आरती और प्रसाद वितरण किया जाता है।

नवरात्रि में क्या करें और क्या नहीं

करें:

न करें:

समापन

शारदीय नवरात्रि एक ऐसा पावन अवसर है जब हम आत्मिक शुद्धि और मां की भक्ति में लीन हो सकते हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करता है, बल्कि जीवन में सकारात्मकता और ऊर्जा भी भरता है। इस नवरात्रि पर मां दुर्गा की कृपा से सभी के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास हो।

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