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Delhi CM Arvind Kejriwal: शराब घोटाले के आरोप में जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर मुश्किलें थमती नहीं दिख रही। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से एक दिन पहले गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उनकी जमानत का विरोध किया। ईडी ने अपने हलफनामे में कहा है कि सामान्य नागरिक की तुलना में एक राजनेता किसी विशेषाधिकार का दावा नहीं कर सकता। अपराध करने पर उसे किसी अन्य नागरिक की तरह ही गिरफ्तार और हिरासत में लिया जा सकता है।
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दरअसल, ईडी के उप निदेशक द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है कि किसी राजनेता के साथ किसान या व्यवसायी से अलग व्यवहार किया जाना उचित नहीं है।
हलफनामे मेें कहा गया है कि यदि चुनाव प्रचार को अंतरिम जमानत का आधार बनाया जाएगा, तो यह अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा। इसी आधार पर किसी अपराध में जेल में बंद किसान भी फसल की कटाई के लिए व किसी कंपनी का निदेशक कंपनी की वार्षिक आम बैठक में भाग लेने के लिए जमानत मांग सकता है।
जमानत याचिका का विरोध करते हुए जांच एजेंसी ने कहा दो तथ्य प्रस्तुत किये पहला तो यह कि चुनाव प्रचार का अधिकार न मौलिक, न संवैधानिक और न ही कानूनी अधिकार हैै। हलफनामे में कहा गया है कि अब तक किसी भी राजनीतिज्ञ को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत नहीं दी गई है। इसके अलावा, दूसरा तर्क ईडी ने यह दिया कि पांच वर्षों में लगभग 123 चुनाव हुए हैं और यदि चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी जाएगी, तो किसी भी राजनेता को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता या न्यायिक हिरासत में नहीं भेजा जा सकता, क्योंकि चुनाव पूरे साल होते रहते हैं।
बुधवार को जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने के सवाल पर 10 मई को अपना फैसला सुनाएगी।
इससे पहले, पीठ में शामिल न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने संकेत दिया कि वह मौजूदा आम चुनावों के मद्देनजर आप नेता को अंतरिम जमानत देने पर विचार कर सकती है। उन्होंने कहा कि यह असाधारण स्थिति है और सीएम केजरीवाल कोई आदतन अपराधी नहीं हैं।
ज्ञात है कि केजरीवाल ने इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय के 10 अप्रैल के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है। उच्च न्यायालय ने ईडी की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी थी।
बता दें की प्रमुख को 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह हिरासत में हैं। अब उनकी गिरफ्तारी के एक महीने से ज्यादा समय बीत चूका है।