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देशभर में सादगी से मनाया गया दशहरा, 'कोविड' का पुतला दहन किया गया

देशभर में रविवार को दशहरा बेहद सादगी से मनाया गया क्योंकि कोविड-19 के चलते इस साल पहले की तरह धूमधाम नहीं दिखी और पारंपरिक तौर पर हर साल रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले दहन करने के कार्यक्रम भी रद्द रहे। हर साल दशहरा उत्सव के दौरान आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में भारी भीड़ जुटती थी।

10:51 PM Oct 25, 2020 IST | Shera Rajput

देशभर में रविवार को दशहरा बेहद सादगी से मनाया गया क्योंकि कोविड-19 के चलते इस साल पहले की तरह धूमधाम नहीं दिखी और पारंपरिक तौर पर हर साल रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले दहन करने के कार्यक्रम भी रद्द रहे। हर साल दशहरा उत्सव के दौरान आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में भारी भीड़ जुटती थी।

देशभर में सादगी से मनाया गया दशहरा   कोविड  का पुतला दहन किया गया
देशभर में रविवार को दशहरा बेहद सादगी से मनाया गया क्योंकि कोविड-19 के चलते इस साल पहले की तरह धूमधाम नहीं दिखी और पारंपरिक तौर पर हर साल रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले दहन करने के कार्यक्रम भी रद्द रहे। हर साल दशहरा उत्सव के दौरान आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में भारी भीड़ जुटती थी। 
सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों के तहत बड़ी संख्या में भीड़ जुटाने, मेला आयोजित करने अथवा खाद्य पदार्थों की स्टॉल लगाने पर रोक लगायी गई थी। पहले के मुकाबले बेहद कम स्थानों पर पुतला दहन की अनुमति दी गई थी। 
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में लोगों ने बुराई पर अच्छाई की जीत दर्शाने के लिए कोरोनावायरस का पुतला दहन किया। जिले के मेला मैदान में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के साथ ही कोरोना वायरस का भी पुतला दहन किया गया। 
इस बीच, कोविड-19 महामारी के चलते हरियाणा और पंजाब में भी दशहरा सादगी से मनाया गया और इस दौरान कहीं कोई बड़ा कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया। 
वहीं, राष्ट्रीय राजधानी में भी पहले की तरह धूमधाम नहीं दिखी क्योंकि लव कुश रामलीला समिति समेत कई प्रमुख रामलीला समितियों ने पारंपरिक तौर पर हर साल रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले दहन करने के कार्यक्रम को रद्द कर दिया था। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने अधिकतम 200 लोगों को ही कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति दी थी। कोविड-19 के प्रसार की रोकथाम के मद्देनजर यह निर्णय लिए गए थे। 
दशहरा उत्सव का गढ़ माने जाने वाला लाल किले का रामलीला मैदान इस साल सुनसान नजर आया क्योंकि इस बार रामलीला समितियों ने दशहरा कार्यक्रम रद्द करने का निर्णय था। 
वहीं, कई स्थानों पर ”लाइटों और साउंड इफेक्ट” के माध्यम से रावण दहन का कार्यक्रम आयोजित किया गया जबकि कई जगह पिछले वर्ष के कार्यक्रम की वीडियो चलाई गई। 
शहर के मॉडल टाउन की श्री केशव रामलीला समिति के अशोक गोयल ने कहा, ” लाइट और साउंड इफेक्ट के साथ रावण दहन की पुरानी वीडियो का उपयोग करना सुरक्षित है क्योंकि कार्यक्रम के दौरान एकत्र भीड़ को संभालना बेहद मुश्किल काम है।” 
कई ऐसे स्थानों पर जहां रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले दहन किए जाते थे, इस बार आयोजकों ने बेहद छोटे पुतले जलाकर परंपरा निभायी। 
दिल्ली के जीटीबी एंक्लेव की रामलीला समिति के महासचिव हरीश रावत ने कहा, ” इस बार हमने आम तौर पर बनाए जाने वाले 30 फुट ऊंचे पुतलों के बजाए करीब 18 फुट के ही पुतले बनाए। सबसे खास ध्यान भीड़ को नियंत्रित करने और सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करने में दिया गया।” 
विजयादशमी को संकटों पर धैर्य की जीत का पर्व बताते हुए प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान लोगों को दशहरा की शुभकामनाएं दीं और कहा कि कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए आने वाले त्योहारों के दौरान सभी बचाव नियमों का आवश्यक तौर पर पालन करें। 
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भी दशहरा के मौके पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। उपराष्ट्रपति सचिवालय ने नायडू का हवाला देते हुए ट्वीट किया, ‘‘मैं दशहरे के शुभ अवसर पर सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। देशभर में बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाने वाला, यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार राष्ट्र में शांति, सद्भाव और समृद्धि लाए।’’ 
उधर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जवानों के साथ दशहरा मनाया और सिलीगुड़ी में ”शस्त्र पूजा” भी की। 
इस मौके पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लोगों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि महामारी जल्द ही समाप्त हो जाएगी और जिंदगी की दौड में बहादुरी और दृढ़ संकल्प की विजय होगी। 
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Shera Rajput

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