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Durga Chalisa Lyrics In Hindi: नवरात्रि में मां दुर्गा चालीसा का करें पाठ, घर में सुख समृद्धि और धन का हमेशा रहेगा वास

04:40 PM Sep 22, 2025 IST | Amit Kumar
durga chalisa lyrics in hindi  नवरात्रि में मां दुर्गा चालीसा का करें पाठ  घर में सुख समृद्धि और धन का हमेशा रहेगा वास
Durga Chalisa Lyrics In Hindi
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Durga Chalisa Lyrics In Hindi: हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। साल भर में कुल चार नवरात्र आते हैं – चैत्र, शारदीय और दो गुप्त नवरात्र। इनमें शारदीय नवरात्रि को सबसे प्रमुख माना जाता है। यह पर्व मां दुर्गा को समर्पित होता है और नौ दिनों तक देवी के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है।

Sharadiya Navratri 2025: आज से शुरू हुई शारदीय नवरात्रि

इस वर्ष 22 सितंबर, सोमवार से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। भक्तजन पूरे नौ दिन व्रत रखते हैं, मां की आराधना करते हैं और अंतिम दिन हवन, कन्या पूजन तथा दुर्गा चालीसा का पाठ करते हैं। यह माना जाता है कि दुर्गा चालीसा का पाठ करने से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

Durga Chalisa Lyrics In Hindi
Durga Chalisa Lyrics In Hindi

Durga Chalisa Lyrics In Hindi: दुर्गा चालीसा क्या है?

दुर्गा चालीसा एक धार्मिक भजन है जिसमें मां दुर्गा के विभिन्न रूपों, शक्तियों और उनके द्वारा किए गए कार्यों का वर्णन होता है। इसमें कुल 40 छंद होते हैं जो मां की महिमा का बखान करते हैं।

Durga Chalisa का भावार्थ

चालीसा की शुरुआत मां दुर्गा को बार-बार नमन करने से होती है। उन्हें सुख देने वाली और दुख हरने वाली देवी कहा गया है। मां दुर्गा की ज्योति स्वरूप की तुलना तीनों लोकों की रौशनी से की जाती है। उनका रूप महाशक्ति से भरपूर है। मां को अन्नपूर्णा कहा गया है जो संसार का पालन-पोषण करती हैं। वे शिव की अर्धांगिनी पार्वती, सरस्वती और लक्ष्मी के रूप में भी पूजी जाती हैं।

दुर्गा चालीसा में यह भी बताया गया है कि जब-जब असुरों का आतंक बढ़ा, मां दुर्गा ने विभिन्न रूपों में अवतार लेकर उनका नाश किया। जैसे – महिषासुर, शुम्भ-निशुम्भ, रक्तबीज, हिरण्याक्ष आदि का वध। मां दुर्गा की पूजा करने से भक्तों के जीवन से दुख, दरिद्रता, भय और शत्रुता समाप्त होती है। चालीसा में कहा गया है कि जो भी भक्त सच्चे मन से मां को याद करता है, उसे जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिलती है।

Durga Chalisa Lyrics In Hindi

दुर्गा चालीसा के पाठ का लाभ

  • यह चालीसा नित्य पढ़ने से मन को शांति और आत्मबल प्राप्त होता है।
  • कठिन परिस्थितियों से छुटकारा मिलता है।
  • मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मां की कृपा बनी रहती है।
  • जो व्यक्ति श्रद्धा से यह चालीसा पढ़ता है, उसे धन, ज्ञान, स्वास्थ्य और सफलता की प्राप्ति होती है।

Durga Chalisa lyrics: दुर्गा चालीसा

नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥

निरंकार है ज्योति तुम्हारी।

तिहूं लोक फैली उजियारी॥

शशि ललाट मुख महाविशाला।

नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥

रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥

तुम संसार शक्ति लै कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥

अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥

प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।
परगट भई फाड़कर खम्बा॥

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं॥

क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दयासिन्धु दीजै मन आसा॥

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी॥

मातंगी अरु धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥

श्री भैरव तारा जग तारिणी।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥

केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी॥

कर में खप्पर खड्ग विराजै।
जाको देख काल डर भाजै॥

सोहै अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥

नगरकोट में तुम्हीं विराजत।
तिहुंलोक में डंका बाजत॥

शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे॥

महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अघ भार मही अकुलानी॥

रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥

परी गाढ़ संतन पर जब जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब॥

अमरपुरी अरु बासव लोका।
तब महिमा सब रहें अशोका॥

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥

प्रेम भक्ति से जो यश गावें।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥

शंकर आचारज तप कीनो।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥

शक्ति रूप का मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछितायो॥

शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥

आशा तृष्णा निपट सतावें।
रिपू मुरख मौही डरपावे॥

शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥

करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।

जब लगि जिऊं दया फल पाऊं ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥

दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।
सब सुख भोग परमपद पावै॥

देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥

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