नेपाल-तिब्बत सीमा पर भूकंप से भारी तबाही, जान-माल के नुकसान पर भारत ने जताया शोक
नेपाल-तिब्बत सीमा क्षेत्र में आए 7.1 तीव्रता के भूकंप ने भीषण तबाही मचाई है।
नेपाल-तिब्बत सीमा क्षेत्र में आए 7.1 तीव्रता के भूकंप ने भीषण तबाही मचाई है। भारी नुकसान को देखते हुए भारत ने शोक व्यक्त किया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, भारत सरकार तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में विनाशकारी भूकंप के कारण हुए जान-माल के दुखद नुकसान पर संवेदना व्यक्त करती है। हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ हैं। मंगलवार सुबह नेपाल-तिब्बत सीमा क्षेत्र में आए शक्तिशाली भूकंप में 100 से अधिक लोगों की जान जाने की खबर है। भूकंप के झटके नेपाल, भूटान और उत्तरी भारत के कुछ हिस्सों में महसूस किए गए।
भूकंप के झटके पूरे उत्तर भारत तक महसूस किए गए
नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (एनसीएस) ने पुष्टि की है कि भूकंप सुबह 6:35 बजे (आईएसटी) आया, जिसका केंद्र अक्षांश 28.86 डिग्री उत्तर और देशांतर 87.51 डिग्री पूर्व में 10 किलोमीटर की गहराई पर था। स्थान की पहचान नेपाल की सीमा के पास शिज़ांग (तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र) के रूप में की गई है। भूकंप के झटके पूरे उत्तर भारत में भी महसूस किए गए। बिहार, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और दिल्ली-एनसीआर जैसे इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। लोग दहशत में अपने घरों से बाहर निकल आए। भारत में अब तक किसी के हताहत होने या संपत्ति के नुकसान की कोई खबर नहीं है। नेपाल और प्रभावित भारतीय क्षेत्रों के अधिकारी सतर्क हैं और स्थिति पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं। भूकंप ने ऐतिहासिक रूप से विनाशकारी भूकंपीय गतिविधि के प्रति संवेदनशील क्षेत्र में चिंताओं को फिर से जगा दिया है।
अधिकारी ने दी जानकारी
नेपाल के नामचे क्षेत्र के एक सरकारी अधिकारी जगत प्रसाद भुसाल ने बताया है कि नेपाल भूकंप के प्रति संवेदनशील है क्योंकि यह एक प्रमुख भूगर्भीय फॉल्ट लाइन पर स्थित है। यहां भारतीय टेक्टोनिक प्लेट यूरेशियन प्लेट से टकराती है, जिससे हिमालय का निर्माण होता है। इस वजह से यहां भूकंप नियमित रूप से आते हैं। नेपाल में इस भूकंप ने 2015 में आए 7.8 तीव्रता के भूकंप की यादें ताजा कर दी हैं, जिसमें 9,000 लोग मारे गए थे और करोड़ों की संपत्ति तबाह हुई थी।